पर्यावरण अध्ययन ( Part – 9 ) Topic – प्रदूषण ( Pollution )

पर्यावरण अध्ययन (Part – 9) Topic – प्रदूषण ( Pollution ) :- दोस्तो जैसा कि आप सभी जानते हैं कि पर्यावरण आजकल प्रत्येक Competitive Exams में बहुर ज्यादा पुंछा जाने लगा है , तो इसी को ध्यान में रखते हुये आज हम इस पोस्पट में पर्यावरण अध्ययन ( Environmental studies ) के One Liner Question and Answer के पार्ट उपलब्ध कराऐंगे , जो आपको सभी तरह के Exam जैसे CTET ,  MP Samvida Teacher , MPPSC आदि व अन्य सभी Exams जिनमें कि पर्यावरण अध्ययन ( Environmental studies ) आता है उसमें काम आयेगी !

आज की हमारी पोस्ट पर्यावरण अध्ययन ( Environmental studies ) का 9th पार्ट है जिसमें कि हम पर्यावरण अध्ययन ( Environmental Studies ) Part – 9 [ Topic – प्रदूषण ( Pollution ) ]से संबंधित Most Important Question and Answer को बताऐंगे ! तो चलिये दोस्तो शुरु करते हैं !

 

Topic – प्रदूषण ( Pollution )

  • हवा में तैरते हुए श्‍वसनीय सूक्ष्‍म कणों का आकार होता है – 5 माईक्रोन से कम
  • जलवायु एवं स्‍वच्‍छ वायु गठबंधन (Climate and clean air coalition : CCAC) विभिन्‍न देशों, नागरिक समाजों (Civil Societies) व निजी क्षेत्रों का एक वैश्विकप्रयास है जो अल्‍पजीवी जलवायु प्रदूषकों को न्‍यूनीकृत कर प्रतिबद्ध है – वायु की गुणवत्‍ता को बेहतर बनानेहेतु
  • यह प्रकृति में घटित होने वाली जैव निम्‍नीकरण प्रक्रिया का ही संवर्धन कर प्रदूषण को स्‍वच्‍छ करने की तकनीक है – जैवोपचारण (बायोरेमीडिएशन)
  • जैवोपचारण के लिए विशेषत: अभिकल्पित सूक्ष्‍म जीवों को सृजित करनेके लिए उपयोग किया जा सकता है – आनुवंशिक इंजीनियरी का (Genetic Engineering)
  • मानव-जनित पर्यावरणीय प्रदूषण कहलाते हैं – एन्‍थ्रोपोजेनिक
  • वे पदार्थ जिनसे प्रदूषण फैलता है, कहलाते हैं – प्रदूषक
  • जैव निम्‍नीकरणीय रहित प्रदूषक मुख्‍यतया पर्यावरण में प्रवेश करते हैं – मानव-जनित (एंथ्रोजेनिक) प्रदूषण के कारण
  • जैव-विघटित प्रदूषक हैं – वाहित मल
  • ऐसे प्रदूषक जो सूक्ष्‍म जीवों जैसे-जीवाणु आदि के द्वारा समय के साथ प्रकृति में सरल, हानिरहित तत्‍वों में विघटित कर दिए जाते हैं, कहलाते हैं – जैव-विघटित प्रदूषक
  • कोयला, पेट्रोल, डीजल आदि का दहन मूल स्रोत है – वायु प्रदूषण का
  • जब मानवीय या प्राकृतिक कारणों से वायुमंडल में उपस्थित गैसों के निश्चित अनुपात में (विषाक्‍त गैसों या कणकीय पदार्थों की वजह से) अवांछनीय परिवर्तन हो जाता है, तो इसे कहते हैं – वायु प्रदूषण
  • वायु प्रदूषण के दो स्रोत्र हैं (i) प्राकृतिक स्रोत और (ii) मानवजनित स्रोत। वनाग्नि तथा ज्‍वालामुखी उद्गार, जैविक पदार्थों के सड़ने-गलने से निकलने वाली गैसें, जैसे- सल्‍फर डाइऑक्‍साइड (SO2), नाइट्रोजन के ऑक्‍साइड (NOX) इत्‍यादि आते हैं – प्राकृतिक स्रोत में
  • जैव अपघटनीय प्रदूषक हैं – सीवेज
  • प्रकाश-रसायनी धूम कोहरे के बनने के समय उत्‍पन्‍न होता है – नाइट्रोजन ऑक्‍साइड
  • प्रकाश रासायनिक घूम कोहरा (Smog) शब्‍द बना है – Smoke और Fog के मिलने से
  • जहां पर अधिक यातायात रहताहै, वहां पर भी गर्म परिस्थितियों तथा तेज सूर्य विकिरण से निर्माण होता है – प्रकाश-रासायनिक धूम्र कोहरे का
  • नाइट्रोजन के ऑक्‍साइड (NOX), ओजोन (o3) तथा पेरॉक्‍सीएसीटिलनाइट्रेट से बनता है – प्रकाश-रासायनिक धूम्र कोहरा
  • सूर्य विकिरण वाले क्षेत्रों में या खास मौसम में धूम्र कोहरा अपूर्ण रूप से बनता है। ऐसी वायु को कहते हैं – भूरी वायु
  • प्रकाश-रासायनिक धूम का बनना किनके बीच अभिक्रिया का परिणाम होता है – NO2, O3 तथा पेरॉक्‍सीऐसिटिलनाइट्रेट के बीच, सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में
  • गर्म, शुष्‍क और तीव्र सौर विकिरण वाले महानगरों में वायुमंडलीय हाइछ्रोकार्बन और वाहनों व बिजली संयंत्रों से निकलने वाली नाइट्रोजन ऑक्‍साइड सूर्य के प्रकाशमें अभिक्रिया करके कई सारे द्वितीयक प्रदूषक बनाती है, जैसे- – ओजोन, फॉर्मेल्डिहाइड और पैरॉक्‍सीएसिटिल नाइट्रेट (PAN) आदि
  • इन अभिक्रियाओं को प्रकाश रासायनिक कहते हैं क्‍योंकि इनमें दोनों शामिल होते हैं –सूर्य का प्रकाश और रासायनिक प्रदूषक
  • ऑक्‍सीजन व नाइट्रोजन के मिलने से नाइट्रिक ऑक्‍साइड (NO) बनती है। यह गैस वायु से मिलकर नाइट्रोजन डाइ ऑक्‍साइड (NO2) का निर्माण करती है। (NO2) है – भूरे रंग की तीखी गैस
  • नवजात ऑक्‍सीजन (Nascent Oxygen) सूर्य के तीव्र प्रकाश की उपस्थिति में ऑक्‍सीजन के एक अणु (O2) से क्रिया करके बना लेती है – ओजोन (O3)
  • परऑक्सिल मूलक या तो ऑक्‍सीजन के अणुओं से मिलकर ओजोन (O3) बना लेते हैं अथवा नाइट्रोजन डाइऑक्‍साइड (NO2) से मिलकर निर्माण करते हैं – पेरॉक्‍सीएसीटिल नाइट्रेट (PAN) का
  • यह क्‍लोरोप्‍लास्‍ट को नुकसान पहुंचाता है। इस वजह से प्रकाश-संश्‍लेषण की क्षमता एवं पौधे का विकास कम हो पाता है। यह कोशिका के माइट्रोकॉन्ड्रिया में होने वाले इलेक्‍ट्रॉन यातायात प्रणाली (Electron Transport Chain-ETC) को बाधित करता है। यह एंजाइम प्रणाली को भी प्रभावित करता है – PAN
  • मनुष्‍यों की आंखों में बहुत ज्‍यादा जलन या उत्‍तेजना पैदा करता है – PAN
  • PAN तथा O3 मिलकर छोटी-छोटी बूंदें बना लेते हैं। वायु में मिलकर PAN तथा O3 धुंध बना लेती है। अधिक धूम्र कोहरे (Smog) के निर्माण से घट जाती है- दृश्‍यता
  • भारी ट्रक यातायात, निर्वाचन सभाएँ, पॉप संगीत, तथा जेट उड़ान में से अधिकतम ध्‍वनि प्रदूषण का कारण है – जेट उड़ान
  • किसी वस्‍तु से उत्‍पन्‍न सामान्‍य आवाज को कहते हैं – ध्‍वनि
  • ध्‍वनि की इकाई है – डेसीबल (dB)
  • अनियोजित औद्योगिक विकास, अत्‍यधिक मोटर वाहनों का प्रयोग तथा यांत्रिक दोषयुक्‍त विभिन्‍न प्रकार के वाहनों का परिचालन योगदान देते हैं – ध्‍वनि प्रदूषण करने में
  • ध्‍वनि की गति से तेज चलने वाले जेट विमानों से उत्‍पन्‍न शोर को कहते है – सोनिक बूम (Sonic Boom)
  • सोनिक बूम को व्‍यक्‍त किया जाता है – मैक इकाई (Mach Unit) में
  • जो वस्‍तुएं ध्‍वनि की रफ्तार से चलती हैं, उनसे उत्‍पन्‍न शोर को कहते है – मैक–1
  • सामान्‍य स्थितियों में वातावरण में प्रदूषण उत्‍पन्‍न करने वाली गैस है – कार्बन मोनोऑक्‍साइड (CO)
  • कार्बन मोनोऑक्‍साइड (CO) जो कि रंगहीन (colourless) तथा अति विषैली (Highly Poisonous) होती है – एक प्रमुख प्राथमिक वायु प्रदुषक (Air Pollutant) है
  • CO वायुमंडल में कम समय के लिए रहती है तथा इसका ऑक्‍सीकरण हो जाता है – CO में
  • एक द्वितीयक प्रदूषक नहीं है – सल्‍फर डाइऑक्‍साइड
  • वे वायु प्रदूषक जो प्रदूषक स्‍त्रोत से सीधे वायु में मिलते हैं, कहलाते हैं – प्राथमिक प्रदूषक
  • ऐसे वायु प्रदूषक जो प्राथमिक वायु प्रदूषकों तथा साधारण वातावरणीय पदार्थों की क्रिया के फलस्‍वरूप उत्‍पन्‍न होते हैं, जाने जाते हैं – द्वितीयक वायु प्रदूषक
  • पीएएन (Peroxyacetyl Nitrate), ओजोन तथा स्‍मॉग (Smog) है – द्वितीयक प्रदूषक
  • सल्‍फर के ऑक्‍साइड (मुख्‍यत: सल्‍फर डाइऑक्‍साइड), नाइट्रोजन के ऑक्‍साइड, कार्बन मोनोऑक्‍साइड हैं – प्राथमिक प्रदूषक
  • अधूरे प्रज्‍जवलन के कारण मोटर कार एवं सिगरेट से निकलने वाली रंगहीन गैस है – कार्बन मोनोऑक्‍साइड
  • यह रक्‍त के हीमोग्‍लोबिन के साथ क्रिया करके एक स्‍थायी यौगिक बना लेती है, जिससे हीमोग्‍लोबिन ऑक्‍सीजन को ऊतकों तक नहीं पहुंचा पाता है। यह मानव स्‍वास्‍थ्‍य के लिए अत्‍यंत हानिकारक गैस है – कार्बन मोनोऑक्‍साइड
  • मोटर वाहनों से निकलने वाली निम्‍न में से कौन-सी एक मुख्‍य प्रदूषक गैस है – कार्बन मोनोऑक्‍साइड
  • वाहनों में पेट्रोल के जलने से धातु वायु को प्रदूषित करती है – लेड
  • इंजन में नॉकिंग (Knocking) रोकने के लिए प्रयुक्‍त किया जाता है – लेड को
  • बच्‍चों में दिमाग के विकास में बाधा पहुंचाता है, उनके बुद्धिलब्धि लेवल (Q .) को घटाता है तथा वयस्‍कों में हृदय व श्‍वसन संबंधी बीमारियों को उत्‍पन्‍न करता है – लेड
  • वायु प्रदूषकों में से जो रक्‍त धारा को दुष्‍प्रभावित कर मौत उत्‍पन्‍न कर सकता है – कार्बन मोनोऑक्‍साइड
  • वायु प्रदूषक ऑक्‍सीजन की अपेक्षा अधिक शीघ्रता से रक्‍त के हीमोग्‍लोबिन में घुल जाता है – कार्बन मोनोआक्‍साइड
  • यह गैस हीमोग्‍लोबिन अणुओं से ऑक्‍सीजन की तुलना में 240 गुना से 300 गुना अधिक तेजी से संयुक्‍त हो जाती है, जिस कारण वायु में पर्याप्‍त ऑक्‍सीजन होने पर भी सांस लेने में कठिनाई होती है और घुटन महसूस होने लगती है – कार्बन मोनोऑक्‍साइड
  • ओजोन, हाइड्रोजन सल्‍फाइड, कार्बन डाइऑक्‍साइड तथा कार्बन मोनोऑक्‍साइड में से जो वायु प्रदूषक सर्वाधिक हानिकारक है, वह है –कार्बन मोनोऑक्‍साइड
  • भूमिगत जल को दूषित करने वाले अजैविक प्रदूषक हैं – आर्सेनिक
  • भारत में कई जगहों पर भूमिगत जल आर्सेनिक से सेक्रमित होते हैं। यह संक्रमण मुख्‍यतया प्रकृति में पाए जाने वाले उत्‍पन्‍न आर्सेनिक से होता है, जो उत्‍पन्‍न होता है – बेडरॉक (Bed Rock) से
  • आर्सेनिक के लगातार संपर्क से बीमारी हो जाती है – ब्‍लैक फुट
  • विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ( H.O.) के मानक के अनुसार, आर्सेनिक की मात्रा होनी चाहिए –0.05 मिग्रा/लीटर
  • धान का पौधा बेहतर अवशोषक माना जाता है – आर्सेनिक का
  • भू-जल के जरिए आर्सेनिक अनाज में पहुंच रहा है। इससे प्रभावित हो रही है – समूची खाद्य श्रृंखला
  • उर्वरक के अत्‍यधिक प्रयोग से होता है – मृदा प्रदूषण, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण
  • यह प्रदूषण विभिन्‍न प्रकार के फसलों के माध्‍यम से मानव एवं पशुओं के आहार श्रृंखला में भी पहुंचता है तथा विभिन्‍न प्रकार की गंभीर बीमारियों से मनुष्‍य एवं पशुओं को ग्रस्‍त करता है – उर्वरक
  • अकार्बनिक पोषक जैसे फॉस्‍फेट तथा नाइट्रेट घुलकर जलीय पारिस्थितिकी तंत्र में आ जाते हैं। यह जलीय पारिस्थितिकीतंत्र में बढ़ाते हैं – सुपोषण (Eutrophication) को
  • अकार्बनिक उर्वरक तथा कीटनाशक अवशेष मृदा के रासायनिक गुणों को बदल देते हैं तथा विपरीत प्रभाव डालते हैं – भूमि के जीवों पर
  • औद्योगिक मलबे से सर्वाधिक रासायनिक प्रदूषण होता है – चमड़ा उद्योग से
  • जल प्रदूषण तथा मृदा प्रदूषण के लिए प्रमुख रूप से यही उद्योग उत्‍तरदायी है – चमड़ा उद्योग
  • अम्‍ल वर्षा, निम्‍नांकित द्वारा वायु प्रदूषण के कारण होती है – नाइट्रस ऑक्‍साइड एवं सल्‍फर डाइऑक्‍साइड
  • सामान्‍यतया ऐसी वर्षा जिसका pH मान 5-6 से कम हो, कहलाती है – अम्‍ल वर्षा
  • वातावरणीय प्रदूषण, औद्योगिक नि:सृतों एवं प्रकृति में होने वाली विभिन्‍न क्रियाओं के फलस्‍वरूप उत्‍पन्‍न सल्‍फर डाइऑक्‍साइड तथा नाइट्रस ऑक्‍साइड गैसें वायुमंडल में पहुंचकर, ऑक्‍सीजन और बादल के जल के साथ रासायनिक अभिक्रिया कर क्रमश: सल्फ्यूरिक अम्‍ल तथा नाइट्रिक अम्‍ल बनाकर वर्षा के साथ पृथ्‍वी पर गिरती हैं। इससे पृथ्‍वी पर होता है – अम्‍ल का जमाव
  • अम्‍लीयता का लगभग आधा हिस्‍सा वायुमंडल से पृथ्‍वी पर स्‍थानांतरित होकर जमा होता है – शुष्‍क रूप में
  • मरूस्‍थलीय क्षेत्र में शुष्‍क से आर्द्र निक्षेप का अनुपात उच्‍च रहता है, क्‍योंकि वहां पर ज्‍यादा होता है – शुष्‍क जमाव
  • अम्‍लीय वर्षा, अम्‍लीय कोहरे और अम्‍लीय धुंध को सम्मिलित रूप से कहा जाता है – अम्‍ल निक्षेप
  • अम्‍ल वर्षा के लिए उत्‍तरदायी गैसें हैं – नाइट्रस ऑक्‍साइड एवं सल्‍फर डाइऑक्‍साइड
  • उद्योगों एवं यातायात के उपकरणों से निस्‍सृत नाइट्रस ऑक्‍साइड (N2O) तथा सल्‍फर डाइऑक्‍साइड (SO2) जैसी गैसें वायुमंडल में स्थित जलवाष्‍प से प्रतिक्रिया करके सल्‍फ्यूरिक तथा नाइट्रिक अम्‍ल बनाती हैं और ओस अथवा वर्षा की बूंदों के रूप में पृथ्‍वी पर गिरने लगती हैं। यही कहलाती है – अम्‍ल वर्षा
  • अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर सल्‍फर के उत्‍सर्जन में कमी का प्रयास किया जा रहा है – हेलसिंकी प्रोटोकॉल (1985) के तहत
  • मथुरा की तेलशोधनशालाओं से उत्‍सर्जित SOसे उत्‍पन्‍न अम्‍ल वर्षा, क्षति पहुंचा रही है – ताजमहल के सौंदर्य को
  • ताजमहल पर अम्‍ल वर्षा से जनित हानिकारक प्रभाव को रोकने के लिए भारत सरकार दवारा विकसित किया गया है – ताज ट्रेपिजियम( Taz trapzium) जोन
  • SOको कैकिंग गैस (Cracking Gas) भी कहते हैं, क्‍योंकि यदि लगातार यह पत्‍थर पर प्रवाहित की जाए, तो पत्‍थर हो जाता है – क्षत-विक्षत
  • अधिक अम्‍लता के कारण अम्‍ल वर्षा के हाइड्रोजन आयन एवं मृदा के पोषक धनायन (यथा K+ एवं mg++) के बीच आदान-प्रदान होता है। इसके फलस्‍वरूप पोषक तत्‍वों का निक्षालन (Leaching) हो जाता है एवं समाप्‍त हो जाती है – मृदा की उर्वरता
  • अम्‍ल वर्षा में वे प्रदूषक जो वर्षा जल एवं हिम को प्रदुषित करते हैं – सल्‍फर डाइऑक्‍साइड, नाइट्रोजन आक्‍साइड
  • अम्‍ल वर्षा होती है – बादल के जल एवं सल्‍फर डाइआक्‍साअड प्रदूषकों के मध्‍य प्रतिक्रिया के फलस्‍वरूप
  • शंकुधारी वृक्षों के घने कैनौपी में पत्तियों के भूरे रंग के लिए उत्‍तरदायी होता है – अम्‍ल वर्षा का निक्षेप
  • अम्‍ल वर्षा कम हो जाता है – मृदा के pH का मान
  • अम्‍ल वर्षा जहरीली धातुओं को उनके प्राकृतिक रासायनिक यौगिकों से टूटने में मदद करती है। ये धातु पीने योग्‍य जल एवं मृदा में प्रवेश कर दुष्‍प्रभाव डालते हैं – बच्‍चों के तंत्रिका तंत्र पर
  • वर्षा के पानी में घुलने से वर्षा का पानी अम्‍लीय (अम्‍ल वर्षा) हो जाता है – सल्‍फर ऑक्‍साइड के कारण
  • एक वायु प्रदूषक गैस है और जीवाश्‍म ईंधन के ज्‍वलन स्‍वरूप उत्‍पन्‍न होती है –सल्‍फर डाइऑक्‍साइड
  • वायु प्रदूषण से संबंधित नहीं है – युट्रोफिकेशन
  • जल में जब जैविक तथा अजैविक दोनों प्रकार के पोषक तत्‍वों की वृद्धि हो जाती है, तो इस घटना को कहते हैं – सुपोषण
  • अत्‍यधिक पोषकों की उपस्थ्‍िति में शैवालों का विकास तेजी से होने लगता है। इसे कहते हैं – शैवाल ब्‍लूम (Algal BIoom)
  • एस्‍बेस्‍टस फाइबर से घिरे वातावरण में ज्‍यादा देर रहने से हो जाता है – एस्‍बेस्‍टोसिस
  • ‘फ्लाई ऐश’ एक प्रदूषक दहन उत्‍पाद है, जो जलाने से प्राप्‍त होता है – कोल (पत्‍थर के कोयले) को
  • कोल के दहन से उत्‍पन्‍न प्रदूषक है – फ्लाई ऐश (Fly ash)
  • कोयला आधारित ताप विद्युत घरों से उत्‍पन्‍न होने वाले इस सूक्ष्‍म पाउडर से जीवों में होते हैं – श्‍वशन संबंधी रोग
  • जिसे वायु में मिलने से रोकने के लिए इलेक्‍ट्रोस्‍टेटिक अवक्षेपक (Electrostatic Prescipitator) या अन्‍य कण निस्‍यंदन उपकरणों का प्रयोग किया जाता है – फ्लाई ऐश
  • ‘ग्रीन मफ्लर’ संबंधित है – ध्‍वनि प्रदूषण से
  • विशालकाय हरे पौधे अधिक ध्‍वनि प्रदूषण वाले क्षेत्रों में रोपित किए जाते हैं क्‍योंकि उनमें ध्‍वनि तंरगों को अवशोषित करने की क्षमता होती है। ध्‍वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने वाले ये हरे पौधे कहलाते हैं – ग्रीन मफ्लर
  • भोपाल गैस त्रासदी (मिथाइल आइसोसाइनेट- ‘मिक’ रिसाव) की घटना हुई थी – 3 दिसंबर, 1984 को
  • भोपाल मे यूनियन कार्बाइड फैक्‍ट्री से जो गैस रिस गई थी, वह थी – मिथाइल आइसोसायनेट
  • भोपाल गैस त्रासदी में जिस गैस के रिसने पर बड़े पैमाने पर मृत्‍यु हुई – एम.आई.सी.
  • भोपाल गैस त्रासदी में संबंधित यौगिक का नाम था – मेथाइल आइसोसायनेट
  • पॉलिथीन की थैलियों को नष्‍ट नहीं किया जा सकता, क्‍योंकि वे बनी होती हैं – पॉलीमर से
  • मूलत: कार्बन एवं हाइड्रोजन के अणुओं के मिलने से बनता है। यह एथिलीन CH4 का पॉलीमर (बहुलक) होता है – पॉलि‍थीन
  • इसकी खोज 1953 ई. इटली के रसायनशास्‍त्री गिलियो नत्‍ता और कार्ल जिगलर (जर्मनी) ने की। इन्‍होंने सर्वप्रथम देखा कि कार्बन एवं हाइड्रोजन के कण आपस में एक श्रृंखला बनाते हैं तथा एकल बन्‍ध एवं द्विबन्‍ध के रूप में स्‍थापित हो जाते हैं। इस खोज के लिए गिलियो नत्‍ता एवं कार्ल जिगलर को 1963 ई. में रसायन का नोबेल पुरस्‍कार प्राप्‍त हुआ – पॉलिथीन की
  • वस्‍तु जो जीवाणुओं से नष्‍ट नहीं होती – प्‍लास्टिक
  • जैव-निम्‍नीकरणीय है – रबर
  • वे पदार्थ जो जैविक प्रक्रम द्वारा अपघटित हो जाते हैं, कहलाते हैं – जैव-निम्‍नीकरणीय
  • सिगरेट का टुकड़ा, चमड़े का जूता, फोटो फिल्‍म तथा प्‍लास्टिक का थैला में से जिसके क्षय होने में सबसे अधिक समय लगता है – प्‍लास्टिक का थैला
  • वायु प्रदूषण के जैविक सूचक का कार्य करता है – लाइकेन
  • शैवाल तथा कवक के द्वारा होता है – लाइकेन का निर्माण
  • वायु प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव लाइकेन पर पड़ता है क्‍योंकि ये होते हैं, बड़े – संवेदनशील
  • प्रदूषण संकेतक पौधा है – लाइकेन
  • लाइकेन्‍स सबसे अच्‍छे सूचक हैं – वायु प्रदूषण के
  • जैविक ऑक्‍सीजन आवश्‍यकता (बी.ओ.डी़.) एक प्रकार का प्रदूषण सूचकांक है – जलीय वातावरण में
  • बीओडी का अधिक होना, दर्शाता है – जल के संक्रमित होने को
  • कार्बनिक अपशिष्‍ट (जैसे-सीवेज) की मात्रा बढ़ने से अपघटन की दर बढ़ जाती है तथा Oका उपयोग भी इसी के साथ-साथ बढ़ जाता है। इसके फलस्‍वरूप मात्रा घट जाती है  घुली ऑक्‍सीजन (Dissolved Oxygen-DO) की
  • कुछ ही सहनशील प्रजातियों के जीव तथा कुछ कीटों के डिंब ही बहुत अधिक प्रदूषित तथा कम DO वाले जल में जीवित रह सकते हैं, जैसे – ऐनेलीड
  • जिस जलाशय के DO का मान 0 mgL-1 से नीचे हो जाता है। उसे रखा जाता है – संक्रमित (Contaminated) जल की श्रेणी में
  • किसी जल क्षेत्र में बी. ओ. डी. की अधिकता संकेत देती हे कि उसका जल – सीवेज से प्रदूषित हो रहा है
  • नदी में जल प्रदूषण के निर्धारण के लिए घुली हुई मात्रा मापी जाती है – ऑक्‍सीजन की
  • गंगा नदी में बी. ओ. डी. सर्वाधिक मात्रा में पाया जाता है – कानपुर एवं इलाहाबाद के मध्‍य
  • जैव उपचारण (Bio-remediation) से तात्‍पर्य है – जीवों द्वारा पर्यावरण से विषैले (Toxic) पदार्थों का निष्‍कासन
  • इसके द्वारा किसी विशेष स्‍थान पर पर्यावरणीय प्रदूषकों के हानिकारक प्रभाव को समाप्‍त किया जा सकता है। यह जैव रासायनिक चक्र के माध्‍यम से कार्य करता है – जैव-उपचारण (Bio-remediation)
  • जैवोपचार यदि प्रदूषण प्रभावित क्षेत्र में किया जाता है, तो इसे कहा जाता है – स्‍व-स्‍थाने जैवोपचार (In-Situ Bio-remediation)
  • यदि प्रदूषित पदार्थ को किसी अन्‍य जगह पर ले जाकर इस तकनीक का प्रयोग किया जाता है, तो इसे कहते हैं – बाह्य-स्‍थाने जैवोपचार (Ex-Situ Bio-remediation)
  • प्रदूषकों को जड़ों व पत्तियों में संगृहीत कर जैवोपचार की क्रिया करना कहलाता है – फाइटोनिष्‍कर्षण (phytoextraction)
  • जल प्रदूषक नहीं है – सल्‍फर डाइऑक्‍साइड
  • आर्सेनिक द्वारा जल प्रदूषण सर्वाधिक है – पश्चिम बंगाल में
  • भारत के गंगा-ब्रह्मपुत्र के मैदानी इलाकों तथा बांग्‍लादेश के पद्मा-मेघना के मैदानी इलाकों में भूमिगत जल अत्‍यधिक प्रदूषित है – आर्सेनिक प्रदूषण से
  • भारत के सात राज्‍यों- पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्‍तर प्रदेश, असम, मणिपुर तथा छत्‍तीसगढ़ के राजनांदगांव में भूमिगत जल अत्‍यधिक प्रभावित है – आर्सेनिक प्रदूषण से
  • भूजल में आर्सेनिक की अनुमेय सीमा है – 10 माइक्रोग्राम प्रति लीटर तक
  • चेर्नोबिल दुर्घटना संबंधित है – नाभिकीय दुर्घटना से
  • रूस में चेर्नोबिल (Chernobyl) स्थित परमाणु केंद्र में नाभिकीय दुर्घटना हुई थी – 26 अप्रैल, 1986 को
  • विघटित होते रेडियोएक्टिव न्‍यूक्‍लाइड्स से उत्‍पन्‍न होने वाला विकिरण स्रोत है – रेडियोएक्टिव प्रदूषण का
  • विकिरणों के प्रभाव से जीवों के आनुवंशिक गुणों पर भी पड़ता है – हानिकारक प्रभाव
  • जैवीय रूप से अपघिटत होता है – मल
  • स्‍वचालित वाहन निर्वातक का सबसे अविषालु धातु प्रदूषक है – लेड
  • स्‍वचालित वाहनों में एन्‍टीनॉकिंग एजेंट के रूप में प्रयोग किया जाता है – लेड (सीसा) का
  • केंद्रीय तंत्रिका तंत्र, मस्तिष्‍क, पाचन तंत्र इत्‍यादि प्रभावित होते हैं – लेड के कारण
  • पेयजल में कैडमियम की अधिकता से हो जाता है – इटाई-ईटाई रोग
  • पारा (मरकरी) युक्‍त जल पीने से हो जाता हे – मिनामाटा रोग
  • वर्ष 1987 से इस अधिनियम में ध्‍वनि प्रदूषण को भी शामिल कर लिया गया है  वायु प्रदूषण एवं नियंत्रण अधिनियम, 1981 के तहत
  • भारत का सर्वाधिक प्रदूषित नगर है – अंकलेश्‍वर
  • जनवरी माह में उत्‍पन्‍न मौसमी कारक था जो उत्‍तर भारत में असाधरण ठंड का कारण बना – ला नीना
  • अपने प्रदूषकों के कारण ‘जैविक मरूस्‍थल’ कहलाती है – दामोदर
  • सरसों के बीच के अपमिश्रक के रूप में सामान्‍यत: निम्‍नलिखित में से किसे प्रयोग में लाया जाता है – आर्जीमोन के बीज
  • आर्जीमोन मैक्सिकाना मेक्सिको में पाई जाने वाली पोस्‍ते की एक प्रजाति है। सरसों के तेल में इसकी मिलावट से महामारी फैल सकती है – ड्रॉप्‍सी नामक
  • प्रदूषण युक्‍त वायुमंडल को स्‍वच्‍छ किया जाता है – वर्षा द्वारा
  • भारत के समुद्री जल में हानिकारक शैवाल प्रस्‍फुटन में हो रही वृद्धि पर चिंता व्‍यक्‍त की गई है। इस संवृत्ति का/के क्‍या कारक तत्‍व हो सकता है/सकते हैं – ज्‍वारनदमुख से पोषकों का प्रस्राव, मानसून में भूमि से जलवाह, समुद्रों में उत्‍प्रवाह
  • ‘एशियाई भूरा बादल’ (Asian Brown Cloud) 2002 अधिकांशत: फैला था – दक्षिण एशिया में
  • ‘एशियाई ब्राउन क्‍लाउड’ या एशियाई भूरा बादल उत्‍पन्‍न होता है – वायु प्रदूषण के कारण
  • एक रंगहीन, गंधहीन रेडियोएक्टिव अक्रिय गैस है – रेडान
  • फेफड़े का कैंसर (Lung Cancer) तथा रक्‍त कैंसर होने की संभावना होती है – रेडान गैस से
  • घरेलू गतिविधियों के कारण उत्‍पन्‍न होने वाले प्रदूषण को कहा जाता है – घरेलू वायु प्रदूषण
  • WHO के अनुसार, प्रतिवर्ष लाखों लोगों की मृत्‍यु होती है – घरेलू वायु प्रदूषण के कारण
  • सिगरेट के धुएं में मुख्‍य प्रदूषक है – कार्बन मोनोऑक्‍साइड व बैन्‍जीन
  • शरीर में श्‍वास अथवा खाने से पहुंचा सीसा (लेड) स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक है। पेट्रोल में सीसे का प्रयोग प्रतिबंधित होने के बाद से अब सीसे की विषाक्‍तता उत्‍पन्‍न करने वाले स्रोत हैं – प्रगलन इकाइयां, पेंट
  • घरों में पुताई के लिए इस्‍तेमाल किए जाने वाले पेंट में असुरक्षित स्‍तर तक है – सीसे की मात्रा
  • मनुष्‍य के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र और मस्तिष्‍क को नुकसान पहुंच सकता है – सीसे की अधि‍क मात्रा से
  • ऐेस्‍बेस्‍टस जहरीला पदार्थ है, इसकी धूल से हो सकता है – फेफड़े का कैंसर
  • पारे की विषाक्‍तता से उत्‍पन्‍न होती हैं – उदर संबंधी समस्‍याएं
  • रक्‍त में घुलकर कोशिकीय श्‍वसन को बाधित करती है तथा यह हृदय को क्षति पहुंचाती है – कार्बन मोनोऑक्‍साइड
  • मानव शरीर में कैंसर उत्‍पन्‍न कर सकते हैं – नाइट्रोजन के ऑक्‍साइड
  • भारत में इस्‍पात उद्योग द्वारा मुक्‍त किए जाने वाले महत्‍वपूर्ण प्रदूषकों में चारों ही शामिल हैं – कार्बन मोनोऑक्‍साइड (CO), सल्‍फर के ऑक्‍साइड (SOX), नाइट्रोजन के ऑक्‍साइड (NO X) तथा कार्बन डाइऑक्‍साइड (CO2)
  • ऑक्‍सीजन की सीमित आपूर्ति में कार्बन के ऑक्‍सीकरण से कार्बन मोनोऑक्‍साइड उत्‍पन्‍न होती है – वात्‍या भट्टी (Blast Furnace) में
  • अम्‍ल वर्षा से वे देश जो सर्वाधिक प्रभावित होते हैं – कनाडा, नार्वे
  • जर्मनी तथा यूनाइटेड किंगडम में स्थित मिलों से उत्‍सर्जित SO 2 तथा नाइट्रोजन के ऑक्‍साइड के कारण में अधिक वर्षा होती है – नार्वे तथा स्‍वीडन में
  • अम्‍ल वर्षा को कहा जाता है – झील कातिल (Lake Killer)
  • चीन, जापान, नार्वे तथा संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका में से जिस देश में सर्वाधिक अम्‍लीय वर्षा होती है – नार्वे में
  • अंतरराष्‍ट्रीय अम्‍ल वर्षा सूचना केंद्र स्‍थापित किया गया है – मैनचेस्‍टर में
  • उत्‍सर्जन उष्‍मीय शक्ति संयंत्रों में कोयला दहन से उत्‍सर्जित होता है/होते हैं – कार्बन डाइऑक्‍साइड (CO2), नाइट्रोजन के ऑक्‍साइड (N2O), सल्‍फर के ऑक्‍साइड (SO2)
  • ईधन के रूप में कोयले को उपयोग करने वाले शक्ति संयंत्रों से प्राप्‍त ‘फ्लाई ऐश’ के संदर्भ में सही कथन हैं – फ्लाई ऐश का उपयोग भवन निर्माण के लिए ईंटों के उत्‍पादन में किया जा सकता है, फ्लाई ऐश का उपयोग कंक्रीट के कुछ पोर्टलैंड सीमेंट अंश के स्‍थापन्‍न (रिप्‍लेसमेंट) के रूप में किया जा सकता है
  • कोयला आधारित विद्युत संयंत्रों से विघुत उत्‍पादन के फलस्‍वरूप उपोत्‍पाद (By Product) के रूप में प्राप्‍त होता हैं – फ्लाई ऐश
  • यह सूक्ष्‍म पाउडर होता है, जो वायु के साथ दूर तक यात्रा करता है। इसमें सीसा, आर्सेनिक, कॉपर जैसी जहरीली भारी धातुओं के कण भी होते हैं – फ्लाई ऐश में
  • अनाजों और तिनहनो के अनुपयुक्‍त रखरखाव और भंडारण के परिणामस्‍वरूप आविषों का उत्‍पादन होता है, जिन्‍हें एफ्लाटॉक्सिन के नाम से जाना जाता है, जो सामान्‍यत: भोजन बनाने की आम विधि द्वारा नष्‍ट नहीं होते। जिसके द्वारा उत्‍पादित होते हैं, वह है – फफूंदी
  • मुख्‍यतया, एस्‍पर्जिलस फ्लेवस (Aspergillus flavus) के द्वारा उत्‍पन्‍न होता है। – एफ्लाटॉक्सिन (Aflaoxin)
  • एफ्लाटॉक्सिन में एक कैंसर जनक पदार्थ (Carcinogen) होता है, जो उत्‍पप्न्‍न्‍ करता है। – यकृत कैंसर
  • वायु प्रदूषण की रोकथाम की एक यंत्रीय विधि नहीं है – साइक्‍लोन डिवाइडर
  • कारखानों की चिमनियों से निस्‍सृत धुएं तथा कालिख के साथ मिश्रित कणकीय पदार्थों को अलग करने के लिए प्रयोग किए जाने वाले विशिष्‍ट फिल्‍टर को कहते हैं – बैग फिल्‍टर
  • 50 माइक्रोमीटर से कम व्‍यास वाले कणकीय पदार्थों को पृथक करने के लिए प्रयोग किया जाता है – बैग फिल्‍टर का
  • रेडियोधर्मी प्रदूषण से संबंधित सही कथन हैं – यह पशुओं में आनुवांशिकी परिवर्तन लाता है, यह रक्‍त संचार में व्‍यवधान पैदा करता है, यह कैंसर पैदा करता है
  • यह तेलीय पंक तथा बिखरे हुए तेल के उपचार हेतु पारिस्थितिकी के अनुकूल विकसित प्रौद्योगिकी है – आयलजैपर
  • ऑयल जैपर एक बैक्‍टीरिया संकाय है। यह पांच बैक्‍टीरिया को मिलाकर विकसित किया गया है। इसमें उपस्थित बैक्‍टीरिया तेल में मौजूद हाइड्रोकार्बन यौगिकों को अपना भोजन बनाते हैं तथा उनको परिवर्तित कर देते हैं – हानिरहित CO 2  एवं जल में
  • अंतरराष्‍ट्रीय समुद्री संगठन का मुख्‍यालय स्थित है – लंदन में
  • यह संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ की विशेष एजेंसी है जिस पर अंतरराष्‍ट्रीय नौवहन के सुरक्षा सुधार संबंधी उपया करने और पोतों से होने वाले समुद्रीप्रदूषण की रोकथाम की जिम्‍मेदारी है। यह संस्‍था उत्‍तरदायित्‍व और मुआवजा से संबंधित वैधानिक मामलों को देखने के अलावा अंतरराष्‍ट्रीय समुद्री यातायात को सुविधाजनक बनाने का कार्य करती है – अंतरराष्‍ट्रीयसमुद्री संगठन (International Maritime Organization – IMO)
  • जैव शौचालय प्रणाली में अपशिष्‍ट पदार्थों को विखंडित कर उसे पानी और गैस (मेथेन) में परिवर्तित कर देता है  अवायवीय जीवाणु
  • जैव शौचालय प्रणाली में पानी को टैंक में जमा कर उसे क्‍लोरीन की मदद से साफ कर दिया जाता है जबकि गैस हो जाती है  वास्‍पीकृत
  • भारत के कुछ भागों में पीने के जल में प्रदूषक के रूप में पाए जाते हैं  आर्सेनिक, फ्लुओराइड तथा यूरेनियम
  • ‘नॉक-नी संलक्षण’ उत्‍पन्‍न होता है – फ्लुओराइड के प्रदूषण द्वारा
  • यद्यपि पानी में अल्‍प मात्रा में उपलब्‍ध होता है जो मसूड़ों और दांतों को संरक्षण प्रदान करता है परंतु इसका अत्‍यधिक सांद्रण (Excess Concentration) फ्लुओराइड को ग्रहण (Intake) करने के परिणामस्‍वरूप संभावना बढ़ जाती है – कूबड़पीठ (Humped back) होने की
  • पैरों के मुड़ने (Bending) का कारण होता है, जिसे ‘नॉक-नी संलक्षण’ कहते हैं  उच्‍च फ्लुओराइड संग्रहण
  • कैल्शियमी पादपप्‍लवक की वृद्धि और उत्‍तरजीविता प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगी, प्रवाल-भित्ति की वृद्धि और उत्‍तरजीविता प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगी। कुछ प्राणी जिनके डिम्‍भक पादपप्‍लवकीय होते हैं, की उत्‍तरजीविता प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगी – महासागरों के अम्‍लीकरण के कारण
  • CO2 के लिए एक भंडार गृह की तरह कार्य करता है – समुद्र
  • यूरो उत्‍सर्जन नियम, उत्‍सर्जन के मानक हैं और ये एक वाहन से उत्‍सर्जन के लिए सीमा निर्धारित करने के पैकेज प्रदर्शित करते हैं। इसके अंतर्गत आच्‍छादित है – कार्बन मोनोऑक्‍साइड, हाइड्रोकार्बन तथा नाइट्रोजन ऑक्‍साइड
  • यूरोपीय देशों में वर्ष 1992 में यूरो मानक-। तथा वर्ष 1997 में लागू कर दिया था – यूरो मानक-।।
  • वाहनों से निकलने वाले प्रदूषकों को नियंत्रित करने के लिए चरणबद्धरूप से यूरो मानकों को भारत में क्रियान्वित करने की संस्‍तुति की थी – माशेलकर समिति ने
  • स्‍वच्‍छ परिवहन पर अंतरराष्‍ट्रीय परिषद (The Internation Council Clean Transportation : ICCT) ने भारत को इस बात की छूट दी है कि वह वर्ष 2020 में यूरो V के बदले अपना सकता है – सीधे यूरो VI को
  • BS-IV मानक भारत में लागू कर दिया गया है – 1 अप्रैल, 2017 से
  • यूरो-।। मानकों को पूरा करने के लिए अति अल्‍प सल्‍फर डीजल में सल्‍फर की मात्रा होनी चाहिए – 0.05 प्रतिशत या इससे कम
  • यूरो नार्म्‍स स्‍वचालित वाहनों में एक गैस उत्‍सर्जन की मात्रा की सीमा निश्चित करते हैं। यह गैस है – कार्बन मोनो ऑक्‍साइड
  • हमारे देश के शहरों में वायु गुणता सूचकांक (Air Quality Index) का परिकलन करने में साधारणतया वायुमंडलीय गैसों में विचार में लिया जाता है – कार्बन मोनो ऑक्‍साइड, नाइट्रोजन डायऑक्‍साइड तथा सल्‍फर डायऑक्‍साइड
  • भारत में आठ मुख्‍य प्रदूषकों के आधार पर बनाया जाता है – वायु गुणता सूचकांक (Air Quality Index)
  • शहरों में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा राष्‍ट्रीय वायु गुणवत्‍ता सूचकांक (National Air Quality Index : NAQI) जारी किया गया था – 17 अक्‍टूबर, 2014 को
  • यह सूचकांक शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण का स्‍तर बताने के लिए एक संख्‍या-एक रंग-एक विवरण (One Number-One Colour-One Discription) के रूप में कार्य करता है। उल्‍लेखनीय है कि इस पहल को आरंभ किया गया है – स्‍वच्‍छ भारत अभियान के तहत
  • वाहनों में उत्‍सर्जित कार्बन मोनो ऑक्‍साइड (CO) को कार्बन डाइ ऑक्‍साइड (CO2) में परिवर्तित करने वाली उत्‍प्रेरक परिवर्तन की सिरेमिक डिस्‍क स्‍तरित होती है – पैलेडियम से
  • उर्वरक, पीड़कनाशी, कीटनाशी और शाक-नाश्‍ी मृदा के प्राकृतिक, भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों को नष्‍ट करके मृदा को बेकार कर देते हैं। रासायनिक उर्वरक नष्‍ट कर देते हैं – मृदा के सूक्ष्‍म जीवों को
  • भारत के जिस महानगर में वार्षिक प्रति व्‍यक्ति सर्वाधिक ठोस अपशिष्‍ट उत्‍पन्‍न होता है – दिल्‍ली
  • कई घरेलू उत्‍पादों, जैसे गद्दो और फर्नीचर की गद्दियों (अपहोल्‍स्‍टरी), में ब्रोमीनयुक्‍त ज्‍वाला मंदकों का उपयोग किया जाता है। उनका उपयोग कुछ चिंता का विषय है, क्‍योंकि – उनमें पर्यारण में निम्‍नीकरण के प्रति उच्‍च प्रतिरोधकता है, वे मनुष्‍यों और पशुओं में संचित हो सकते हैं
  • रासायनिक, जैविक तथा फोटोलिटिक (Photolytic) प्रक्रियाओं द्वारा पर्यावरण में निम्‍नीकरण के प्रति प्रतिरोधी कार्बनिक यौगिकोंको कहते हैं – पॉप्‍स (POPs : Persistent Organic Pollutants) अर्थात् चिरस्‍थायी कार्बनिक प्रदूषक
  • ‘स्‍थायी जैव प्रदूषकों पर स्‍टॉकहोम अभिसमय’ (Stockholm Convention on Persistent Organic Pollutants) द्वारा कुछ चिरस्‍थायी कार्बनिक प्रदूषकों की सूची में शामिल किया है – ब्रोमीन युक्‍त ज्‍वाला मंदकों‘ (Brominated Flame Retardants) को
  • विभिन्‍न उत्‍पादों के विनिर्माण में उद्योग द्वारा प्रयुक्‍त होने वाले कुछ रासायनिक तत्‍वों के नैनों-कणों के बारे में कुछ चिंता है, क्‍योंकि – वे पर्यावरण में संचित हो सकते हैं तथा जल और मृदा को संदूषित कर सकते हैं, वे खाद्य श्रृंखलाओं में प्रविष्‍ट हो सकते हैं, वे मुक्‍त मूलकों के उत्‍पादन को विमोचित कर सकते हैं

 

कैसी लगी आपको पर्यावरण अध्ययन (Part – 9) Topic – प्रदूषण ( Pollution )  नयी पेशकश हमें कमेन्ट के माध्यम से अवश्य बताये और आपको किस विषय की नोट्स चाहिए या किसी अन्य प्रकार की दिक्कत जिससे आपकी तैयारी पूर्ण न हो पा रही हो हमे बताये हम जल्द से जल्द वो आपके लिए लेकर आयेगे|

धन्यवाद——-

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