भारत के प्रमुख धर्म-हिंदी में


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भारत के प्रमुख धर्म-हिंदी में


दुनिया में संभवत: भारत ही ऐसा देश है, जहां सबसे अधिक धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। यह भारत की गंगा-जमुना तहजीब का ही नतीजा है कि सब धर्मों को मानने वाले लोग अपने-अपने धर्म को मानते हुए इस देश में भाईचारे की भावना के साथ सदियों से रहते चले आ रहे हैं।

पुरुषार्थों की कल्पना :

भारतीय जीवन परंपरा में चार पुरुषार्थों की कल्पना की गई है। ये हैं- धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष। इन्हें जीवन का मूल तत्व या पदार्थ भी कहा गया है। इन्हें प्राप्त कर लेना मानव जीवन की वास्तविक उपलब्धि कही जा सकती है।

अलग-अलग धर्मों के बारे में 

अब हम विभिन्न धर्मों के बारे में ‍सार-संक्षेप में बताते चलते हैं –

हिन्दू : आज से 3 हजार वर्ष पहले कश्मीर से कन्याकुमारी तक व अफगानिस्तान की हिंदूकुश पर्वतमाला से लेकर बांग्ला देश की खाड़ी तक सिर्फ हिन्दू धर्म था। ईसा से तीन हजार वर्ष पूर्व इस धर्म को भगवान श्रीकृष्ण ने सर्वप्रथम संगठित रूप दिया था, जो कि कालांतर में असंगठित हो गया।
इस्लाम : अरब व्यापारियों के माध्यम से इस्लाम धर्म 7वीं शताब्दी में दक्षिण भारत में आया। अफगानी, ईरानी और मुगल साम्राज्य के दौर में इस्लाम धर्म दो तरीके से फैला- प्रथम सूफी संतों के प्रचार-प्रसार द्वारा तथा द्वितीय मुगल शासकों द्वारा किए गए दमन चक्र से।
इस धर्म के संस्थापक गुरु नानकदेवजी ने 15वीं शताब्दी में एकेश्वर और भाईचारे पर बल दिया था। भारतीय पंजाब में इस धर्म की उत्पत्ति हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच बढ़ते वैमनस्य के चलते हुई थी। खालसा पंथ की स्थापना कश्मीरी पंडितों और हिन्दुओं को इस्लामिक अत्याचारों से बचाने के लिए हुई थी।
ईसाई : एक शोध के अनुसार ईसा मसीह ने कश्मीर में एक बौद्धमठ में शिक्षा और दीक्षा ग्रहण की थी। ईसा मसीह के एक शिष्य सेंट थॉमस ने ही सर्वप्रथम केरल के एक स्थान से ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार किया था।
जैन : ईसा पूर्व छठी शताब्दी में भगवान महावीर स्वामी ने जैन धर्मका प्रचार-प्रसार किया था। इसके फलस्वरूप बहुत से क्षत्रिय और ब्राह्मण जैन बन गए। उन्होंने तप, संयम और अहिंसा का संदेश दिया। उनका प्रिय महावाक्य था- ‘जीयो और जीने दो।’
बौद्ध : जैन धर्म के लगभग ही बौद्ध धर्म की स्थापना हुई। गौतम बुद्ध एक क्षत्रिय राजकुमार थे, जिनसे प्रभावित होकर विप्रों में भिक्षु होने की होड़ लग गई। सम्राट अशोक भी खुद बौद्ध बन गए थे।

पारसी : यह धर्म ईरान का प्राचीन धर्महै। ईरान पर इस्लामी विजय के बाद अनेक पा‍रसियों को इस्लाम कबूल करना पड़ा था। कई पा‍रसियों ने अपना गृहदेश छोड़कर भारत में शरण ली थी। सबसे पहले पारसियों का समूह 766 ईपू दमन और दीव पहुंचा था। दुनिया में कुछेक को छोड़कर सारे पारसी अब भारत में ही रहते हैं।
यहूदी : यहूदियों ने आज से 2985 वर्ष पूर्व यानी 973 ईपू में भारत में केरल के मालाबार तट पर प्रवेश किया था। यहूदियों के पैगंबर मूसा थे, लेकिन तत्कालीन दौर में उनके प्रमुख राजा सोलोमन थे। इसका व्यापारी बेड़ा मसालों और प्रसिद्ध खजाने के लिए आया था। आतिथ्य प्रिय हिन्दू राजा ने यहूदी नेता जोसफ रब्बन को उपाधि और जागीर प्रदान की थी।
इस प्रकार हम देखते हैं कि भारत में अनेक धर्मों के लोग अलग-अलग देशों से आए और यहीं के होकर रह गए। भारत पर अत्याचारों का दौर सदियों रहा, किंतु कुछ बात है कि ‘हस्ती मिटती नहीं हमारी।’


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