चक्रवात किसे कहते हैं ये कितने प्रकार के होते हैं-हिंदी में
इस पोस्ट में हम आपको चक्रवात किसे कहते हैं ये कितने प्रकार के होते हैं के बारे में जानकारी देंगे, क्युकी इस टॉपिक से लगभग 4 या 5 प्रश्न जरूर पूछे जाते है तो आप इसे जरूर पड़े अगर आपको इसकी पीडीऍफ़ चाहिये तो कमेंट के माध्यम से जरुर बताये| आप हमारी बेबसाइट को रेगुलर बिजिट करते रहिये, ताकि आपको हमारी डेली की पोस्ट मिलती रहे और आपकी तैयारी पूरी हो सके|
चक्रवात किसे कहते हैं ये कितने प्रकार के होते हैं
चक्रवात
चक्रवात को अंग्रेजी में साइक्लोन कहते हैं। इसकी संरचना अंग्रेजी के V अक्षर जैसी होती है। चक्रवात एक ऐसी संरचना है जो गर्म हवा के चारों ओर कम वायुमंडलीय दाब के साथ उत्पन्न होती है। जब एक तरफ से गर्म हवाओं तथा दूसरी तरफ से ठंडी हवा का मिलाप होता है तो वह एक गोलाकार आंधी का आकार लेने लगती है इसे ही चक्रवात कहते हैं। आईएमडी का कहना है, “एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात एक तीव्र निम्न दबाव क्षेत्र या उष्णकटिबंधीय या उप-उष्णकटिबंधीय पानी के ऊपर के वातावरण में एक चक्कर है। इसकी अधिकतम गति 30 से 300 किलोमीटर प्रति घंटा हो सकती है। यह एक गोलाकार पथ में चक्कर लगाती घूमती हुई राशि होती है। इसकी गति अत्यंत तेज होती है। दक्षिणी गोलार्द्ध में इसे चक्रवात तथा पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में विली-विली उत्तरी गोलार्द्ध में हरीकेन या टाइफून, मैक्सिको की खाड़ी में टारनेडो कहते हैं
चक्रवात के प्रकार
चक्रवात मुख्य रूप से 6 प्रकार के होते हैं-
- ध्रुवीय चक्रवात
- ध्रुवीय कम
- आतिरिक्त ऊष्ण कटिबंधीय चक्रवात
- अन्त: ऊष्ण कटिबंधीय
- उष्णकटिबंधीय
- मेसोस्कैल
चक्रवात के प्रभाव
चक्रवात के कई भीषण प्रभाव होते हैं। अभी हाल ही में भारत के दक्षिण-पश्चिम राज्यों आए चक्रवात के प्रभाव देखने को मिले जो इस प्रकार है-
- चक्रवात के कारण पेड़ गिर जाते हैं।
- इसके कारण भारी वर्षा होती है।
- कई लोगों की जानें चली जाती है।
- कई स्ट्रीट लाइट के खंभे गिर जाते हैं।
- कई बिल्डिंग गिर जाती है।
- साइक्लोन के कारण फसलें बर्बाद हो जाती है।
- कई दिनों के लिए संचार व्यवस्था में दिक्कत आती है।
- कई इलाकों में पानी भर जाता है।
- जीव जंतु और पक्षियों को भी नुकसान पहुंचाता है।
- घर गिर जाने पर कई दिनों तक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है
चक्रवात से हुई तबाही
18 मई 2021 को आए चक्रवात ने सौराष्ट्र जैसे कई इलाकों में तबाही मचा दी और लोगों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा। चक्रवाती तूफान ताउते ने मुंबई, गुजरात, अहमदाबाद में तबाही मचाते हुए महाराष्ट्र और गोवा में भी इसने कहर मचा दिया। चक्रवाती तूफान ताउते की गति 185 किलोमीटर प्रति घंटे बताई गई है। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी गांधीनगर में ताउते तूफान को लेकर बनाए गए कंट्रोल रूम में मौजूद होकर तटीय इलाकों के अधिकारियों से स्थिति का जायजा लिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चक्रवाती तूफान से आई तबाही का जायजा लिया जानने के लिए देखिए वीडियो-
चक्रवात से बचाव के उपाय
- घरों की मरम्मत करवाएं
- कांच की खिड़कियों पर लगाने के लिए लकड़ी के बोर्ड तैयार रखें।
- रेडियो से जुड़े रहें ताकि आपको सारी खबरें मिलती रहे।
- ज्वलनशील पदार्थों को हिफाजत से रखें ताकि तेज हवा चलने पर वह भीष्ण का रूप ना ले ले।
- फ्लैशलाइट,लालटेन,कुछ सूखे सेल अपने पास रखें।
- यदि आप मछुआरे हैं और आप समुद्र के पास रहते हैं तो आप अपना निवास स्थान तुरंत बदल दें।
- पेड़ पौधों तथा बिजली के तारों के नीचे आसपास ना रहे।
- फसलें यदि 80% भी परिपक्व हो गई हो तो उसे काट लें।
- पशुओं को उचित शेड में रखें।
- किसी भी प्रकार की अफवाह से बचें।
जाने कितनी बार आया भारत में
भारत को कई बार इस चक्रवाती तूफान की समस्या से जूझना पड़ा है। जिसमें कई जाने चली गई आइए देखें अभी तक भारत में कितनी बार इस चक्रवाती तूफान ने तबाही मचा दी है। भारत में आए चक्रवाती तूफान की तालिका नीचे दी गई है-
वर्ष | राज्य | चक्रवात का नाम |
1992 | केरल | बीओबी06 |
1993 | केरल | बीओबी05 |
2000 | केरल | बीओबी06 |
2005 | केरल | फनूस |
2008 | आंध्र प्रदेश | खाई – मुक |
2010 | आंध्र प्रदेश | लैला |
2012 | आंध्र प्रदेश | नीलम |
2013 | आंध्र प्रदेश | लहर |
2013 | आंध्र प्रदेश | हेलन |
2014 | आंध्र प्रदेश | हुदहुद |
1991 | तमिलनाडु | बीओबी09 |
1992 | तमिलनाडु | बीओबी06 |
1993 | तमिलनाडु | बीओबी03 |
1996 | तमिलनाडु | 08बी |
2000 | तमिलनाडु | बीओबी05 |
2005 | तमिलनाडु | फनूस |
2008 | तमिलनाडु | निशा |
2010 | तमिलनाडु | जल |
2011 | तमिलनाडु | थेन |
2013 | तमिलनाडु | नीलम |
2013 | तमिलनाडु | माडी |
1994 | महाराष्ट्र | एआरबी02 |
2009 | महाराष्ट्र | फ्यान |
2010 | महाराष्ट्र | जल |
1996 | गुजरात | एआरबी01 |
1998 | गुजरात | एआरबी02 |
1998 | गुजरात | एआरबी05 |
2001 | गुजरात | एआरबी01 |
2004 | गुजरात | ओनिल |
2007 | गुजरात | येमयिन |
1999 | उड़ीसा | बीओबी05 |
1999 | उड़ीसा | बीओबी06 |
2013 | उड़ीसा | फैलिन |
2014 | उड़ीसा | हुदहुद |
1992 | कर्नाटक | बीओबी06 |
1993 | कर्नाटक | बीओबी03 |
चक्रवात की श्रेणियां कितनी है
श्रेणी | चक्रवात की गति |
श्रेणी 1 | 90 से 125 किलोमीटर प्रति घंटा |
श्रेणी 2 | 125 से 164 किलोमीटर प्रति घंटा |
श्रेणी 3 | 165 से 224 किलोमीटर प्रति घंटा |
श्रेणी 4 | 225 से 279 किलोमीटर प्रति घंटा |
श्रेणी 5 | 280 और उससे अधिक किलोमीटर प्रति घंटा |
चक्रवात कैसे बनता है
गर्म इलाके के समुद्र में मौसम की गर्मी से हवा गर्म होकर अत्यंत कम वायु दाब का क्षेत्र बनाती है। हवा गर्म होकर तेजी से ऊपर आती है और ऊपर की नमी से मिलकर संघनन से बादल बनाती है। इस वजह से बने खाली जगह को भरने के लिए नम हवा तेजी से नीचे जाकर ऊपर आती है, जब हवा बहुत तेजी से उस क्षेत्र के चारों तरफ घूमती है तो घने बादलों और बिजली के साथ मूसलाधार बारिश करती है।
चक्रवात के नाम
भारत के मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने हाल ही में भविष्य के उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के 169 नामों की एक सूची जारी की है, जो बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में उत्पन्न होंगे। दुनिया भर के हर महासागरीय बेसिन में बनने वाले चक्रवातों का नाम क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों (RSMCs) और उष्णकटिबंधीय चक्रवात चेतावनी केंद्रों (TCWCs) द्वारा रखा जाता है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) और पांच टीसीडब्ल्यूसी समेत दुनिया में छह आरएसएमसी केंद्र हैं। आईएमडी ने एक मानक प्रक्रिया का पालन करते हुए बंगाल की खाड़ी और अरब सागर समेत उत्तर हिंद महासागर में विकसित होने वाले चक्रवातों को नाम दिया। आईएमडी को चक्रवात और तूफान के विकसित होने पर 12 अन्य देशों को सलाह जारी करने का भी अधिकार है।
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