Indian Constitution Important Act (भारतीय सविंधान महत्वपूर्ण अधिनियम)

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Indian Constitution Important Act

इस Indian Constitution Important Act in Hindi Notes में आपको ऐसे महत्वपूर्ण प्रश्नो का सकलंन प्राप्त होगा जोकि आगामी SSC, BANK, RAILWAY, UPSC, व अन्य राज्यस्तरीय एकदिवसीय परीक्षा के लिए बहुत ही Importent है,  तो आप सभी छात्रबंधू, इस Indian Constitution Important Act पोस्ट को ध्यान पूर्वक पढ लीजिये और समझ लीजिये|

तो आईये देखते है, इस Indian Constitution Important Act की Post में क्या है?

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
16 वी शताब्दी के अंत मे लंदन के कुछ व्यापरियो ने भारत से व्यापार करने के लिए लंदन कंपनी की स्थापना की 1600 ई0 के अंतिम महीनो मे लंदन कंपनी को भारत मे व्यापार करने का आधिकार पत्र मिला । इस कंपनी ने ईस्ट इण्डिया कंपनी के नाम से भारत मे व्यापार करना शुरु किया । 1707 मे औरगंजेब की मृत्यृ के बाद क्रेन्दीय प्रसानन के शक्तिहीन होने के साथ साथ ईस्ट इण्डिया कंपनी ने यहाँ के आंतरिक राजनीतिक गतिविधियो मे हस्तक्षेप करना प्रारभ कर दिया । 1757 मे प्लासी के युध्द सिराजुद्यैला को पराजित कर कंपनी ने बंगाल पर आधिपत्य जमाया 1764 मे बक्सर के युध्द मे कंपनी ने जीत हासिल की । भारत मे कंपनी के बढते राजनीतिक प्रभाव पर संसदीय नियंत्रण के लिए ब्रिटिस सरकार द्वारा समय समय पर अधिनियम पारित किए गए । इन अधिनियमो ने भारतीय ने संविधान के निर्माण के लिए एक आधार पैयार किया ।
1773 का रेग्यूलेटिगं एक्ट
तत्ताकालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री लार्ड नार्थ गोपनीय समिति कि रिपोर्ट पर 1773 मे ब्रिटिश ससंद द्वारा एक्ट पारित किया गया । इसका मुख्य उददेश्य कंपनी मे व्याप्त भ्रष्टाचार एंव कुशासन से दूर करना था।
मद्रास एंव बंबई ् प्रेसीडेसियो को कलकत्ता प्रेसीडेसी के अधीन कर दिया गया । कलकत्ता प्रेसीडेसी के प्रमुख को गवर्नर की जगह गवर्नर जनरल कहा जाने लगा ।
गवर्वर जनरल और आउनकी परिषद इंग्लैण्ड स्थित निदेशक बोर्ड के प्रति उत्तरादायी थी ।
इस एक्ट मे एक उच्चपम न्यायालय के गठन का प्रावधन था . जिसके तहत 1774 मे कलकत्ता मे चार सदस्यीय उच्चपम न्यायालय गठित किया गया ।
लार्ड विलियम बैटिक भारत के पहले गवर्नर जनरल बने ।
 विषायी कार्य  के लिए परिषद का विस्तार किया गया , जिससे पहले तीन सदस्यो के अतिरिक्त एक विधि सदस्य जोड दिया गया ।
 इस एक्ट के द्वारा गवर्नर जनरल की सरकार और उसकी परिषद भारत कहलाने लगी ।
 भारतीय कानुनो को लिपिबध्द तथा सुधारने के उददेश्य से एक विधि आयोग का गठन किया गया ।
1853 का चार्टर एक्ट
 1853 का एक्ट अंतिम चार्टर एक्ट था ।
 बंगाल के लिए लेफ्टिनेंट गवर्नर नियुक्ति किया गया ।
 विघायी परिषद और कार्यकारी परिषद को अलग किया गया  ।
 वंइसी एक्ट द्वारा सर्वप्रथम सम्पूर्ण भारत के लिए एक विधानसभा की स्थापना की गई ।
भारत शासन अधिनियम 1858
 1857 का विद्रोह ईस्ट इण्डिया कंपनी की व्यवस्था के लिए घातक झटका साबित हुआ ।
 यह एक्ट 1858 का भारत के उत्तम प्रशासन के लिए एक्ट दी एक्ट फार दी गुड गवर्नमेंट आँफ इण्डिया बना ।
 इस आधिनियम द्वारा भारत के शासन को कंपनी के हाथो से निकालकर ब्रिटिश क्राउन को सौप दिया गया ।
 इस अधिनियम द्वारा 1784 के पिट्स इण्डिया एक्ट द्वारा लागू  ध्दैध शासन प्रणाली को समाप्त कर दिया गया ।
 भारत के राज्य सचिव का पद सृजित  किया गया , जिसे 15 सदस्यो की एक परिषद जो भारत परिषद के नाम से जाना जाता था । की सहायता से भारत पर शासन करने का अधिाकारी दिया गया ।
 भारत  के गवर्नर जनरल को अब वायसराय की उपाधि मिली जो क्राउन का सीधा प्रतिनिधी  था । लार्ड कैनिग भारत के पहले वायसराय बने ।
 गवर्नर जनरल की कार्यशाला परिषद का विस्तार किया गया तथा उससे एक पाँचवा सदस्य शामिल किया गया जो एक विधेवेत्ता का पद था ।
 गवर्नर कार्य़ो के लिए कम से कम 6 तथाअधिक से अधिक 12 अतिरिक्त सदस्य सम्मिलित किेए गए ।
 पहली बार भारत मे प्रतिनिधी संस्थानो और मंत्रीमण्डीय व्यवास्था की नीव पडी ।
 गवर्नर जनरल को अध्यादेश जारी करने का अधिकारी मिला ।
 गवर्नर जनरल को बंगाल उत्तर पश्चिम सीमा प्रात और पंजाब मे विधान परिषद करने की शक्ति प्रदान की गई ।

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भारतीय परिषद अधिनियम 1892
 गवर्नर जनरल की परिषद मे अतिरिक्त सदस्यो की संख्या बढाकर कम से कम 10 एंव 16 कर दी गई। प्रकार प्रतीय परिषदो मे भी अतिरिक्त सदस्यो संख्या बढा दी गई।
 परिषद को शर्तो  एव प्रतिबंधो के साथ वार्षिक बजट पर विचार तथा प्रश्न पूछने की शक्ति दी गई।
 अप्रत्तक्षय चुनाव प्रणाली की शुरुआत हुई ।
भारतीय परिषद अधिनियम 1909 मार्ल मिण्टो रिफार्म
1909 के अधिनियम द्वारा भारतीय को विधी निमार्ण तथा प्रशासन दोनो के प्रतिनिधत्व  प्रदान किया गया ।
 इस अधिनियम मे पहली बार मुस्लिम समुदाय के लिए पृथक मण्डल की सुविधाय प्रदान की गई ।
 इस अधिनियम ने केन्द्रीय तथा प्रातीय विधायी शक्ति को बढाया परिषद को बजट विवेचना करने तथा उस पर प्रश्न करने का अधिकार दिया गया ।
 सत्येन्द्र सिन्हा को गवर्नर जनरल की कार्यकारीणी का प्रथम भारतीय विधि सदस्य नियुक्त किया गया ।
 भारतीय विधान परिषद मे सदस्यो कि सख्या 60 कर दी  और 9 पदेन सदस्यो का प्रावधान किया गया ।
भारतीय परिषद अधिनियम 1919 मांटेम्यू चेम्सफोर्ड सुधार
 इस अधिनियम के तहत व्दिसनीय व्यावस्था स्थपित कि गई , केन्दीय विधान परिषद का स्थान राज्य परिषद उच्च सदन तथा विधान सभा निम्न सदन वाले द्दिसनीय विधानसभा ने ले लिया ।
राज्य परिषद मे सदस्यो की संख्या 60 थी जिसमे 34 सदस्य निर्वाचन होते थे । राज्य परिषद का कार्यकाल 5 वर्ष का था
 केन्द्रीय विधानसभा मे सदस्यो की सख्या 145 निर्धारित की गई । जिसमे 104 निर्वाचित तथा 41 सदस्य मनोनीत होते थे  इनका कार्यकाल 3 वर्ष का था ।
 सदस्यो का चुनाव सीशक्ति विर्वाचन क्षेत्र द्वारा प्रत्यक्ष रुप किया जाना  था .
 निर्वाचन के लिए अर्हताए सप्रादायिक समूह निवास और संपत्ति पर आधारित थी ।
 प्रातीय विषयो को दो भागो मे बाटा गया आरक्षित विषय एंव हस्तांतरित विषय
 आरक्षित विषय इससे भूराराज्व वित्त , कानुन व्यावास्था, कृषि, सिचाई, खनिज संसाधन, न्याय, पुलिस प्रसासन, उद्योग आदि आते है ।
 हस्तारित विषय  इससे शिक्षा, लोक स्वास्थ, कृषि, माप- तौल स्थानिय शासन, सार्वजनिक मनोरंजन पर नियत्रण, आबकारी आदि प्रमुख है ।
 इसी अधिनियम के द्वारा पहली बार भारत मे लोक सेवा आयोग का गठन हुआ । साथ ही पहली बार लोक लेखा तथा वित्त समिति का गठन हुआ ।
 भाषाई आधार पर राज्यो पुनर्गठन की सिफारिश माँडफोर्ड रिपोर्ट 1918 द्वारा कि गई थी ।
भारत शासन अधिनियम 1935
1935 का शासन अधिनियम 1920 से 1935 तक राष्टिय आदोलन का परिणाम था . यह विधेयक 2 अगस्त 1935 को पारित हुआ । प्रस्तावना रहित यह अधिनियम ब्रिटिश  संसद के इतिहास का सबसे बडा और जतिल प्रलेख था इससे 14  भाग 10 परिशिष्ट 321 धाराए तथा 10 अनुसुचित  थी.
 भारत का वर्तमान सवैधानिक ढाचा तथा सघं मे शामिल होने तैयार भारतीय रियासतो का अखिल भारतीय संघ बनाने का प्रावधान रखा गया ।
 रियासतो का अखिल भारतीय संघ बानने का प्रवधान रखा गया ।
 प्रांतो मे द्दैध शासन व्यावस्था को समाप्त कर प्रांतो मे पूर्ण उत्तरदायी सरकार बनाई गई।
 इस अधिनियम के तहत वर्मा को भारत से अलग कर दिया गया और उडीसा तथा  सिघं दो नए प्रांत बनाए गए .
 साप्रंदायिक निर्वाचन पध्दति का और अधिक विस्तार किया गया ।
 प्रधानमंत्री प्रीमीयम तथा मंत्री मिनिस्तर जैसे शब्दो का प्रयोग किया गया ।
भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947
माउण्टबेटन योजना के आधार  पर ब्रिटिश संसद ने भारतीय स्वतंत्रता विधेयक 18 जुलाई 1947 को परित किया । योजाना को 3 जून 1947 प्रस्तुत किया गया था ।
 इस अधिनियम मे दो डोमिनियम भारत और पकिस्तान की स्थापना के लिए 15 जून 1947 की तारीख निर्धिरित की गई
 बंगाल और पंजाब मे दो प्रात बनाए जाने का प्रवधान किया गया ।

कैसी लगी आपको ये Indian Constitution Important Act अवश्य बताये और आपको किस विषय की नोट्स चाहिए या किसी अन्य प्रकार की दिक्कत जिससे आपकी तैयारी पूर्ण न हो पा रही हो हमे बताये हम जल्द से जल्द वो आपके लिए लेकर आयेगे|

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