हिंदी टाइपिंग टेस्ट देने जा रहे हैं तो जान ले ये टिप्स(जानकारी हिंदी में )
निचले से मध्यम दर्जे की सरकारी नौकरियों के लिए हिंदी टाइपिंग का हुनर आपको भीड़ से अलग खड़ा करता है लेकिन यदि आप हिंदी टाइपिंग टेस्ट देने जा रहे हैं, तो आपको इसकी कुछ बारीकियों का पता होना चाहिए।
सरकारी नौकरी पाना बहुत-से भारतीयों का सपना होता है। यही कारण है कि एसएससी सीजीएल, एसएससी सीएचएसएल, बैंकिंग आदि जैसी सरकारी नौकरियों को पाने के लिए काफी कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है। मगर इसके साथ ही कुछ ऐसी भी सरकारी नौकरियां हैं, जिनमें उम्मीदवारों की स्किल्स के आधार पर भर्ती की जाती है। जहां तक सरकारी नौकरियों का सवाल है, टाइपिंग सबसे महत्वपूर्ण स्किल्स में से एक है, खास तौर पर यदि आप जूनियर से लेकर मिड-लेवल जॉब में जाना चाहते हैं।
जब बात टाइपिंग की आती है, तो यहां हिंदी भाषी उम्मीदवार फायदे की स्थिति में रहते हैं। हिंदी टाइपिंग का हुनर प्राप्त कर आप स्वयं को भीड़ से अलग कर सकते हैं। कारण यह कि इंग्लिश टाइपिंग जानने वालों की तो कोई कमी नहीं होती लेकिन हिंदी टाइपिंग कम ही लोग सीखते हैं। जबकि केंद्र सरकार के साथ ही कई हिंदीभाषी राज्यों में भी काफी सारा सरकारी कामकाज हिंदी में होता है। यदि आप भी कोई ऐसी सरकारी नौकरी पाना चाहते हैं, जिसके लिए हिंदी टाइपिंग टेस्ट देना होता है, तो इससे जुड़ी कुछ बारीकियों पर ध्यान देना जरूरी है।टाइपराइटर बनाम कम्प्यूटर आज की टेक-सेवी दुनिया में जब टाइपिंग टेस्ट की बात आती है, तो सबसे पहले मन में यही सवाल उठता है कि आपको यह टेस्ट टाइपराइटर पर देना होगा या फिर कम्प्यूटर पर।
आज अधिकांश सरकारी विभाग या तो कम्प्यूटर आधारित प्रक्रिया को अपना चुके हैं या फिर अपनाने की तैयारी में हैं। इसलिए बेहतर यही होगा कि आप कम्प्यूटर पर ही हिंदी टाइपिंग परीक्षा देने की तैयारी करें। हां, कुछ सरकारी एजेंसियां यह सुविधा देती हैं कि यदि आप टाइपराइटर पर टाइप करने में अधिक सहज हैं, तो आपको उसी पर परीक्षा देने की अनुमति मिल जाती है। मगर बेहतर होगा कि आप पहले से पता कर लें कि आप जो परीक्षा देने जा रहे हैं, उसमें यह सुविधा है या नहीं।
फॉन्ट : इंग्लिश टाइपिंग के मुकाबले हिंदी टाइपिंग अधिक जटिल होती है। इसलिए आप परीक्षा में टाइपिंग के लिए कौन-सा फॉन्ट चुनते हैं, इससे परिणाम पर काफी असर पड़ सकता है। आम तौर पर सरकारी नौकरियों के लिए हिंदी टाइपिंग टेस्ट मंगल या कृति देव फॉन्ट में होते हैं। फॉन्ट साइज 14 पर रखी जाती है, जिससे परीक्षार्थी व परीक्षक दोनों को ही पढ़ने में सुविधा हो।
स्पीड : टाइपिंग टेस्ट में सबसे अहम कारकों में से एक है स्पीड। अधिकांश सरकारी नौकरियों के लिए 25 से 35 शब्द प्रति मिनट की टाइपिंग स्पीड वांछित होती है। निचले पदों के लिए टाइपिंग टेस्ट कम अवधि के होते हैं और इनमें कम स्पीड की आवश्यकता होती है। बेहतर पद और बेहतर पे-स्केल वाली नौकरी के लिए स्पीड भी बेहतर चाहिए होती है।
की डिप्रेशन: टाइपिंग स्पीड नापने का एक पैमाना की डिप्रेशन भी है, यानी आपके द्वारा दबाए गए टाइपराइटर अथवा कम्प्यूटर कीबोर्ड के बटनों की संख्या। की डिप्रेशन में सभी अक्षरों, अंकों तथा स्पेशल कैरेक्टर्स की कीज शामिल होती हैं। यहां तक कि स्पेसबार, टैब व एंटर की दबाना भी की डिप्रेशन में गिना जाता है। मगर शिफ्ट, बैकस्पेस व डिलीट की को दबाना की डिप्रेशन की गिनती में नहीं आता है। 35 शब्द प्रति मिनट की टाइपिंग स्पीड का अर्थ होता है 10,500 की डिप्रेशन प्रति घंटा तथा 30 शब्द प्रति मिनट की टाइपिंग स्पीड का अर्थ होता है 9,000 की डिप्रेशन प्रति घंटा।
गलतियां कैसी-कैसी
टाइपिंग टेस्ट में स्पीड के अलावा एक्यूरेसी भी मायने रखती है। आम तौर पर, यदि टाइपिंग टेस्ट केवल क्वॉलिफाइंग टेस्ट है, तो 5 प्रतिशत तक गलतियों को अनदेखा कर केवल स्पीड पर गौर किया जाता है। वहीं, अगर टाइपिंग टेस्ट एग्जाम पैटर्न का अहम हिस्सा है, तो सभी गलतियों को गिना जाता है। दोनों ही मामलों में टाइपिंग मिस्टेक्स को दो भागों में बांटा जाता है:
हाफ मिस्टेक: इसमें किसी शब्द की गलत स्पेलिंग या किसी शब्द में एक अक्षर का छूट जाना शामिल है। (इंग्लिश टाइपिंग में वाक्य की शुरुआत में कैपिटल लेटर का न होना भी इस श्रेणी में आता है)।
फुल मिस्टेक: पूरा शब्द या शब्दों का समूह छूट जाना, मूल शब्द के जगह कोई और शब्द या अंक टाइप कर देना या कोई अतिरिक्त शब्द टाइप करना फुल मिस्टेक के तहत आता है।