Panchvarshiya Yojana जनिये भारतीय पंचवर्षीय योजनाओ के बारे में|

भारत की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा पंचवर्षीय योजनाओं पर आधारित है, यह योजना भारत सरकार के योजना आयोग द्वारा विकसित, कार्यान्वित एवं  देख-रेख में चलती थी। पंचवर्षीय योजनाओं  का आरम्भ भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहराल नेहरू ने 8 दिसम्बर 1951 को भारत की संसद में प्रस्तुत की।  वर्ष 2014 में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इस आयोग को भंग कर दिया उसके बाद से इस योजना को नीति आयोग के सुपुर्द किया गया, इस योजना का पदेन अध्यक्ष प्रधानमंत्री स्वंय होते है, साथ-साथ आयोग का एक मनोनीत उपाध्यक्ष भी होता है जिसका ओहदा, एक कैबिनेट मंत्री के बराबर होता है। पहली पंचवर्षीय योजना 1951 में आरम्भ की गयी थी, वर्तमान में 12वीं पंचवर्षीय योजना (Panchvarshiya Yojana) चल रही है|

Panchvarshiya Yojanaya

Panchvarshiya Yojana, पंचवर्षीय योजना का प्रथम उपाध्यक्ष राजस्थान के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री अरविंद पानगड़ीया को बनाया गया है । नीति आयोग देश के संसाधनों का अनुमान लगा कर तथा प्राथमिकताओ का निर्धारण कर योजनाओं का निर्माण एंव उनकी प्रगति का मूल्यांकन करता है । वर्तमान में देश में 12 वी पंचवर्षीय योजना 2012 -17 चल रही है जो 1 अप्रैल 2012 से प्रारंभ हुई है  12वीं पंचवर्षीय योजना 31 मार्च 2017 को खत्म होनेवाली थी, लेकिन मंत्रालयों को अपने कामकाज निपटाने के लिए आखिरी पंचवर्षीय योजना को छह महीने का विस्तार दे दिया गया है।

इस  पंचवर्षीय योजना की अवधि पूरे होते ही साथ ही नेहरू के समाजवाद के इस प्रमुख घटक का खात्मा हो जाएगा। नई व्यवस्था में तीन साल का ऐक्शन प्लानबनेगा जो सात वर्षीय स्ट्रैटिजी पेपर और 15 वर्षीय विजन डॉक्युमेंट का हिस्सा होगा।

आईये थोडा विस्तार में जानते है-

पहली पंचवर्षीय योजना (First Panchvarshiya Yojana)-1951-1956

भारत की प्रथम पंचवर्षीय योजना 1 अप्रैल 1951 से प्रारंभ हुई थी जबकि इस योजना का अंतिम प्रारूप दिसंबर 1952 में प्रकाशित किया गया था। यह योजना हैराॅल्ड़ डोमर मॉडल पर आधारित थी कुछ विशेषज्ञ इसे गांधीवादी मॉडल भी कहते हैं।इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर एग्रीकल्चर कुटीर उद्योग पर ज्यादा बल दिया गया। सर्वोच्च प्राथमिकता सिंचाई और बिजली परियोजनाओं सहित कृषि को दी गई थी.

पहली पंचवर्षीय योजना का उद्देश्य-(Purpose of the first Panchvarshiya Yojana)
  • देश में शुद्ध एवं विभाजन के फलस्वरूप उत्पन्न असंतुलन को ठीककरना।
  • प्रत्यके क्षेत्र में सन्तुलित आर्थिक विकास करना, राष्ट्रीय आय व जीवन स्तर में वृद्धि करना।
  • देश में उपलब्ध भौतिक एवं मानवीयसंसाधनों का अधिकतम उपयोग करना।
  • 4देश में आय, सम्पत्ति एवं अवसर कीअसमानता को दूर करना।

योजना में व्यय-इस योजना में सावर्जनिक क्षेत्र के अन्तर्गत व्यय राशि 1960 करोड रूपये रही जबकि अनुमानित व्यय राशि 2378 करोड़ रूपये थी।

पहली पंचवर्षीय योजना की उपलब्धि-(Achievement of first Panchvarshiya Yojana)
  • राष्ट्रीय आय में 18% एवं प्रतिव्यक्ति आय में 11% की वृद्धि हुर्इ। प्रति व्यक्ति उपभोग का दर 8% एवं विनियोग की दर 2-3% रही।
  • 45 लाख लोगों को अतिरिक्त रोजगारप्रदान किया गया।
  • 16 मिलियन एकड भूिम पर सिचांर्इ की सुविधा का विस्तार किया गया। इस योजना में खाद्यान्न उत्पादन में 20% की वृद्धि हुर्इ।
  • औद्योगिक उत्पादन में वाषिर्क वृद्धि दर 8% की रही।5.380 मील रेलवे लार्इन बिछार्इ गर्इ तथा 430 मील का नवीनीकरण किया गया।

हर एक योजना में कुछ खूबियाँ होती है, तो कुछ कमियां भी होती है| आईये जानते है, पहली पंचवर्षीय योजना की कुछ प्रमुख खामियों के बारे में

  • औद्योगिक क्षेत्रों पर केवल 4% परिव्यय कर इस क्षेत्र की अवहेलना की गर्इ
  • योजना के दौरान 57-5 लाख लोगों को रोजगार उपलब्घ कराने का लक्ष्य था किन्तु 45 लाख लोगों को ही रोजगार उपलब्घ कराया जा सका।
  • इस योजना में अनमुानित परिव्यय 2738 करोड़ रूपये था जबकि वास्तव में 1960 करोड निम्नांकित रूपये ही खर्च किये जा सके
दूसरी पंचवर्षीय योजना (Second Panchvarshiya Yojana)-1956-1961

महालनोबिस के मॉडल पर आधारित द्वितीय पंचवर्षीय योजना भारतीय सांख्यिकी संगठन कोलकाता के निदेशक की देखरेख में 1 अप्रैल 1956 से लागू हुई। इस पंचवर्षीय योजना के तहत 1959 में राजस्थान में पहली बार पंचायत का निर्माण किया गया। इस पंचवर्षीय योजना का उद्देश उद्योगों को बढ़ावा देना था|

दूसरी पंचवर्षीय योजना का उद्देश्य-(Purpose of the Second Panchvarshiya Yojana)
  • राष्ट्रीय आय में 25% की वृद्धिताकि तीव्र गति से देश के जीवन स्तर में वृद्धि की जा सके।
  • रोजगार के अवसरों में वृद्धि करना।
  • देश में आय व सम्पत्ति की असमानता को दरू करना।
  • देश में तीवग्र ति से औद्यागीकरणकरना एवं आधारभतू भारी उद्यागेोंके विकास पर विशेष रूप से ध्यान देना।

योजना में परिव्यय-द्वितीय पंचवर्षीय योजना में सावर्ज निक क्षेत्र में 4800 करोड़ रूपये व्यय का लक्ष्य निर्धारित था किन्तु वास्तविक व्यय 4672 करोड़ रूपये हुआ।

दूसरी पंचवर्षीय योजना की उपलब्धि-(Achievement of Second Panchvarshiya Yojana)
  • इस पंचवर्षीय योजना में आधारभूत उद्योग जैसे- कोयला, बिजली, भारी इंजीनियरिंग, लोहा एवं इस्पात, उर्वरक पर विशेष बल दिया गया। दुर्गापरु , भिलार्इ और राउरकेला के स्पात कारखाने चितरंजन रेल बनाने के कारखाने तथा इण्टीगल्र कोच फैक्ट्री इस योजना की विशेष उपलब्धि रही।
  • द्वितीय पंचवर्षीय योजनाओं में सन् 1960-61 की कीमतों पर राष्टी्रय आय में 19-5% की वृद्धि हुर्इ। जनसख्ंया में भारीवृद्धि के कारण जिस अनुपात में राष्ट्रीय आय मे वृद्धि हुर्इ प्रति व्यक्ति आय में नहीं हो पायी। प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि 8% रही।
  • इस योजना में 210 लाख एकड़ अतिरिक्त भूति को सिंचार्इ उपलब्ध करार्इ गर्इ।
  • इस योजना में रेल , सडक़ , परिवहन तथा बन्दरगाहों के विकास से सबंऔद्योगिकिधत अनके योजनाएं प्रारम्भ की गर्इ।

दूसरी पंचवर्षीय योजना की कुछ प्रमुख खामियां-

  • इस योजना में कृषि विकास की उपेक्षा की गर्इ।
  • तीन इस्पात उद्योग स्थपित तो किए गये किन्तु उत्पादक लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सका।
  • विद्यतु की कमी प्रत्यके राज्य में बनी रही। यह योजना महत्वकांक्षी योजना के बावजूद असफसल रही।
तीसरी पंचवर्षीय योजना (Third Panchvarshiya Yojana)-(1961-1966)

जॉन सैंडी और एस चक्रवर्ती मॉडल पर आधारित, तीसरी पंचवर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य देश को आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था, कृषि का विकास, खाद्यान्न में आत्मनिर्भरता और कृषि और औद्योगिक क्षेत्र के समग्र विकास को प्राप्त करना था. (कृषि के क्षेत्र में सकारात्मक वृद्धि हासिल की गई).

तीसरी पंचवर्षीय योजना का उद्देश्य-(Purpose of the Third Panchvarshiya Yojana)
  • तीसरी योजना कृषि और गेहूं के उत्पादन में सुधार पर जोर दिया गया
तीसरी पंचवर्षीय योजना की उपलब्धि-(Achievement of Third Panchvarshiya Yojana)
  • 1966 में हरित क्रांति चलाई गई।
  • हरित क्रांति के जनक- नॉर्मन बोरलॉग (मेक्सिको)
  • भारत में हरित क्रांति का जनक- डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन(भारत)

तीसरी पंचवर्षीय योजना की कुछ प्रमुख खामियां-

  • नेहरू जी की मृत्यु की वजह से इस योजना को सफलतापूर्वक लागू नहीं किया गया जा सका।
  • इसमें विकास दर सबसे कम थी। इस योजना को कई विद्वानों द्वारा एक असफल योजना के रूप में जाना जाता है
चौथी पंचवर्षीय योजना (Forth Panchvarshiya Yojana)-1969-1974

एस माने और ए रुद्रा के मॉडल और गाडगिल रणनीति पर आधारित इस पंचवर्षीय योजना का मुख्य उद्देश्य देश को आत्मनिर्भरता और स्थिरता के साथ विकास ए पथ पर तेजी से ले जाना था, इस पंचवर्षीय योजना में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी नें गरीबी हटाओ का नारा दिया था|

चौथी पंचवर्षीय योजना की उपलब्धि-(Achievement of Forth Panchvarshiya Yojana)
  • एमआरटीपी एक्ट लागू हुआ (इसी एक्ट से 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण हुआ)
  • 1970 में श्वेत क्रांति चलाई गई (श्वेत क्रांति के जनक वर्गीज कुरियन थे)
  • विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम पेश किया गया|
  • एकाधिकार एवं प्रतिबंधात्मक व्यापार व्यवहार अधिनियम पेश किया गया|
पांचवी पंचवर्षीय योजना (Fifth Panchvarshiya Yojana)-1974-1978

पांचवी पंचवर्षीय योजना का प्रारंभ 1 अप्रैल 1974 को हुआ था। तथा 31 मार्च 1978 को यह योजना समाप्त हो गई थी। यह एकमात्र पंचवर्षीय योजना थी जो निर्धारित समय से 1 वर्ष पहले पूरी हो गयी थी|

पांचवी पंचवर्षीय योजना का उद्देश्य-(Purpose of Fifth Panchvarshiya Yojana)
  • कृषि उत्पादन और बचाव में आत्मनिर्भरता हासिल करना
  • गरीबी हटाना
  • निर्धनता उन्मूलन
  • पर्यटन विस्तार
  • सड़क निर्माण
पांचवी पंचवर्षीय योजना की उपलब्धि-(Achievement of Fifth Panchvarshiya Yojana)
  • इसी पंचवर्षीय योजना में 20 अंक कार्यक्रम पेश किया गया था|
  • कार्यक्रम में नीति आयात प्रतिस्थापन और निर्यात को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करना है|
  • न्यूनतम जरूरतों पर राष्ट्रीय कार्यक्रम जिसमे प्राथमिक शिक्षा, पेयजल, ग्रामीण सड़कें, आवास आदि शामिल थे|

रोलिंग प्लान (अनवरत योजना)-गुन्नार म्यर्दल द्वारा पहली बार इस योजना का जिक्र किया गया था, इस  रोलिंग प्लान (अनवरत योजना) में पिछले वर्ष के उद्देश्य अगले वर्ष पूरे किये जाने थे|

छठी पंचवर्षीय योजना (Sixth Panchvarshiya Yojana)-(1980-1985)

जनता सरकार द्वारा तैयार की गई छठी योजना को समाप्त करके सन 1980 में एक नई छठी योजना प्रारंभ की गई। जिसकी अवधि 1980-85 थी। योजना आयोग द्वारा निर्मित यह प्रथम पांचवी पंचवर्षीय योजना थी|

छठी पंचवर्षीय योजना का उद्देश्य-(Purpose of the Sixth Panchvarshiya Yojana)
  • आर्थिक विकास की दर में पर्याप्त वृद्धि
  • संसाधनों के प्रयोग से संबंधित कार्यकुशलता में सुधार
  • उत्पादकता को बढ़ाना
छठी पंचवर्षीय योजना की उपलब्धि-(Achievement of Sixth Panchvarshiya Yojana)
  • 1980 में 6 बैंकों का राष्ट्रीयकरण
  • 1980 में NREP – राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम का आरम्भ
  • ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारंटी कार्यक्रम 1983 में शुरू
  • डेयरी विकास कार्यक्रम
  • TRYSEM (स्व-रोजगार के लिए ग्रामीण युवा प्रशिक्षण)
  • राष्ट्रीय बीज कार्यक्रम
  • KVIP(खादी और ग्राम औद्योगिक कार्यक्रम) 1983 में शुरू
सातवीं पंचवर्षीय योजना (Seventh Panchvarshiya Yojana)-1985-1990

इस योजना की अवधि 1985 से 31 मार्च 1990 तक की थी, इस पंचवर्षीय योजना को 1985 में आरम्भ किया गया, इस योजना को जवाहर रोजगार योजना भी कहा जाता है  जवाहर रोजगार योजना को 1989 में शुरू किया गया था.

सातवीं पंचवर्षीय योजना का उद्देश्य-(Purpose of the Seventh Panchvarshiya Yojana)
  • न्याय पर आधारित सामाजिक प्रणाली की स्थापना
  • देश की तकनीकी विकास के लिए सुदृढ़ आधार तैयार करना, आधुनिकीकरण, विकास, आत्मनिर्भरता और सामाजिक न्याय था।
  • सूर्योदय उद्योग विशेष रूप से खाद्य प्रसंस्करण और इलेक्ट्रॉनिक्स को बढ़ावा देना
सातवीं पंचवर्षीय योजना की उपलब्धि-(Achievement of Seventh Panchvarshiya Yojana)
  • विदेश व्यापार नीति को उदार बनाया गया था
  • लाइसेंसिंग व्यवस्था समाप्त (लाइसेंस राज को समाप्त कर दिया गया था)
  • सीआरआर, एसएलआर कम हो गई थी
  • रूपये का अवमूल्यन किया गया
  • आयात शुल्क को कम किया गया.
  • एमआरटीपी समाप्त कर दिया गया(1969 में शुरू)
  • FERA को FEMA में बदल दिया गया(FERA अधिनियम 1973)
आठवीं पंचवर्षीय योजना (Eighth Panchvarshiya Yojana)-1992-1997

यह पंचवर्षीय योजना डब्लू.मिलर मॉडल पर आधारित थी, देश में राजनीतिक अस्थिरता के कारण ‘आठवीं पंचवर्षीय योजना’ दो वर्ष देर से प्रारम्भ हुई। इसका कार्यकाल 1992 से 1997 तक था|इस पंचवर्षीय योजना के समय देश एक भारी आर्थिक संकट से गुजर रहा था। जिसका कारण निम्न है|

  • भुगतान संतुलन का संकट
  • बढ़ता हुआ ऋण भार
  • लगातार बढ़ता बजट-घाटा
  • बढ़ती हुई मुद्रास्फीति और
  • उद्योग में प्रतिसार
आठवीं पंचवर्षीय योजना का उद्देश्य-(Purpose of the Eighth Panchvarshiya Yojana)
  • बुनियादी ढांचे के विकास पर बल दिया गया।
  • इसका मुख्य उद्देश्य मानव संसाधन विकास था।
  • इस योजना में जनसंख्या विस्फोट को नियंत्रित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • इस योजना में प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण पर जोर दिया गया था।
  • राष्ट्रीय आय एवं औद्योगिक विकास दर लक्षित दर की तुलना में अधिक थे।
  • 73वां संशोधन अधिनियम पेश किया गया, जिसमें पंचायती राज को एक संवैधानिक दर्जा दिया गया (पंचायती राज संस्थान)।
  • 74वां संशोधन अधिनियम पेश किया गया, जिसमें शहरी स्थानीय सरकार को एक संवैधानिक दर्जा दिया गया।
  • नरसिंह राव सरकार ने आर्थिक सुधारों के साथ राजकोषीय सुधारों की भी प्रक्रिया जारी की, ताकि अर्थव्यवस्था को एक नयी गति प्रदान की जा सके।
  • आठवीं योजना का मूलभूत उद्देश्य विभिन्न पहलुओं में मानव विकास करना था।
आठवीं पंचवर्षीय योजना की उपलब्धि-(Achievement of Eighth Panchvarshiya Yojanaya)
  • भारत विश्व व्यापार संगठन का सदस्य बन गया
  • भारत में निजीकरण और उदारीकरण की शुरुआत हुयी
  • उद्योगों का आधुनिकीकरण प्रारंभ
  • विदेशी कर्ज का सही ब्यौरा दिया गया
नौवीं पंचवर्षीय योजना (Ninth Panchvarshiya Yojana)-1997-2002

यह पंचवर्षीय योजना भारत के विकास में सबसे महत्वपूर्ण पंचवर्षीय योजना थी| इस योजना में भारत के स्वतंत्रता स्वर्ण जयंती की पृष्ठभूमि तैयार की गई थी

नौवीं पंचवर्षीय योजना का उद्देश्य-(Purpose of the Ninth Panchvarshiya Yojana)
  • कृषि क्षेत्र और ग्रामीण विकास पर जोर दिया गया
  • पर्याप्त रोजगार के अवसर पैदा करना
  • बुनियादी ढांचागत सुविधाओं में वृद्धि करना
  • अर्थव्यवस्था की विकास दर में तेजी लाना
नौवीं पंचवर्षीय योजना का उपलब्धि-(Achievement of Ninth Panchvarshiya Yojana)
  • प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता.
  • खाद्यान्न अर्थव्यवस्था में आत्मनिर्भरता.
  • अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों का समग्र व विकास.
दसवीं पंचवर्षीय योजना (Tenth Panchvarshiya Yojana)- 2002-2007

इस पंचवर्षीय योजना के ख़त्म होते होते भारत ने 8% प्रति वर्ष सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि हासिल कर ली थी| नौवीं पंचवर्षीय योजना की उपलब्धियों को अक्षुण्णता बनाए रखना एवं अर्थव्यवस्था की विकास की परेशानियां एवं बाधाओं को दूर किया जाना गया|

दसवीं पंचवर्षीय योजना का उद्देश्य-(Purpose of the Tenth Panchvarshiya Yojana)
  • मानव विकास पर जोर
  • पेयजल की पर्याप्त उपलब्धता करना
  • रोजगारोन्मुखी क्षेत्रों का विकास करना
  • गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, जेंडर गैप (लिंग अनुपात), जनसंख्या वृद्धि, आईएमआर (शिशु मृत्यु दर), एमएमआर (मातृ मृत्यु दर) और अन्य सामाजिक-आर्थिक पहलुओं पर विशेष ध्यान
दसवीं पंचवर्षीय योजना का उपलब्धि-(Achievement of Tenth Panchvarshiya Yojana)
  • राष्ट्रीय हेल्थ मिशन की शुरुआत (April 12, 2005)
  • राष्ट्रीय बागवानी मिशन का आरम्भ
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना (Eleventh Panchvarshiya Yojana)-(1 अप्रेल 2007 – 31 मार्च 2012 तक)

प्रधानमत्री मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली केंद्र सरकार में योजना आयोग की बठैक में 8 नवम्बर 2007 को तथा केन्द्रीय मत्रीं मण्डल की बैठक में 30 नवम्बर 2007 को ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना लागू की गर्इ।

ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना का उद्देश्य-(Purpose of Eleventh Panchvarshiya Yojana)
  • 9% वार्षिक विकास दर के लक्ष्य को प्राप्त करना।
  • कृषि में 4% उद्यागे एवं सेवाओं में 9-11% की प्रतिवर्ष वृद्धि के लक्ष्य को प्राप्त करना।
  • बचत की दर सकल घरेलू उत्पाद के 34.8% तथा निवेश की दर 36.7% के लक्ष्य को प्राप्त करना।
  • निधर्नता अनुपात में 10% बिन्दु की कमी करना।
  • रोजगार के 7 करोड निम्नांकित नये अवसर सृजित करना। प्राइमरी में ड्रॉप आउट दर 20% से नीचे लाना। साक्षरता दर को 85% तक पहचुंपाना।
  • 2009 तक सभी को स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति करना। योजना के अतं तक सभी गाँवों में विद्युतीकरण।
  • शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी उन्मलू न व आधारिक सरं चना के विकास को प्राथमिकता।
  • समाजिक आथिर्क विकास में महिला,औद्योगिक अल्पसंख्यक,औद्योगिक पिछड़े जाति, औद्योगिक अनुसूचित जातियांे जन जातियों की भागीदारी सुनिश्चित करना।

देश में आठ नए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (राजस्थान, बिहार, हिमाचंल प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश, उडी़सा, मध्य प्रदेश गुजरात एवं पजांब) सात नए प्रबंधकीय संस्थान (मेघालय, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, उत्तराखण्ड, हरियाणा, जम्मू कश्मीर एवं तमिलनाडु) स्थापित करने की योजना है।

बारहवीं पंचवर्षीय योजना (Twelveth Panchvarshiya Yojana)- Continuously Running

राष्ट्रीय विकास परिषद ने इस पंचवर्षीय को दिसम्बर 2012 में मंजूरी प्रदान की, जबकि यह योजना अप्रैल 2012 में ही आरंभ हो गयी थी|

बारहवीं पंचवर्षीय योजना का उद्देश्य-(Purpose of Twelveth Panchvarshiya Yojana)
  • इस योजना का विषय था, “तेज, सतत और अधक समावेशी विकास
  • वार्षिक विकास दर का लक्ष्य 9% निर्धारित किया गया था, जिसे बाद सितम्बर 2012 में इसे घटाकर 8.2% किया गया, जिसे योजना आयोग की संस्तुति पर राष्ट्रीय विकास परिषद ने घटाकर 8% कर दिया।
  • कृषि क्षेत्र में 4% व् विनिर्माण क्षेत्र में 10% की औसत वार्षिक वृद्धि का लक्ष्य।
  • योजना अवधि में गैर–कृषि क्षेत्र में रोजगार के 5 करोड़ नये अवसरों के सृजन का लक्ष्य।
  • योजना के अंत तक निर्धनता अनुपात से नीचे की जनसँख्या के प्रतिशत में पूर्व आकलन की तुलना में 10% बिंदु की कमी लाने का लक्ष्य।
  • योजना के अंत तक देश में शिशु मृत्यु दर को 25 तथा मातृत्व मृत्यु दर को 1 प्रति हजार जीवित जन्म तक लाने तथा 0-6 वर्ष में बाल लिंगानुपात को 950 करने का लक्ष्य।
  • योजना के अंत तक कुल प्रजनन दर को घटाकर 2.1% तक लाने का लक्ष्य।
  • योजना के अंत तक आधारित संरचना क्षेत्र में निवेश को बढ़ाकर जीडीपी के 9% तक लाने का लक्ष्य।
  • योजना के अंत तक सभी गांवों में विद्युतीकरण करने का लक्ष्य।
  • ग्रामीण क्षेत्र में टेलेवीशन को बढ़ाकर 70% करने का लक्ष्य।
  • वार्षिक केंद्रीय राजकोषीय घाटा इस योजना अवधि में जीडीपी के 3.25% के स्तर तक सीमित रखने का लक्ष्य बनाया गया है और चालू खाते के घाटे को जीडीपी के 2.5% तक करने का लक्ष्य रखा गया है।
  • थोक मूल्य सूचकांक की औसत वार्षिक वृद्धि को 12वी योजना में 4.5-5% तक सीमित रखने का लक्ष्य।

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2 Comments
  1. Divyansh says

    आपके द्वारा दी गई जानकारी के लिए धन्यवाद। जाने पारिवारिक लाभ योजना की सारी जानकारी Parivar pehchan patra बस एक क्लिक पे।

    1. Sandeep Kumar says

      thanks for comment.

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