संविधान की प्रस्तावना/उद्देशिका हिंदी में ( For All Competitive Exam)

पोस्ट में हम आपको संविधान की प्रस्तावना/उद्देशिका |  के बारे में जानकारी देंगे, क्युकी इस टॉपिक से लगभग 1 या 2 प्रश्न जरूर पूछे जाते है तो आप इसे जरूर पड़े अगर आपको इसकी पीडीऍफ़ चाहिये तो कमेंट के माध्यम से जरुर बताये| आप हमारी बेबसाइट को रेगुलर बिजिट करते रहिये, ताकि आपको हमारी डेली की पोस्ट मिलती रहे और के आपकी तैयारी पूरी हो सके|

संविधान की प्रस्तावना/उद्देशिका

संविधान की प्रस्तावना उद्देशिका अमेरिका के संविधान से ग्रहण की गई है। यहाँ हम भारतीय सविंधान की उद्देशिका (Preamble of the Indian Constitution) के विषय में विस्तार से पढ़ेंगे। सविंधान को जानने से पहले उसकी उद्देशिका को पढ़ना जरुरी है। क्योंकि अधिकतर पप्रश्न यहाँ से भी पूछे जाते हैं।

यहाँ हम निम्न विषयों पर चर्चा करेंगे-
  • सविंधान की उद्देशिका का महत्व क्या है-What is the significance of the Preamble of the Constitution
  • क्या उद्देशिका सविंधान का अंग है-Is the preamble part of the  Indian Constitution
  • क्या सविंधान की उद्देशिका में संशोधन किया जा सकता है-Can the amendment of the constitution be amended
  • सविंधान के आधारभूत ढांचे/मूलभूत ढांचे के अंतर्गत कौन कौन सी चीजें शामिल है-Which items are included in the infrastructure of the constitution
  • 42 वें सविंधान संशोधन द्वारा कौन से शब्द उद्देशिका में जोड़े गए
हम निम्न प्रश्नो के उत्तर यहाँ जानेगे –
  1. उद्देशिका में कितने प्रकार के गणराज्य की बात कही गयी है-How many types of republics are mentioned in the Preamble
  2. उद्देशिका में कितने प्रकार के न्याय शामिल है-How many types of justice is included in the preamble
  3. उद्देशिका में कितने प्रकार के स्वतंत्रता की बात कही गयी है-How many types of freedom in the Preamble
  4. उद्देशिका में कितने प्रकार के समता की बात कही गयी है-How many types of parity are mentioned in the preamble
  5. सविंधान के हिसाब से समाजवाद का क्या अर्थ है-What does socialism mean by constitution
  6. पंथ निरपेक्ष का क्या अर्थ है-What does secular mean
  7. लोकतंत्रात्मक का क्या अर्थ है-What does democratic mean
  8. गणराज्य का क्या अर्थ है-What does republic mean
  9. समता का क्या अर्थ है-What does parity mean
  10. राष्ट्र की एकता और अखंडता का क्या अर्थ है-What is the meaning of unity and integrity of the nation
  11. बंधुता का क्या अर्थ है-What does fraternity mean

सविंधान की प्रस्तावना

हम भारत के लोग भारत को संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी, पंथ निरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने
तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय,
विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म
और उपासना की स्वतंत्रता
प्रतिष्ठा और अवसर की समता,
प्राप्त कराने के लिए,
तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता
सुनिश्चित करने वाली बंधुता
बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्प होकर अपनी इस संविधान
सभा में आज तारीख 26 नवंबर 1949 ई.(मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत दो हजार छह विक्रमी)
को एतदद्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।

सविंधान की उद्देशिका का महत्व

 
जवाहरलाल नेहरू ने 13 दिसंबर 1946 को संविधान सभा के सम्मुख प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव ही संविधान की उद्देशिका का आधार बना। इसे संविधान की आत्मा तथा निर्माताओं ने इसे मन की कुंजी कहां है। संविधान की उद्देशिका का प्रारंभ “हम भारत के लोग” से की गई है इससे स्पष्ट है कि भारत के लोग संविधान के मूल स्रोत हैं, तथा समस्त शक्तियों के केंद्र बिंदु है। जहां संविधान की भाषा संदिग्ध है या अस्पष्ट है वहां संविधान निर्माताओं के आशय को समझने के लिए उद्देशिका की सहायता ली जा सकती है।

क्या उद्देशिका संविधान का अंग है

मुंबई बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के बाद में उच्चतम न्यायालय ने यह धारणा प्रस्तुत की की उद्देशिका संविधान का अभिन्न अंग है।विस्तृत चर्चा निचे के हेडिंग में करेंगे।

सविंधान की उद्देशिका में प्रयुक्त शब्द

यहाँ हम जानेंगे सविंधान की उद्देशिका में प्रयुक्त शब्द-एवं उनके अर्थ के बारे में-

संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न 

इसका अर्थ है कि भारत सरकार किसी भी विदेशी प्रभाव सत्ता व नियंत्रण से मुक्त होगा। भारत में एकल नागरिकता का प्रावधान है तथा भारत की संप्रभुता भारत के लोगों में निहित है।

समाजवाद 

इस शब्द को 42 वें संविधान संशोधन 1976 द्वारा जोड़ा गया। इसका अर्थ आर्थिक विषमता को दूर करना है। अर्थात सभी प्रकार के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक शोषण से मुक्ति है भारत का समाजवाद लोकतंत्रात्मक समाजवाद है जिस की अवधारणा नेहरु जी ने प्रस्तुत की।

पंथ निरपेक्ष 

इस शब्द को 42 वें संविधान संशोधन 1976 द्वारा जोड़ा गया। इसका अर्थ है कि भारत सरकार धर्म के मामले में तटस्थ रहेगी। पंथनिरपेक्ष धारणा पहले से ही थी। उसका अपना कोई धार्मिक पंथ नहीं होगा। तथा  देश में सभी नागरिकों को अपनी इच्छा के अनुसार धार्मिक उपासना का अधिकार होगा।

भारत सरकार न तो किसी धार्मिक पंथ का पक्ष ले ली और ना ही किसी धार्मिक पंथ का विरोध करेगी। भारत का संविधान किसी धर्म विशेष से जुड़ा हुआ नहीं है। पंथनिरपेक्ष राज्य धर्म के आधार पर भेदभाव ना कर प्रत्येक व्यक्ति के साथ एक नागरिक के रूप में व्यवहार करता है। सविंधान का  भाग 3 अनुच्छेद 25 से 28 धार्मिक स्वतंत्रता से संबंधित है।

लोकतंत्रात्मक

लोकतंत्र का अर्थ है जनता का शासन। लोकतंत्र में राजनितिक प्रभुसत्ता जनता में निहित है।  अनुच्छेद 326 सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार की पुष्टि करता है, जिसमें 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी व्यक्ति मतदान कर सकते हैं।

गणराज्य

इसका अर्थ है कि भारत का राष्ट्र अध्यक्ष निर्वाचित होगा अनुवांशिक नहीं। गणराज्य में राज्य की सर्वोच्च शक्ति जनता में निहित होती है।

सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक न्याय

सामाजिक न्याय से आशय है कि सभी नागरिकों को समान समझा जाए और जन्म, मूल वंश, जाति, धर्म, लिंग आदि के कारण इनसे कोई भेदभाव न किया जाए।

आर्थिक न्याय में अपेक्षा की जाती है कि अमीरों तथा गरीबों के साथ एक सा व्यवहार किया जाए और उनके बीच को खाई पाटने का प्रयास किया जाए। राज्य के नीति निदेशक तत्वों में अनुच्छेद 39 राज्य को आर्थिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों का निर्देश देता है।

राजनीतिक न्याय सभी नागरिकों को जाति, धर्म, संप्रदाय या जन्म स्थान के आधार पर विभेद किए जाने  बिना राजनीतिक प्रक्रिया में भाग लेने का अधिकार प्रदान करता है। लोक नियोजन में अवसर की समानता अनुच्छेद 16 तथा सार्वभौमिक व्यस्त मताधिकार अनुच्छेद 325 और 326 राजनीतिक न्याय के लिए हैं।

स्वतंत्रता 

संविधान निर्माता फ्रांसीसी क्रांति के उद्घोष वाक्य से प्रेरित थे “स्वतंत्रता और समानता सभी मनुष्यों में जन्म से पाए जाते हैं और उनके यह अभिन्न अंग है” अनुच्छेद 19 में भाषण व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुनिश्चित की गई है। अनुच्छेद 25 से 28 में विश्वास, धर्म, उपासना की स्वतंत्रता है।

समता

अनुच्छेद 14 से 18 समता के अधिकार को मौलिक अधिकार में शामिल किया गया है।

व्यक्ति की गरिमा 

संविधान का अंतिम लक्ष्य व्यक्ति की गरिमा तथा राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करना है व्यक्ति की गरिमा के बगैर जीवन की गुणवत्ता में सुधार नहीं लाया जा सकता। अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता का अंत व्यक्ति की गरिमा सुनिश्चित करता है।

राष्ट्र की एकता और अखंडता

42 वें संविधान संशोधन 1976 द्वारा राष्ट्र की एकता की जगह राष्ट्र की एकता और अखंडता शब्द को प्रतिस्थापित किया गया।

बंधुता

बंधुता का अर्थ है सभी नागरिकों के बीच सर्वमान्य भाईचारे एवं एक होने की भावना का होना।

क्या उद्देशिका संविधान का अंग है

1973 के केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य के विवाद में उच्चतम न्यायालय ने उद्देशिका को सविंधान का अंग माना। मोम्बई मामले में भी इसे संविधान का अंग माना गया, अर्थात इसमें परिवर्तन अनुच्छेद 368 के तहत किया जा सकता है।

इसी आधार पर 42 वें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 द्वारा उद्देशिका में समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, और राष्ट्र की एकता और अखंडता शब्द जोड़े गए।

संविधान के आधारभूत ढांचे/मूलभूत ढांचे के अंतर्गत कौन सी चीजें आती हैं

भारत का संवैधानिक इतिहास-एक्ट 1773 से एक्ट 1853 तक हिंदी में ( For All Competitive Exam)

न्यायालय ने लोकतंत्र, विधि के शासन, मौलिक अधिकार, सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार, संविधान की सर्वोच्चता, न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति, संघात्मक ढांचा, राष्ट्र की एकता और अखंडता, पंथनिरपेक्षता, निष्पक्ष चुनाव, आदि को संविधान के मूलभूत ढांचे का उदाहरण माना है।

प्रमुख प्रश्न एवं उनके उत्तर-Major Questions and their Answers

1-उद्देशिका में कितने प्रकार के गणराज्य की बात कही गयी है ?
उत्तर-4 (संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी, पंथ निरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक)

2-उद्देशिका में कितने प्रकार के न्याय शामिल है ?
उत्तर-3 (सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय)

3-उद्देशिका में कितने प्रकार के स्वतंत्रता की बात कही गयी है ?
उत्तर-5 (विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना)

4-उद्देशिका में कितने प्रकार के समता की बात कही गयी है ?
उत्तर-2 (प्रतिष्ठा और अवसर )

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