बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र (Part-6) Topic – व्यक्तित्व एवं समायोजन

बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र (Part-6) Topic – व्यक्तित्व एवं समायोजन ;- दोस्तों आज की पोस्ट में हम आपके लिए “बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र” ( child development and Pedagogy ) के अंतर्गत “Pedagogy most Important  one liner“(बाल विकास one liner) बहुत ही महत्वपूर्ण 300  प्रश्न उत्तर लेकर आए हैं. जो कि विभिन्न परीक्षाओं जैसे MP संविदा शाला शिक्षक वर्ग 1,2 , CTET, UPTET, HTET , RTET  के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र के अंतर्गत सभी विषय जैसे समावेशी शिक्षा, शिक्षा तथा तकनीक, शैक्षणिक मनोविज्ञान, अभिगमन, अवधान एवं रूचि जैसे महत्वपूर्ण टॉपिक  के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर को इस पोस्ट में शामिल किया है और साथ ही हमने पिछली परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्नों को भी शामिल किया है

आज की हमारी पोस्ट Child Development and Pedagogy का 6th पार्ट है जिसमें कि हम बाल विकास एवं शिक्षाशास्त्र ( Child Development and Pedagogy ) Part – 6 [ Topic – व्यक्तित्व एवं समायोजन ( Personality and Adjustment ) ] संबंधित Most Important Question and Answer को बताऐंगे ! तो चलिये दोस्तो शुरु करते हैं !

Topic – व्यक्तित्व एवं समायोजन ( Personality and Adjustment ) ]
  • ”व्‍यक्तिगत एक व्‍यक्ति के व्‍यवहार के तरीकों, दृष्टिकोणों, क्षमताओं, योग्‍यताओं तथा अभिरूचियों का विशिष्‍टतम संगठन है।” यह कथ है–मन का
  • बालक का संवेगात्‍मक व्‍यवहार प्रभावित होता है – उपवृक्‍क ग्रन्थि से
  • आत्‍मकेन्द्रित व्‍यक्ति का व्‍यक्तित्‍व होता है – अन्‍तर्मुखी
  • सामाजिक अन्‍तर्क्रिया की दृष्टि से जुंग के अनुसार, व्‍यक्तित्‍व के प्रकार हैं – तीन
  • ”व्‍यक्तित्‍व गुणों का समन्वित रूप है।” यह कथन है – वुडवर्थ का
  • ”व्‍यक्तित्‍व व्‍यक्ति के भीतर उन मोशारीरिक गुणों का गत्‍यात्‍मक संगठन है जो वातावरण के साथ उसके अअद्वितीय समायोजन को निर्धारित करता है।” यह परिभाषा है  आलपोर्ट की
  • व्‍यक्तित्‍व को निर्धारित करने वाले कारक हैं – जैविक या अनुवांशिक कारक, पर्यावरण सन्‍बन्‍धी कारक
  • व्‍यक्तित्‍व सम्‍बन्‍धी गुण प्राप्‍त होते हैं – शरीर एवं अन्‍त:स्रावी ग्रन्थियों से एवं तन्त्रिका तंत्र से
  • आत्‍मकेन्द्रित व्‍यक्ति को किस वर्ग में रखा जाता है – अन्‍तर्मुखी
  • ‘पर्सोना'(Persona) का अर्थ है  मुखौटा
  • मूल्‍यों के आधार पर व्‍यक्तित्‍व का वर्णन किसने किया है  स्‍प्रेंगर
  • कार्ल युंग के अनुसार व्‍यक्ति – अन्‍तर्मुखी एवं बहिर्मुखी दोनो होता है।
  • हिप्‍पोक्रेटस के अनुसार व्‍यक्तित्‍व के प्रकार हैं – निराशावादी एवं कफ प्रधान
  • व्‍यक्तित्‍व के प्रकारों का विभाजन जिस आधार पर हुआ है, वह है – शरीर रचना, समाजशास्‍त्रीय दृष्टिकोण, मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण
  • व्‍यक्तित्‍व को प्रभावित करने वाले तत्‍व हैं – वंशानुक्रम तथा वातावरण
  • व्‍यक्तित्‍व, व्‍यक्ति की सम्‍पूर्ण प्रतिक्रियाओं एवं प्रतिक्रिया सम्‍भावनाओं का संस्‍थान है, जैसाकि उसके परिवेश में जो सामाजिक प्राणी है, उसके द्वारा आंका जाता है। यह व्‍यक्ति के व्‍यवहारों का एक समायोजित संकलन है, जो व्‍यक्ति अपने सामाजिक व्‍यवस्‍थापन के लिए करता है। यह कथन है – डेशील का
  • शैल्‍डन ने शारीरिक गुणों के आधार पर व्‍यक्तित्‍व को किन भागों में बांटा है – कोमल एवं गोलाकार, गोलाकार व आयाताकार, लम्‍बाकार कोमल
  • सिसरो का व्‍यक्तित्‍व सम्‍ब‍न्‍धी मत किस काल को दर्शाता है – प्राचीन मत
  • अन्‍तर्मुखी व्‍यक्तित्‍व वाले व्‍यक्ति रुचि रखते हैं – स्‍वयं अपने में
  • व्‍यक्तित्‍व आत्‍मज्ञान का ही दूसरा नाम है। यह किस दृष्टिकोण से सम्‍बन्धित है – दार्शनिक दृष्टिकोण
  • सुविधा की दृष्टि से आगे चलकर मनोवैज्ञानिक ने इस शील गुणों को कितने भागों में विभाजित किया – चार
  • व्‍यक्तित्‍व, व्‍यक्ति से सम्‍बन्धित समस्‍त मनोवैज्ञानिक क्रियाओं एवं दिशाओं का सम्मिलित स्‍वरूप है।” यह कहा है – लिण्‍टन ने
  • संगठित व्‍यक्तित्‍व की विशेषताएं नहीं है – असामाजिकता
  • व्‍यक्तित्‍व को समझने के लिए व्‍यक्तित्‍व के शील गुणों का अध्‍ययन किन मनोवैज्ञानिकों ने किया – आलपोर्ट तथा कैटिल ने
  • व्‍यक्तित्‍व मापन की पुरानी विधि है – ज्‍योतिष द्वारा
  • ‘संगठित व्‍यक्तित्‍व’ कहते हैं जिसमें निम्‍नांकित पक्षों का विकास हुआ हो – सामाजिक, मानसिक एवं संवेगात्‍मक पक्ष
  • वर्तमान में सर्वोत्‍तम माने जाने वाला व्‍यक्तित्‍व के प्रकारों का वर्गीकरण किसकी देन है – जुंग की
  • ‘परसोना’ शब्‍द का लैटिन भाषा में अर्थ होता है – बाहरी रूप रंग या नकली चेहरा
  • ”वातावरण के साथ सामान्‍य एवं स्‍थायी समायोजन की व्‍यक्तित्‍व हैा” इस परिभाषा को लिखा है  बोरिंग ने
  • व्‍यक्तित्‍व मापन के लिए व्‍यक्ति की सम्‍पूर्ण सूचनाएं प्राप्‍त करने की विधि है – व्‍यक्ति इतिहास विधि
  • व्‍यक्तित्‍व की संरचना के अन्‍तर्गत गत्‍यात्‍मकता तथा स्‍थलाकृतिक पक्षका अध्‍ययन किस मनोवैज्ञानिक ने किया – फ्रायड
  • ”जिस वस्‍तु के आधार पर एक व्‍यक्ति की दूसरे से भिन्‍नता की जा सके, उसे लक्षण कहते हैं।” यह कथन है – मर्फी का
  • ”व्‍यक्तित्‍व को प्रभावित करने में प्राकृतिक (भौतिक) वातावरण की उपेक्षा नहीं की जा सकती।” यह कथन है – ऑगबर्न व निमकॉफ का
  • व्‍यक्तित्‍व शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, संवेगात्‍मक क्रियाओं का एक रूप ह, जो – गत्‍यात्‍मक संगठन है।
  • निम्‍न में से वह जो व्‍यक्तित्‍व को प्रभावित नहीं करता है – देखना
  • निम्‍न‍िलिखत व्‍यक्तिनिष्‍ठ परीक्षण है – प्रश्‍नावली विधि
  • रेटिंग स्‍केल विधि, निम्‍न प्रकार का परीक्षण है – वस्‍तुनिष्‍ठ परीक्षण
  • रोर्शा परीक्षण मापन करता है – व्‍यक्तित्‍व का
  • प्रक्षेपण विधि मापन करती है – व्‍यक्तित्‍व का
  • कथा प्रसंग परीक्षण (T.A.T.) को निर्मित किया है – मुर्रे एवं मॉर्गन ने
  • A.T. परीक्षण में प्रयुक्‍त होने वाले कार्डों की संख्‍या होती है – 10+10+10
  • रार्शास्‍याही धब्‍बा परीक्षण में प्रयुक्‍त होने वाले कार्डों की संख्‍या होती है – 10
  • A.T. का निर्माण किया – लियोपोल्‍ड बैलक ने
  • समायोजन की प्रक्रिया है – गतिशीलता
  • अन्‍तर्मुखी बालक होता है – एकान्‍त में विश्‍वास रखने वाला
  • अत्‍यधिक वाचाल, प्रसन्‍नचित्‍त करने वाले तथा सामाजिक प्रवृत्ति के धनी वाले व्‍यक्ति का व्‍यक्तित्‍व होता है – बहिर्मुखी
  • कौन-सा प्रेरक जन्‍मजात नहीं है – आकांक्षा का स्‍तर
  • समायोजन की विधियां है – उदात्‍तीकरण,प्रक्षेपण प्रतिगमन
  • समायोजन दूषित होता है – कुण्‍ठा एवं संघर्ष से
  • एक समायोजित व्‍यक्ति की विशेषता नहीं है – वैयक्तिक उद्देश्‍यों का प्रदर्शन
  • जब बालक अपनी असफलताओं के दोष किसी और के ऊपर लादने की कोशिश करके अपने तनाव को कम करने का प्रयास करता है, वह विधि कहलाती है – स्‍थानापन्‍न समायोजन
  • समायोजन नहीं कर पाने का कारण है – द्वन्‍द्व, तनाव, कुण्‍ठा
  • व्‍यक्तित्‍व का कुसमायोजन प्रकट होता है – झगड़ालू प्रवृत्तियों में, पलायनवादी प्रवृत्तियों में, आक्रमणकारी के रूप में
  • निम्‍न में से कुसमायोजित बालक है – परिवेश से अनुकूल बनाने में समर्थहोता है, असामाजिक, स्‍वार्थीव सर्वथा दु:खी होता है, साधारण-सी बाधा उत्‍पन्‍न होने पर मानसिक सन्‍तुलन खो देता है।
  • छात्रों को अपना अधिकतम विकास करने में सहायता देने के‍ लिए – परामर्श की आवश्‍यकता पड़ती है।
  • निम्‍नलिखित में से कौन-सा मानसिकरूप से स्‍वस्‍थ व्‍यक्ति का लक्षण है – स्‍व-मूल्‍यांकन की योग्‍यता, समायोजनशालता, आत्‍मविश्‍वास
  • मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य विज्ञान का उद्दश्‍य है – मानसिक रोगों का उपचार करना।
  • साधारण शब्‍दों में हम कह सकते हैं कि मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य सम्‍पूर्ण व्‍यक्तित्‍व का पूर्ण सामंजस्‍य के साथ कार्य करना है।” ऐसा कहा गया है –हैडफील्‍ड द्वारा
  • मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य के निन्‍लिखित पहलू हैं सिवाय –सांस्‍कृतिक पहलू
  • ”मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य विज्ञान का सम्‍बन्‍ध मा‍नसिक स्‍वास्‍थ्‍य को बनाए रखने और मानसिक असन्‍तुलन को रोकने से है।” ऐसा कहा गया है –हैडफील्‍ड द्वारा
  • विद्यालय जाने से पूर्व बच्‍चों को प्रेरणा कहां से मिलती है –घर-परिवार से
  • शिक्षा प्रक्रिया की सफलता निर्भर करती है –विद्यार्थी और शिक्षक के मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर
  • मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य विज्ञान का निम्‍न कार्य नहीं है –संक्रामक रोगों की रोकथान करना
  • बालक के मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य की रक्षा करने का दायित्‍व किसका है –परिवार, विद्यालय, समाज का
  • मानसिक अस्‍वस्‍थता का कारण नहीं है –निद्रा
  • मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य विज्ञान का लक्ष्‍य है –मानसिक रोगों का उपचार
  • बालक के सर्वांगीण विकास में भूमिका होती है –मानसिक एवं शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य की
  • मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य के अभाव में बालक को समझा जाता है –पिछड़ा व मन्‍द बुद्धि बालक
  • मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य के अभाव में बालक का विकास अवरुद्ध होता है –मानसिक विकास
  • मानसिक रूप से स्‍वस्‍थ होना आवश्‍यक है –शिक्षक, शिक्षार्थी व अभिभावक के लिए
  • मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य का प्रमुख सम्‍बन्‍ध है –उचित मानसिक विकास से
  • बालकों में मन्‍द बुद्धि का दोष उत्‍पन्‍न होता है –मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य के अभाव में
  • लैडेल के अनुसार,मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य का आशय है –वातावरण के साथ समायोजन से
  • हैडफील्‍ड के अनुसार, मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य का आशय है –सम्‍पूर्ण व्‍यक्तित्‍व की समन्वित क्रियाशीलता
  • किस विद्वान ने मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य का सम्‍बन्‍ध सीखे गए व्‍यवहार से सम्‍भावित किया है –स्‍ट्रैन्‍ज ने
  • स्‍ट्रैन्‍ज के अनुसार,मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य है – सीखे गए व्‍यवहार एवं वास्‍तविक जीवन के समायोजन से
  • काल मैनिंगर के अनुसार,मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य है –सन्‍तुलित मनोदशा, सतर्क बुद्धि, प्रसन्‍न एवं सभ्‍य व्‍यवहार
  • मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को माना जा सकता है –व्‍यवहार की कसौटी एवं समायोजन की कसौटी
  • एक बालक के पिता मानसिक रूप से अस्‍वस्‍थ थे। इस कारण बालक का व्‍यवहार भी मानसिक अस्‍वस्‍थता से सम्‍बन्धित था। यह प्रभाव है –वंशानुक्रम का
  • मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य का अभाव सामान्‍य रूप से पाया जाता है –रोगी व्‍यक्ति, शारीरिक अस्‍वस्‍थ व्‍यक्ति व कमजोर व्‍यक्ति में
  • शारीरिक विकलांग बालकों में मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य का अभाव पाए जाने का प्रमुख कारण है –हीन भावना का उत्‍पन्‍न होना
  • पारिवारिक निर्धनता बालक के मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को प्रभावित करती है –असुरक्षा की भावना उत्‍पन्‍न करके, हीन भावना उत्‍पन्‍न करके
  • निम्‍नलिखित में कौन-से तथ्‍य बालक के मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को कुप्रभावित करते हैं –परिवार का कठोर अनुशासन, माता-पिता की उपेक्षा, माता-पिता का अधिक प्‍यार ये सभी
  • निम्‍नलिखित कौन-सा तथ्‍य विद्यालयी वातावरण से सम्‍बन्धित है जो कि बालकों के मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को कुप्रभावित करता है –विद्यालय का कठोर अनुशासन, विद्यालय का अनुचित पाठ्यक्रम, दोषपूर्ण शिक्षण विधियां
  • एक शिक्षक द्वारा प्राथमिक स्‍तर पर व्‍याख्‍यान प्रणाली का प्रयोग किया जाता है। इसका मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर प्रभाव होगा –अनुकूल व प्रतिकूल
  • प्राथमिक विद्यालय के पाठ्यक्रम में खेल पर कम तथा अन्‍य विषयोंके शिक्षण पर अधिक ध्‍यान दिया जाता है। इसका मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य पर प्रभाव होगा –प्रतिकूल
  • एक शिक्षक का व्‍यवहार संवेगात्‍मक अस्थिरता संयुक्‍त तथा कठोर अनुशासन को मानने वाला है। इससे उसके मानसिक व्‍यवहारपर प्रभाव होगा –प्रतिकूल
  • निम्‍नलिखित में कौन-सा तथ्‍य छात्रों के मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को विकसित करता है –शिक्षक का सकारात्‍मक व्‍यवहार
  • समाज का किस स्‍वरूप से मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य कुप्रभावित होता है –जातीय संघर्ष से एवं धार्मिक संघर्ष से
  • मानसिक विकास हेतु बालकोंको प्राथमिक स्‍तर पर किस प्रकार की शिक्षा मिलनी चाहिए –प्रजातान्त्रिक मूल्‍यों की
  • मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य के विकास में प्रमुख भूमिका होती है –परिवार, समाज, एवं विद्यालय की
  • बान हुसैन के अनुसार, अभिक्षमता है –मापन प्रक्रिया
  • बार हुसैन के अनुसरा, अभिक्षमता, मापन करती है –अधिगम की सम्‍भावित गति का
  • बिंघम के अनुसार, अभिक्षमता का आशय है –विशेषताओं का समुच्‍चय
  • निम्‍नलिखित में कौन-सी विशेषता अभिक्षमता से सम्‍बन्धित है –जन्‍मजात शक्ति, अमूर्त शक्ति व अन्‍तर्निहित शक्ति
  • निर्देशन एवं परामर्श से पूर्व बालक के सन्‍दर्भ में मापन आवश्‍यक है –अभिक्षमता का, रुचि का, योग्‍यता का
  • अभिक्षमता के प्रमुख प्रकार है – दो
  • निम्‍नलिखित में कौन-सा तथ्‍य अभिक्षमता परीक्षण से सम्‍बन्धित है –सामान्‍य अभिक्षमता परीक्षण व विशिष्‍ट अभिक्षमतापरीक्षण
  • सामान्‍यअभिक्षमता परीक्षण के अन्‍तर्गत मापन किया जाता है –सभी अभिक्षमताओं का
  • विशिष्‍टअभिक्षमता परीक्षण में मापन किया जाता है –विशिष्‍ट अभिक्षमताओं का
  • विद्यालयों में दृष्टि एवं श्रवण सम्‍बन्‍धी परीक्षणों का प्रमुख उद्देश्‍य होता है –बालक की बैठक व्‍यवस्‍था निश्चित करना
  • शिक्षक परीक्षा अभिक्षमता परीक्षण का उद्देश्‍य है –सामान्‍य अभिक्षमता परीक्षा से
  • निम्‍नलिखित में कौन-सा तथ्‍य विशिष्‍ट अभिक्षमता परीक्षणों से सम्‍बन्धित है –गायन, नृत्‍य, कला
  • अभिक्षमता के क्षेत्र में किस विश्‍वविद्यालय ने सर्वाधिक कार्य किया है –मिनीसोटा वि.वि.
  • वर्तमान समय विभिन्‍न व्‍यावसायिक नियुक्तियों से पूर्व अभ्‍यर्थियों का परीक्षण किया जाता है –विशिष्‍ट अभिक्षमता परीक्षण
  • ब्रर्स्‍टन के अनुसर, अभिवृत्ति प्रदर्शित करती है –मनुष्‍य की भावनाओं को, पूर्वाग्रहों को व कल्पित धारणाओं को
  • अभिवृत्ति का स्‍वरूप होता है –अर्जित
  • अभिवृत्ति का निर्माण होता है –भावनाओं, पूर्वाग्रहों एवं विचारों से
  • अभिवृत्ति हो सकती है –धनात्‍मक, ऋणात्‍मक, अच्‍छी एवं बुरी से सभी
  • अभिवृत्ति प्रभावित होती है –वातावरण से, पूर्वाग्रहों से, कल्‍पनाओं से
  • अभिवृत्ति का स्‍वरूप सभी व्‍यक्तियों में होता है –असमान
  • अभिवृत्ति का परिवर्तन करता है –सम्‍भव
  • अभिवृत्ति के मापन एवं मूल्‍यांकन में अभाव होता है –विश्‍वसनीयता एवं वैधताका
  • अभिवृत्ति से व्‍यक्ति का सर्वाधिक प्रभावित होता है –व्‍यवहार
  • अभिवृत्ति का मापन किया जा सकता है –मुक्‍त प्रतिक्रिया द्वारा, मुक्‍त राय द्वारा, आत्‍मकथ्‍य द्वारा
  • एक बालक प्रत्‍येक तथ्‍य को परीक्षण एवं प्रयोग के बाद ही स्‍वीकारकरता है। उसकी यह अभिवृत्ति मानी जाएगी –वैज्ञानिक अभिवृत्ति, सामान्‍य अभिवृत्ति
  • एक व्‍यक्ति की अभिवृत्ति का पता लगाया जा सकता है –डायरी लेखन से, आत्‍मकथा से
  • आदत का आशय है –सीखा हुआ व्‍यवहार, अर्जित व्‍यवहार
  • लैडेल के अनुसार, आदत का प्रारम्‍भ किया जाता है –स्‍वेच्‍छा से, जान-बूझकर
  • किसी कार्य का स्‍वाभाविक रूप से सम्‍पन्‍न होना पाया जाता है –आदत के अन्‍त में
  • ”आदत व्‍यवहार का नाम है।” यह कथन है –गैरेट का
  • आदत के विकास के बाद में किसीमानव का व्‍यवहार हो जाता है –यंत्रवत
  • सामान्‍य रूप से आदतें होती हैं – अच्‍छी एवं बुरी
  • निम्‍नलिखित में कौन-सी आदतें बैलेन्‍टाइन के वर्गीकरण से सम्‍बन्धित हैं –यान्त्रिक आदतें, शारीरिक अभिलाषा सम्‍बन्‍धी आदतें, नाड़ी मण्‍डल की आदतें
  • रायबर्न के अनुसार, आदतें किसी कार्य के सम्‍पन्‍न करने में बचत करतीहैं –समय एवं मानसिक शक्ति की
  • आदत को दूसरा स्‍वभाव किस विद्वान ने कहा है –ड्यूक ऑफ वैलिंगटन ने
  • ड्यूक ऑफ वैलिंगटन ने आदत को स्‍वभाव से अधिक शक्तिशाली माना है –दस गुना
  • चरित्र पुंज है –अच्‍छी आदतों का
  • अच्‍छी आदतों का सम्‍बन्‍ध होता है –संवेगात्‍मक स्थिरता से
  • ब्‍लेयर ने आदत को माना है –व्‍यक्तित्‍व का आवरण
  • सरसेल के अनुसार, आदत है –सन्‍तोष व असन्‍तोष का चिन्‍ह
  • जेम्‍स के अनुसार, आदतें हैं –समाज का विशाल चक्र, समाज की श्रेष्‍ठ संरक्षिका
  • आदत का सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है –व्‍यक्तित्‍व पर एवं व्‍यवहार पर
  • बहिर्मुखी व्‍यक्ति होता है –उसकी सामाजिक कार्योंमें विशेष रुचि होती है।
  • ‘Personality’ शब्‍द का उद्गम –लैटिन भाषा से हुआ है।
  • ”व्‍यक्तित्‍व शब्‍द का प्रयोग व्‍यक्ति के शारीरिक, मानसिक, नैतिक और सामाजिक गुणों के सुसंगठित तथा गत्‍यात्‍मक संगठन के लिए किया जाता है, जिसे वह अन्‍य व्‍यक्तियों के साथ अपने सामाजिक जीवन के आदान-प्रदान में प्रकट करता है।” यह कथन है –ड्रेवर
  • थार्नडाइक ने व्‍यक्ति को किस आधार पर बांटा है –चिन्‍तन व कल्‍पना शक्ति के आधार पर
  • वेदान्‍त दर्शन के आधर पर शरीर की रचना किस कोष से नहीं मानी जाती है –भावना कोष
  • सांवेगिक स्थिरता में किस वस्‍तु के प्रति निर्वेद अधिगम को बढ़ाते हैं –साहस, जिज्ञासा, भौतिक वस्‍तु
  • रक्‍त प्रधान व्‍यक्ति – प्रसन्‍नचित्‍त होते हैं, चंचल होते हैं, क्रियाशील होते हैं।
  • बालक किसी कार्य को अपनी इच्‍छा से करता है, वह है –सकारात्‍मक प्रे‍रणा
  • स्‍वधारणा अभिप्रेरक है –चेतावनीपूर्ण आन्‍तरिक धारणा
  • गत्‍यात्‍मक प्रतिरूप से तात्‍पर्य है –व्‍यक्ति विशेष के प्रेरकों एवं संवेगों का प्रभाव, जो उसके व्‍यवहार में परिवर्तन उत्‍पन्‍न करता है।
  • जो प्रेरक वातावरण के सम्‍पर्क में आने से विकसित होता है, वह है –अर्जित प्रेरक
  • वह कारक जो व्‍यक्ति को कार्य करने के लिए उत्‍साह बढ़ाता या घटाता है,– अभिप्रेरणा
  • जन्‍मजात प्रेरक नहीं है –आदत
  • फ्रॉयड ने सबसे अधिक बल किस मूल प्रवृत्ति पर दिया है –काम प्रवृत्ति
  • किस विद्वान के अनुसार, प्रेरकों का वर्गीकरण ‘जन्‍मजात’व ‘अर्जित’ है –मैस्‍लो
  • ”अभिप्रेरणा, अधिगम का सर्वोच्‍च राजमार्ग है।” यह कथन किसका है –स्किनर का
  • मोटीवेशन शब्‍द की उत्‍पत्ति हुई है, लैटिन भाषा के –मोटम धातु से
  • प्रेरणा के स्रोत हैं –चालक, प्रेरकउद्दीपन
  • प्रेरणा का प्रमुख स्‍थान है  सीखने में, लक्ष्‍य की प्राप्ति में, चरित्र निर्माण में
  • प्रेरणा होती है – सकारात्‍मक व नकारात्‍मक
  • अभिप्रेरणा द्वारा व्‍यवहार किया जाता है – दृढ़
  • जो प्रेरक सीखे जाते हैं, उसे कहते हैं – अर्जित प्रेरक
  • बाह्य प्रेरणा को कहते हैं – नकारात्‍मक प्रेरणा
  • अर्जित प्रेरक के अन्‍तर्गत आते हैं – जीवन लक्ष्‍य व मनोवृत्तियां, मद-व्‍यसन, आदत की विवशता
पर्यावरण अध्ययन ( Environmental Studies ) के सभी पार्ट निचे दिए गए है 

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  • बहिर्मुखी बालक की विशेषता नहीं है – आक्रामक
  • यह वह शक्ति है जिसके द्वारा व्‍यक्ति अपने सम्‍बन्‍ध जानता है कि वह क्‍या है तथा दूसरे व्‍यक्ति उसके बारे में क्‍या सोचते हैं – इस शक्ति का नाम क्‍या है – आत्‍मचेतना
  • कैटिल ने व्‍यक्तित्‍व के प्राथमिक शील गुण बताए हैं – बारह
  • वातावरण का निम्‍न में से कौन-सा प्रकार नहीं है – व्‍यक्ति व उसका स्‍वयं का व्‍यक्तित्‍व
  • व्‍यक्ति का जन्‍मजात प्रेरक है – ऐवरिल का
  • ”प्रेरणा, कार्य को आरम्‍भ करने, जारी रखने और नियमित करने की प्रक्रिया है।” यह कथन किसका है – गुड का
  • मोटिवेशन(Motivation) शब्‍द की उत्‍पत्ति किस भाषा के शब्‍द से हुई है – लैटिन
  • किसकी क्रियाशीलता का सम्‍बन्‍ध मनुष्‍य की पाचन क्रिया से भी होता है – सर्वकिंवी ग्रन्थि
  • आकर्षक व्‍यक्तित्‍व हमें सतत अपने जीवन पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता रहता है – वातावरण के साथ समायोजन, आत्‍मचेतना व सामाजिकता, ध्‍येय की ओर अग्रसर होना, इनमें से कोई नहीं
  • जैविकीय कारकों को किन भागों में बांटा जा सकता है – शरीर रचना व नलिकाविहीन ग्रन्थियां
  • व्‍यक्तित्‍व शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, संवेगात्‍मक क्रियाओं का एक रूप है, जो – जो गत्‍यात्‍मक संगठन है।
  • निम्‍नांकित पद्धति व्‍यक्तिगत भेद को ध्‍यान में नहीं रखकर शिक्षण में प्रयुक्‍त की जाती है – व्‍याख्‍यान पद्धति
  • मनोविश्‍लेषणात्‍मक दृष्टिकोणके अन्‍तर्गत – इदम्, अहम्, परम अहम्
  • जिन तथ्‍यों का निर्धारण किया जाता है और उनका सार निकालकर संख्‍यात्‍मक रूप में व्‍य‍क्‍त करना कहलाता है – निर्धारण मान
  • जब किसी व्‍यक्ति का अवलोकन निश्चित परिस्थितियों में ही किया जाता है, तो वह कहलाता है – नियन्त्रित अवलोकन
  • बालकों के सीखने में प्रेरणा को किस रूप में उपयोगी माना जाता है – पुरस्‍कार एवं दण्‍ड
  • ”सत्‍य अथवा तथ्‍यों के दृष्टिकोण से उत्‍तम प्रतिक्रिया का बल ही बुद्धि है।” बुद्धि की यह परिभाषा है – थार्नडाइक की
  • बालक को दाएं-बाएं का ज्ञान हो जाता है – 6 वर्ष की आयु में
  • बुद्धिलब्धि का सम्‍बन्‍ध है – बुद्धि से
  • बुद्धिलब्धि को ज्ञात करने का सूत्र किस मनोवैज्ञानिक ने दिया है – स्‍टर्न ने
  • सूक्ष्‍म तथा अमोघ प्रश्‍नों का चिन्‍तन तथा मनन द्वारा हल करती है – अमूर्त बुद्धि
  • निम्‍नांकित में से कौन-सा परीक्षण निष्‍पादन परीक्षण है – आकृतिफलक परीक्षण, भूलभुलैया परीक्षण, एवं वस्‍तु संयोजन
  • सांवेगिक स्थिरता में किस वस्‍तु के प्रति निर्वेद अधिगम को बढ़ाते हैं – साहस, जिज्ञासा, भौतिक वस्‍तु
  • कोई व्‍यक्ति डॉक्‍टर बनने की योग्‍यता रखता है तो कोई व्‍यक्ति शिक्षक बनने की योग्‍यता। यह किस कारण से होती है – अभिरुचि के कारण
  • एक बालककी बुद्धिलब्धि 150 है, तो वह बालक है – प्रतिभाशाली बालक
  • बुद्धिलब्धि के लिए विशिष्‍ट श्रेय किस मनोवैज्ञानिक को जाता है – स्‍टर्न को
  • सामान्‍य बुद्धि बालक प्राय: किस अवस्‍था में बोलना सीख जाता है – 11 माह
  • बुद्धि के सिद्धान्‍त है – द्वि-तत्‍व सिद्धान्‍त, असत्‍तात्‍मक सिद्धान्‍त, क्रमिक महत्‍व का सिद्धान्‍त
  • विकास से अभिप्राय है – शारीरिक, मानसिक तथा व्‍यावहारिक संगठन, वातावरण से सम्‍बन्धित, जीवन-पर्यन्‍त सम्‍भव
  • वृद्धि से अभिप्राय है – शारीरिक एवं व्‍यावहारिक परिवर्तन, शारीरिक एवं मानसिक परिपक्‍वता, निश्चि आयु के पश्‍चात रुकना
  • अमूर्त बुद्धि, सामाजिक बुद्धि या यान्त्रिक बुद्धियह तीनोंबुद्धि के प्रकार किस मनोवैज्ञानिक ने बताए हैं – थार्नडाइक ने
  • ”ऐसी समस्‍याओं को हल करने की योग्‍यता जिनमेंज्ञानऔर प्र‍तीकों को समझने और प्रयोग करने की आवश्‍यकता हो, जैसे – शब्‍द, अंक, रेखाचित्र, समीकरण और एकसूत्र, ही बुद्धि है।” यह कथन कहा है – एच. ई. गैरेट ने
  • संक्रियाओं के आधार पर बौद्धिक योग्‍यता है – संज्ञान व स्‍मृति, अपसारी चिFतन, अभिसारी चिन्‍तन
  • सामाजिक बुद्धि में थॅर्नडाइक ने क्‍या माना है – सद्भाव
  • ”निर्णय, सद्भावना, उपकरण, समझने की योग्‍यता, युक्तियुक्‍त तर्क और वातावरण में अपने को व्‍यवस्थित करने की शक्ति ही बुद्धि है।” यह कथन है – बिने और साइमन का
  • द्विखण्‍ड बुद्धि के सिद्धान्‍त को प्रतिपादित किया– स्‍पीयनमैन ने
  • ”बुद्धि कार्य करनेकी एक विधि है।” यह कथन है – बुडवर्थ का
  • ”बुद्धि पहचानने तथा सीखने की शक्ति है।” यह कथन है – गाल्‍टन का
  • बुद्धि का त्रिआयामी सिद्धान्‍त किसने दिया था  स्‍पीयरमैन ने
  • वैश्‍लर ने निम्‍नलिखित में से किन योग्‍यताओं को सम्मिलित किया है – वातावरण को प्रभावशाली ढंग से व्‍यवहार करने की योग्‍यता, तर्कपूर्ण चिन्‍तन की योग्‍यता, उद्देश्‍यपूर्ण कार्य करने की योग्‍यता
  • यदि किसी बालक की शारीरिक आयु 10 वर्ष तथा मानसिक आयु 13 वर्ष है तो उसकी बुद्धिलब्धि क्‍या होगी – 130
  • ”बुद्धि वह शक्ति है जो हमको समस्‍याओं का समाधान करने और उद्दश्‍यों को प्राप्‍त करने की क्षमता देती है।” यह कथन है – क्रानबेक का
  • बुद्धि के द्विखण्‍ड सिद्धान्‍त का प्रतिपादन किया – स्‍वीयरमैन ने
  • बिने-साइमन बुद्धि परीक्षण का संशोधन करने वाले हैं – टर्मन
  • TAT में कहानियों का विश्‍लेषण किस आधार पर किया जाता है – कहानी की भाषा-शैली कैसी है, कहानी का कथानक क्‍या है, कहानी में मापन का व्‍यक्तित्व कैसा है।
  • बुद्धि के एकतत्‍व सिद्धान्‍त के प्रतिपादक थे – बिने, टर्मन, स्‍टर्न
  • बुद्धि के बहुकारक सिद्धान्‍त के प्रतिपादक थे – थार्नडाइक
  • ”सतर्क रहने की शक्ति का नाम बुद्धि है – स्‍टाउट का
  • अपने को पुस्‍तकीय ज्ञान के प्रति व्‍यवस्थित करने की योग्‍यता कौन-सी बुद्धि कहलाती है – अमूर्त
  • थर्स्‍टन ने किस विधि का प्रयोग किया – सांख्यिकीय विधि का
  • बैलार्ड ने बुद्धि और ज्ञान में अन्‍तर नहीं माना है – बुद्धि एक मानसिक योग्‍यता है जबकि ज्ञान, रुचि और आदत रूपी साधनों द्वारा किया जाता है।
  • थर्स्‍टन के सिद्धान्‍त का प्रभाव – छोटे बालकों, किशोरावस्‍था बालकों, प्रौढ़ों इनमें से किसी पर नहीं पड़ा।
  • अन्‍तर्दृष्टि पर प्रभाव डालने वाले तत्‍व हैं – बुद्धि, अनुभव, प्रयत्‍न एवं त्रुटि
  • स्‍वीयरमैन के अनुसर बुद्धि के तत्‍व हैं – सामान्‍य योग्‍यता एवं विशिष्‍ट योग्‍यता
  • यदि एक बालक की वास्‍तविक आयु 10 वर्ष है और उसकी मानसिक आयु 20 वर्ष है तो उसकी बुद्धिलब्धि होगी – 123
  • 25 से 46 बुद्धिलब्धि वाले बालक किस श्रेणी के अन्‍तर्गत आते हैं – मूर्ख बालक
  • अति प्रतिभावान बालकों का बुद्धिलब्धि मान होता है – 140 और 169 के मध्‍य
  • टर्मन के अनुसार, प्रतिभाशाली व्‍यक्ति की बुद्धिलब्धि कितने से अधिक होती है – 140 से
  • पैटर्न ड्राइंग परीक्षण के प्रतिपादक हैं – डॉ. भाटिया
  • 1927 में सर्वप्रथम किसने सामूहिक बुद्धि परीक्षाओं के सम्‍बन्‍ध में सबसे पहले कार्य किया – जे.मुनरो ने
  • बुद्धि को मापने के लिए बुद्धिलब्धि (IQ) का आविष्‍कार किसने किया – राइस ने
  • सन् 1860 में किसने यह सिद्ध किया था कि व्‍यक्तियों में उच्‍च बौद्धिक योग्‍यताएं उनके वंशानुक्रम का परिणाम होती है – गाल्‍टन ने
  • बुद्धि और ज्ञान का अन्‍तर है – बुद्धि जन्‍मजात होती है, ज्ञान अर्जित होता है।
  • केली के अनुसार बुद्धि होती है – नौ योग्‍यताओं का समूह
  • बुद्धि के द्वि-तत्‍व सिद्धान्‍त के समर्थक हैं – स्‍वीयरमैन
  • बुद्धि में एक विशेषता होती है – जन्‍मजात शक्ति होना।
  • ”बुद्धि पहचानने तथा सीखने की शक्ति है।” यह परिभाषा है – गाल्‍टन की
  • ”एक बालक खिलौने को तोड़कर पुन: जोड़ने का प्रयास करता है।” यह कार्य जिस बुद्धि से सम्‍बन्धित है, वह है – मूर्त बुद्धि
  • बुद्धि का क्रमिक महत्‍व का सिद्धान्‍त किसने दिया है –cVZ बर्ट ने
  • वर्ग घटक या संघ सत्‍तात्‍मक सिद्धान्‍त किसने दिया था – थॉमसन ने
  • बहु मानसिक योग्‍यता का सिद्धान्‍त किसने प्रतिपादित किया था – थर्स्‍टन ने
  • ”बुद्धि लक्ष्‍य है और ज्ञान उस सीमा तक पहुंचने का केवल एक साधन।” यह कथन किसका है – रॉस का
  • बुद्धि की विशेषताएं कौन-कौन सी हैं – जन्‍मजात शक्ति है, अमूर्त चिन्‍तन की योग्‍यता, नवीन परिस्थितियों में सामंजस्‍य
  • उत्‍कृष्‍ट बालक की बुद्धिलब्धि होती है – 140-200 तक
  • मनोविज्ञान की प्रथम प्रयोगशाला को स्‍थापित करने का श्रेय प्राप्‍त है – वुण्‍ट को
  • बुद्धि परीक्षणों का व्‍यक्तिगत बुद्धि परीक्षण के रूप में परीक्षण किसने किया था – बिने व साइमन
  • 71-80 बुद्धिलब्धि वाले बालक को कहा जाता है – अल्‍प बुद्धि
  • मिश्रित वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण कहा जाता है – बिने-साइमन बुद्धि परीक्षण को
  • प्रथम बिने साइमन बुद्धि परीक्षण की शुरूआत हुई थी सन् – 1905 में
  • एक व्‍यक्ति की वास्‍तविक आयु 20 वर्ष है तथा मानसिक आयु 25 वर्ष है तो उसकी बुद्धिलब्धि होगी – 125
  • क्रियात्‍मक समूह परीक्षण बैटरी का निर्माण किसने किया – डॉ. अलेक्‍जैण्‍डर ने
  • सामूहिक बुद्धि परीक्षणों का जन्‍म अमेंरिका में कब हुआ – प्रथम विश्‍व-युद्ध के समय
  • एक बालक की मानसिक आयु (MA) 12 वर्ष है तथा उसकी शारीरिक आयु (CA) 16 वर्ष है, तो उसकी बुद्धि-लब्धि (IQ) होगी – 75
  • ”रुचि किसी प्रवृत्ति का क्रियात्‍मक रूप है।” यह परिभाषा किसने दी है – ड्रेवर ने
  • रुचियोंका निर्धारण करते हैं आवश्‍यकता, प्रतिष्‍ठा, मूल्‍य व समझ
  • बालकों को रुचि परीक्षण दिया है –स्‍ट्रांग तथा कूडर ने
  • सीखने की प्रक्रिया सम्‍पादित होती है –शिक्षकों से
  • प्राणी के व्‍यवहार को संचालित करने वाली जन्‍मजात एवं अर्जित प्रवृत्तियों को कहते हैं –प्रेरक
  • प्रेरणा की प्रक्रिया किसकी अनुपस्थिति में क्रियाशील नहीं हो सकती है –अभिप्रेरक
  • निम्‍न में से कौन-सा कार्य अभिप्रेरणा द्वारा नहीं किया जाता है –अपनी आवश्‍यकताओं की पूर्ति के सम्‍बन्‍ध में असन्‍तोष उत्‍पन्‍न करना।

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