संविधान के Article 370 के बारे में सबकुछ-हिंदी में

नमस्कार दोस्तो ,

इस पोस्ट में हम आपको संविधान के Article 370 के बारे में सबकुछ के बारे में जानकारी देंगे, क्युकी इस टॉपिक से लगभग एक या दो प्रश्न जरूर पूछे जाते है तो आप इसे जरूर पड़े अगर आपको इसकी पीडीऍफ़ चाहिये तो कमेंट के माध्यम से जरुर बताये| आप हमारी बेबसाइट को रेगुलर बिजिट करते रहिये, ताकि आपको हमारी डेली की पोस्ट मिलती रहे और आपकी तैयारी पूरी हो सके|

संविधान के Article 370 के बारे में सबकुछ


अस्थायी है Article 370

Article 370 और Article 35A को लेकर संविधान विशेषज्ञों की अपनी राय है. संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 पूरी अस्थायी है. इस बात का जिक्र अनुच्छेद में ही किया गया है.

दो तरीके हैं Article 370 हटाने के

Article 370 को हटाने को लेकर संविधान में दो बातें कहीं गई है. पहली बात ये है कि अनुच्छेद 370 को जम्मू कश्मीर विधानसभा की सहमति से संसद हटा सकती है, जबकि दूसरा प्रावधान है कि संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत संसद दो-तिहाई बहुमत से इसको समाप्त कर सकती है.

संसद को है अधिकार

अनुच्छेद 368 संसद को संविधान के किसी भी अनुच्छेद में संशोधन करने या उसको हटाने का अधिकार देती है. यही अनुच्छेद 370 के बारे में कई गुत्थियां सुलझाता है.

अस्थायी उपबंध

अनुच्छेद 370 जम्मू कश्मीर राज्य के लिए विशेष उपबंध नहीं करता है बल्कि ये राज्य के लिए अस्थायी उपबंध करता है. इस अनुच्छेद को भारतीय संसद दो तिहाई बहुमत से खत्म कर सकती है. जम्मू-कश्मीर राज्य को कभी भी स्पेशल स्टेटस नहीं दिया गया. ये भी तर्क दिया गया कि 35A भी एक अस्थायी उपबंध था.

शेख अब्दुल्ला की थी पहल

संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि डॉ भीमराव अंबेडकर भारतीय संविधान में आर्टिकल 370 के पक्ष में नहीं थे. लिहाजा इस अनुच्छेद को संविधान में जोड़ने का प्रस्ताव शेख अब्दुल्ला ने रखा था और यह अनुच्छेद मामूली चर्चा के बाद संविधान में जोड़ दिया गया.

संसद में गंभीर चर्चा नहीं

आर्टिकल 370 को लेकर संसद में गंभीरता से चर्चा भी नहीं की गई थी. डॉक्टर अंबेडकर ने कहा था कि वह जम्मू-कश्मीर की पॉलिसी को लेकर खुश नहीं है.

प्रेसिडेंशियल ऑर्डर

भारतीय संविधान के आर्टिकल 35A को प्रेसिडेंशियल ऑर्डर के जरिए जोड़ा गया था. जब इस प्रेसिडेंशियल ऑर्डर को जारी किया गया उस समय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे और राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद थे. कश्मीर जम्मू कश्मीर की समस्या की असली जड़ अनुच्छेद 35A ही है. प्रेसीडेंशियल ऑर्डर के द्वारा इसे समाप्त भी किया जा सकता है.

विशेष नहीं अस्थायी उपबंध

भारतीय संविधान के aa370 में जम्मू कश्मीर राज्य के लिए अस्थायी उपबंध किया गया है. जम्मू-कश्मीर के लिए विशेष उपबंध का नहीं, बल्कि अस्थाई उपबंध का इस्तेमाल किया गया है.

Article 370 हटाना सही

संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने कहा कि इसके बाद अनुच्छेद 370 के तहत कॉन्स्टिट्यूशन (एप्लीकेशन टू जम्मू कश्मीर) ऑर्डर 1954 जारी करके संविधान में आर्टिकल 35A को जोड़ा गया.

कोर्ट में दी गयी थी चुनौती

साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट में एक एनजीओ ने याचिका दायर कर इस अनुच्छेद को एक भारत की भावना के खिलाफ और अलगाववाद को बढ़ावा देने वाला प्रावधान बताया. इस याचिका में अनुच्छेद 35A और अनुच्छेद 370 की वैधानिकता को चुनौती दी गई थी. याचिका में तर्क दिया गया कि आजादी के बाद देश का संविधान बनाने के लिए जो संविधान सभा बनी थी उसमें जम्मू-कश्मीर के 4 प्रतिनिधि भी शामिल थे. आर्टिकल 35A एक अस्थायी उपबंध था जिसे राज्य में हालात को उस समय स्थिर करने के लिए जोड़ा गया था.

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