महान भारतीय वैज्ञानिक High Court RO/ARO ( For All competitive Exam)

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महान भारतीय वैज्ञानिक High Court RO/ARO ( For All competitive Exam)


सत्येन्द्र नाथ बोस
इस महान भारतीय वैज्ञानिक की महानता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भौतिक शास्त्र में बोसान और फर्मियान नाम के दो अणुओं में से बोसान सत्येन्द्र नाथ बोस के नाम पर ही है. उन्होंने अपने समय के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन के साथ मिलकर बोस-आइंस्टीन स्टैटिस्टिक्स की खोज की…

वेंकटरामन रामकृष्णन
तमिलनाडू के चिदंबरम जिले से आने वाले भारतीय मूल के वेंकटरामन रामकृष्णन को साल 2009 में रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्का्र दिया गया. रामन को यह पुरस्कार कोशिका के अंदर प्रोटीन का निर्माण करने वाले राइबोसोम की कार्यप्रणाली व संरचना के उत्कृष्ट अध्ययन के लिए दिया गया.

सुब्रमण्‍यम चंद्रशेखर
सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर को 1983 में भौतिक शास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया. डॉ. सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर ने श्‍वेत बौने नाम के नक्षत्रों की खोज की. उनके द्वारा खोजे गए इस नक्षत्रों की सीमा को चंद्रशेखर सीमा कहा जाता है. इस भारतीय वैज्ञानिक की इस खोज ने दुनिया की उत्‍पत्ति के रहस्‍यों को सुलझाने में बहुत योगदान दिया. वे महान भारतीय वैज्ञानिक सीवी रमन के भती‍जे थे. उनका नाम 20वीं शताब्‍दी के महान वैज्ञानिकों की सूची में शुमार किया जाता है.

हरगोविंद खुराना
भारतीय मूल के इस अमेरिकी नागरिक और वैज्ञानिक डॉ. हरगोबिंद खुराना को 1968 में चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्‍कार दिया गया. उन्‍होंने आनुवांशिक कोड (डीएनए) की व्याख्या की और उसका अनुसंधान किया. खुराना ने मार्शल, निरेनबर्ग और रोबेर्ट होल्ले के साथ मिलकर चिकित्सा के क्षेत्र में काम किया. खुराना के इस अनुसंधान से चिकित्‍सा क्षेत्र को यह पता लगाने में मदद मिली कि कोशिका के आनुवंशिक कूट (कोड) को ले जाने वाले न्यूक्लिक अम्ल (एसिड) न्यूक्लिओटाइड्स कैसे कोशिका के प्रोटीन संश्लेषण (सिंथेसिस) को नियंत्रित करते हैं.

सीवी रमन
इनका पूरा नाम चंद्रशेखर वेंकटरमन था और विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पाने वाले वे पहले वैज्ञानिक थे. 1930 में उन्‍हें भौतिक शास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया. वेंकटरमन ने प्रकाश पर गहन अध्ययन किया. उनके अविष्‍कार को ‘रमन-किरण’ के रूप में जाना गया. रामन प्रभाव स्पेक्ट्रम पदार्थों को पहचानने और उनकी अन्तरंग परमाणु योजना का ज्ञान प्राप्त करने का महत्‍वपूर्ण साधन के रूप में जाना गया. रमन को 1954 ई. में भारत रत्न दिया गया जबकि 1957 में लेनिन शान्ति पुरस्कार प्रदान किया !

एपीजे अब्दुल कलाम
भारत के पूर्व राष्ट्रपति और भारत रत्न एपीजे अब्दुल कलाम भारत में मिसाइल मैन के नाम से भी जाने जाते हैं. 1962 में वे ‘भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन’ में शामिल हुए. कलाम को प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल है. 1980 में कलाम ने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया था. उन्हीं के प्रयासों की वजह से भारत भी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया. इसरो लॉन्च व्हीकल प्रोग्राम को परवान चढ़ाने का श्रेय भी इन्हें प्रदान किया जाता है. डॉक्टर कलाम ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी (गाइडेड मिसाइल्स) को डिजाइन किया. खास बात यह है कि कलाम ने अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइल्स को स्वदेशी तकनीक से बनाया.

जयंत विष्णुदनार्लीकर
महाराष्ट्र् के कोल्हा पुर में जन्में प्रसिद्ध वैज्ञानिक जयंत विष्णुनार्लीकर भौतिकी के वैज्ञानिक हैं. उन्होंने ब्रह्मांड की उत्पत्ति के बिग बैंग की थ्योडरी के अलावा नये सिद्धांत स्थायी अवस्था के सिद्धान्त (Steady State Theory)पर भी काम किया है. उन्होंने इस सिद्धान्त के जनक फ्रेड हॉयल के साथ मिलकर काम किया और हॉयल-नार्लीकर सिद्धान्त का प्रतिपादन किया. कई पुरस्कारों से सम्मानित नार्लीकर ने विज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिए विज्ञान साहित्यड में भी अपना अमूल्यड योगदान दिया.

विक्रम साराभाई
विक्रम अंबालाल साराभाई भारत के अंतरिक्ष इतिहास के जनक कहे जा सकते हैं. एक तरह से उन्होंलनें भारत के अंतरिक्ष प्रोग्राम की नींव रखी. उन्होंरने देश में 40 अंतरिक्ष और शोध से जुड़े संस्थाहनों को खोला. उन्होंरने आणविक ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य अनेक क्षेत्रों में भी बराबर का योगदान किया. गुजरात के अहमदाबाद से आने वाले सारा भाई पर तिरूवनंतपुरम में स्थापित थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉचिंग स्टेशन (टीईआरएलएस) और सम्बध्द अंतरिक्ष संस्थाओं का नाम बदल कर विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र रख दिया गया. यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक प्रमुख अंतरिक्ष अनुसंधान केन्द्र के रूप में उभरा.

डॉ जगदीश चंद्र बोस
जगदीशचंद्र बोस को सर बोस भी कहा जाता था. उन्हें भौतिकी, जीवविज्ञान, वनस्पतिविज्ञान तथा पुरातत्व का गहन ज्ञान था. वे दुनिया के पहले ऐसे वैज्ञानिक थे, जिन्होंंने रेडियो और सूक्ष्म तरंगों की प्रकाशिकी पर कार्य किया. इसके अलावा वनस्पति विज्ञान में भी उन्होनें कई महत्वपूर्ण खोजें की. वे भारत के पहले वैज्ञानिक थे, जिन्हें अमेरिकी पेटेंट मिला. पूरी दुनिया में उन्हें रेडियो विज्ञान का पिता कहा जाता है.

होमी जहांगीर भाभा
डॉ. होमी जहांगीर भाभा के बिना भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की कल्पना ही नहीं की जा सकती. उन्हें ‘आर्किटेक्ट ऑफ इंडियन एटॉमिक एनर्जी प्रोग्राम’ भी कहा जाता है. उन्हीं की बदौलत 1974 में देश पहला परमाणु परीक्षण करने में सफल रहा. उन्होंने एक तरह से देश को परमाणु शक्ति संपन्न बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. चौंकाने वाली बात यह थी कि उन्होंने नाभिकीय विज्ञान में तब कार्य आरम्भ किया जब इसके बारे में ज्ञान न के बराबर था, जबकि उनकी नाभिकीय ऊर्जा से विद्युत उत्पादन की कल्पना को तो कोई मानने को तैयार नहीं था.

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