भारत की राजधानी दिल्ली ऐसे बनी थी जानें-हिंदी में

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भारत की राजधानी दिल्ली ऐसे बनी थी जाने


दिल्ली भारत की राजधानी कब और कैसे बना था अक्सर लोग भारत की राजधानी दिल्ली बनने का इतिहास को जानना चाहते हैं। पूर्ण जानकारी आपको इस लेख में मिलेगा।

भारत की राजधानी दिल्ली को बनाने का फैसला 11 दिसंबर 1911 को जॉर्ज पंचम ने दिल्ली दरबार में लिया था। 13 फरवरी 1931 को दिल्ली भारत की राजधानी के तौर पर काम करना शुरू किया था। 

गर्वनर जनरल लॉर्ड इरविन ने दिल्ली को भारत के राजधानी के तौर पर घोषित किया था और उन्होंने उद्घाटन भी किया था। 

भारत आज़ाद होने के बाद भी भारत का राजधानी दिल्ली ही रहा था । जो अब तक भारत का राष्ट्रीय राजधानी है। भारत का वित्तीय राजधानी मुंबई को कहा जाता है। जबकि राजनीतिक राजधानी भारत का दिल्ली को कहा जाता है। 

वर्ष 1956 में दिल्ली को यूनियन टेरिटरी यानी केंद्र शासित प्रदेश के रूप में मान्यता मिला था। 1991 में दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के तौर पर घोषित किया गया था। 

भारत का राजधानी इससे पहले कोलकाता हुआ करता था। कुछ समय के लिए ग्रीष्मकालीन भारत की राजधानी शिमला भी रहा था। कोलकाता एवं शिमला सिर्फ अंग्रेजों के समय भारत की राजधानी हुआ करता था। लेकिन प्राचीन समय (अशोक) भारत की राजधानी पाटलिपुत्र (पटना) था। 

दिल्ली राज्य कब बना था ? शायद कम लोगों को ही पता होगा। दिल्ली का पहला मुख्यमंत्री मार्च 1952 में चौधरी ब्रह्म प्रकाश बने थे। कुछ लोगों को लगता है कि पहले मुख्यमंत्री बने मदन लाल खुराना बने थे। इसके पीछे क्या इतिहास है इस लेख में पढ़ लें। 

दरअसल, 17 मार्च 1952 को दिल्ली का पहला विधानसभा का चुनाव हुआ था। जिसमें मुख्यमंत्री चौधरी ब्रह्म प्रकाश बने थे। 

लेकिन 1956 में इसे केन्द्र शासित क्षेत्र बना दिया था। जिसके कारण दिल्ली विधानसभा का चुनाव को बंद कर दिया गया था।

1991 में संविधान के 69 वें संशोधन के बाद, फिर 1993 में यहाँ विधानसभा की पुनर्स्थापना और भारतीय जनता पार्टी के मदन लाल खुराना दिल्ली के दूसरे मुख्यमंत्री बने थे। मौजूदा समय में दिल्ली का मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल है। 

सारांश के रूप में याद रखें – भारत की राजधानी दिल्ली को बनाने का फैसला 11 दिसंबर 1911 को जॉर्ज पंचम ने दिल्ली दरबार में लिया था। 13 फरवरी 1931 को दिल्ली भारत की राजधानी के तौर पर काम करना शुरू किया था।


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