वनस्पति विज्ञान की शाखाएँ और रेशे प्रदान करने वाले पौधे-हिंदी में

 

नमस्कार दोस्तो ,

इस पोस्ट में हम आपको वनस्पति विज्ञान की शाखाएँ और रेशे प्रदान करने वाले पौधे-हिंदी में  के बारे में जानकारी देंगे, क्युकी इस टॉपिक से लगभग एक या दो प्रश्न जरूर पूछे जाते है तो आप इसे जरूर पड़े अगर आपको इसकी पीडीऍफ़ चाहिये तो कमेंट के माध्यम से जरुर बताये| आप हमारी बेबसाइट को रेगुलर बिजिट करते रहिये, ताकि आपको हमारी डेली की पोस्ट मिलती रहे और आपकी तैयारी पूरी हो सके|

वनस्पति विज्ञान की शाखाएँ और रेशे प्रदान करने वाले पौधे-हिंदी में


  • अंतस्रावी ग्रंथी और हॉर्मोन्स का अध्ययन “एंडोक्राइनॉलॉजी” कहलाता है। “एंडोक्राइनॉलॉजी” के जनक थॉमस एडीसन हैं।
    इन्सुलिन बायो टैक्नोलॉजी से भी बनाया जाता है जिसे “ह्युम्युलिन” कहते हैं।
    ग्रन्थियाँ मनुष्य के शरीर की आंतरिक व बाहरी वृद्धि, विकास, सुरक्षा आदि का नियंत्रण करती है। शरीर की सभी ग्रन्थियाँ एपीथीलियसी स्तर से वलयित होती है।
    कशेरुकियों में तीन प्रकार की ग्रन्थियाँ होती है
    1. बहि:स्रावी ग्रन्थियाँ (Exocrine Glands)
    2. अन्त:स्रावी ग्रन्थियाँ (Endocrine Glands)
    3. मिश्रित ग्रन्थियाँ (Mixed Glands)

बहि:स्रावी ग्रन्थियाँ 

  •  इन ग्रन्थियों द्वारा स्रावित पदार्थ इनकी वाहिकाओं में बहकर संबंधित अंग में ही जाते हैं। इसलिये इन्हें वाहिनियुक्त ग्रन्थि भी कहते हैं।
    उदाहरण :- यकृत ग्रन्थि, स्वेद ग्रन्थि, लार ग्रन्थि, सिबेशियस ग्रन्थि लेक्राइमल ग्रंथि सीरूमिनस ग्रंथि ।

अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ 

  •  यह एपीथीलिया से विच्छेदित होने पर नलिकाविहीन हो जाती है।
     इन ग्रन्थियों से स्रावित पदार्थ को हार्मोन्स कहते हैं । इस प्रन्थियां का कंट्रोल हाइपोथेलेसम मे होता है। इन ग्रन्थियों को नलिका विहीन ग्रन्थियाँ भी कहते हैं।
    उदाहरण :
    1. थायराइड ग्रन्थि 2. पीनियल ग्रन्थि 3 पिटयूटरी ग्रंथि 4. थाइमस ग्रन्थि , 5. एड्रीनल ग्रन्थि, 6. पेराथॉइराइड ग्रन्थि

मिश्रित ग्रन्थियाँ 

  •  यह वाहिकायुक्त होती है लेकिन इनमें बही व अन्तःस्रावी दोनों प्रकार की कोशिकाएं होती है।
    उदाहरण :
    अग्नाश्य ग्रंथि, उदर, ड्यूडेनम ग्रंथि है।

हार्मोन 

  •  हार्मोन नाम बेलिस व स्टारलिंग ने दिया। वर्ष 1905 में हार्मोन को रासायनिक संदेश वाहक भी कहते हैं। हाम्मोन क्रिया करने के बाद नष्ट हो जाते हैं। यह दूरस्थ स्थानों तक भी अपना प्रभाव दिखाते हैं।

फिरोमोन्स

  • कीटो द्वारा विपरीत लिंग को आकर्षित करने के लिए स्रावित किया गया पदार्थ फिरोमोन्स (बाह्य हार्मोन) कहलाता है।
    1. उदाहरण :- मधुमक्खी द्वारा जिरेडियोल स्रावित किया जाता है।
    रेशमकीट द्वारा बोम्बीकॉल स्रावित किया जाता है।

मानव की अन्तःस्रावी ग्रंथियां 

मानव की मुख्य अन्तःस्रावी ग्रंथियां :

1. पीयूष ग्रंथि
2. थाइराइड ग्रथि
3. पैराथाइरॉइड ग्रंथि
4. एड्रिनल ग्रंथि
5. पीनियल ग्रंथि
6. थाइमस ग्रंथि
7. हाइपोथैलेमस ग्रंथि
৪. अंडाश्य
9. वृषण

पीयूष ग्रन्थि 

  •  पीयूष ग्रन्थि मस्तिष्क में पाई जाती है। यह मटर के दाने के समान होती है।यह शरीर की सबसे छोटी अंतस्रावी ग्रंथि है। इसे मास्टर ग्रंथि भी कहते हैं।
    इसके द्वारा वृद्धि हार्मोन, आक्सीटोसिन, ADH/ वेसोप्रेसीन हार्मोन, प्रोलेक्टीन हार्मोन स्रावित किये जाते हैं।
ADH/वैसोप्रेसीन हार्मोन 
  • इस हार्मोन की कमी से बारबार पेशाब आता है जिसे उदकमेह (डायबिटीज इन्सीपीड्स) रोग कहते हैं। यह हार्मोन जल का संरक्षण करता है व मूत्र का सांद्रण करता है।
ऑक्सीटोसीन हार्मोन 
  • इसे Dairy Industry में Use करते हैं। यह हार्मोन भी पीयूष ग्रंथि द्वारा स्रावित होता है। यह मनुष्य में दुध का निष्कासन व प्रसव पीड़ा के लिए उत्तरदायी होता है। इसे Love हार्मोन भी कहते हैं। इसे गर्भपात व बर्थ (Birth ) हार्मोन भी कहते
सोमेटाट्रोपिन हार्मोन 
  •  इसे वृद्धि हार्मोन भी कहते हैं। इसकी कमी से बोनापन (Dwarf ism) रोग हो जाता है। व इसकी अधिकता से महाकाय रोग होता है।
LH हार्मोन ल्यूटीनाइजिंग हार्मोन 
  •  यह हार्मोन पुरुष में टेस्टीस्टेरोन हार्मोन को स्रावित करता है जो द्वितीय गौण लक्षण ढाढी मुछों का आना आदि को नियंत्रित करता है।
     यह हार्मोन महिला में अण्डोत्सर्ग को प्रेरित करता है।
एफएसएच था फोलिक उत्तेजक हारमोन
  • यह हार्मोन पुरुष में शुक्राणु निर्माण व महिला में अण्डाणु के निर्माण को प्रेरित करता है।

 थाइराइड ग्रंथि 

  •  यह ग्रन्थि गले में श्वास नली के पास होती है। यह शरीर की सबसे बड़ी अंतरस्रावी ग्रंथि है। इसकी आकृति ‘ एच’ होती है 
     इसके द्वारा थाइरॉक्सीन हार्मोन स्रावित होता है। इस हार्मोन में आयोडीन पाई जाती है। जो उपापचय की दर को नियंत्रित करता है।
  •  इस हार्मोन की कमी से बच्चों में क्रिटिनिज्म रोग (जडमानवता) व वयस्क में मिक्सिडीमा रोग होता है।
    1.इस हार्मोन की अधिकता से ग्रेब्ज रोग, प्लुमर रोग, एक्सोप्थेल्मिक गाइटर रोग (नेत्र गोलक बाहर आ जाते हैं) होता है।
    2.थायराइड ग्रंथि को स्वयं की आत्महत्या करने वाली (Tompo aflife) ग्रंथि कहते हैं। क्योंकि कभीकभी दवा लेने पर इसके विरुद्ध शरीर में antibody(एंटिबाडी) बनकर थाइराइड को नष्ट कर देते हैं जिसे हाशिमोटो रोग कहते हैं। इसे थाइराइड गंविका suicide कहते है।

 पैराथॉइराइड ग्रंथि 

  • इस परावन्टु ग्रंथि भी कहते हैं। यह संख्या में 4 होती है। यह पेराथार्मोन हार्मोन स्रावित करती है। यह हा्मोन रक्त में Ca+ बढ़ाता है जो ” विटामिन D ” की तरह कार्य करता है। इस हार्मोन की कमी से टिटेनी रोग होता है।

 एड्रिनलिन ग्रंथि 

  • इसे अधिवृवक ग्रंथि भी कहते हैं। यह वृवक के ऊपर स्थित होती है। यह ग्रंथि भय, क्रोध, संट के दौरान सबसे ज्यादा सक्रिय होती है।
    1. एड्रिनलिन ग्रंथि मानव के कॉर्टेक्स में कार्टीसोल हार्मोन स्रावित करती है व मेड्यूला में एड्रिनलीन हार्मोन स्रावित करता है।
    2. कार्टिसोल हार्मोन को जीवन रक्षक हार्मोन भी कहते हैं। यह स्टीरॉयड प्रकृति का होता है। इस हामोन की अधिकता से कुशिग रोग होता है।
    3.एड्रिनलिन हार्मोन को 3F हार्मोन/करो व मरो हार्मोन भी कहते हैं।
एल्डोस्टीरॉन हार्मोन 
  • यह एड्रिनलिन ग्रंथि द्वारा स्रावित होता है।
    यह हार्मोन जल व खनिज लवण का संतुलन करता है। इसकी कमी से एडिसन रोग होता है।

 पीनियल ग्रंथि 

  • यह सरीसृपों में मुख्य विकसित होती हैं।
    यह मैलाटोनीन हार्मोन स्रावित करती हैं।
    मेलाटोनिन मेलानिन संश्लेषण को रोकती हैं।
    पिनियल काय “सर्केडियन ताल” को दर्शाती हैं अ्थात् यह जैविक घड़ी को नियंत्रित क

थाइमस ग्रन्थि 

  • थाइमस ग्रंथि को प्रतिरक्षी ग्रंथि भी कहते हैं। यह छाती में हृदय के समीप पाई जाती है। यह ग्रंथि एंटीवॉडी का स्रवण करती है। यह ग्रंथि बचपन में बड़ी व वयस्क अवस्था में छोटी हो जाती है। वयस्क में यह अवशेष ग्रंथि होती है।
     यह ग्रंथि टीलिम्फोसाइट का परिपक्वन करती है।

 अग्नाश्य ग्रंथि 

  •  अग्नाश्य ग्रंथि को मिश्रित ग्रंथि भी कहते हैं। यकृत के बाद दूसरा सबसे बड़ी प्रथि है। इस ग्रंथि में लेग्रहैन्स द्वीप समूह पाया जाता है। जिसमें α, व β cell (कोशिकाएं) पाई जाती है। जिनमें β cell द्वारा इन्सुलिन हार्मोन का स्राव होता है जो रक्त में ग्लुकोज को कम करता है व α cell द्वारा ग्लूकागॉन हार्मोन का स्रवण होता है जो रक्त में ग्लुकोज के स्तर को बढ़ाता है।
इंसुलिन :
  •  यह एक प्रकार की प्रोटीन है जो 51 Amino Acid (अमीनो अम्ल ) से मिलकर बनी होती है। इंसुलिन की संख्या फ्रेडरिक सेगर ने दी थी व इसका टीका बेस्ट व बेरिंग ने तैयार किया। मानव द्वारा निर्मित प्रथम इंसुलिन ह्यूमूलिन (1978) में बनी।
    इंसुलिन की अधिकता से हाइपोग्लासिनिया रोग हो जाता है । इंसुलिन की कमी से डाइबिटीज मेलिटस (मधुमेह) रोग होता है।

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