उत्तर प्रदेश के योजनाओं के बारे में-हिंदी में

इस पोस्ट में हम आपको उत्तर प्रदेश के योजनाओं के बारे में जानकारी देंगे, क्युकी इस टॉपिक से लगभग 4 या 5 प्रश्न जरूर पूछे जाते है तो आप इसे जरूर पड़े अगर आपको इसकी पीडीऍफ़ चाहिये तो कमेंट के माध्यम से जरुर बताये| आप हमारी बेबसाइट को रेगुलर बिजिट करते रहिये, ताकि आपको हमारी डेली की पोस्ट मिलती रहे और आपकी तैयारी पूरी हो सके|

उत्तर प्रदेश के योजनाओं


SC/ST कल्याण  

प्रदेश में एससी एसटी के कल्याण हेतु समाज कल्याण विभाग की स्थापना 1955 में की गई। 1995 में इसे अलग कर अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण विभाग की स्थापना की गई। इसकी कुछ योजनाएं- छात्रवृत्ति योजना, बुक बैंक योजना, प्राथमिक पाठशालाओं को अनुदान, राजकीय आश्रम पद्धति के विद्यालयों एवं छात्रावासों की स्थापना, निशुल्क बोरिंग योजना, स्पेशल कंपोनेंट योजना आदि
● प्रदेश में सरकारी सेवा प्रशिक्षण संस्थाओं में SC ST के लिए 23% सीटें आरक्षित हैं।
● राज्य विधानसभा में 89 सीटें SC ST हेतु सुरक्षित है।
● अस्पृश्यता की भावना को समाप्त करने तथा उन पर होने वाले अत्याचारों से रक्षा के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा पारित कानून नागरिक संरक्षण अधिनियम 1955 तथा अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार अधिनियम 1989 को पूरे प्रदेश में लागू किया गया है।
● अनुसूचित जाति जनजाति के मामलों का तेजी से निस्तारण करने के लिए 40 जिलों में विशेष अदालतों का गठन भी किया गया है।

उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम – इस निगम की स्थापना 1975 में की गई थी। यह निगम प्रदेश में निवास करने वाले गरीब और बेरोजगार अनुसूचित जाति के लोगों को कई स्वरोजगार योजना संचालित कर रहा है। इसकी कुछ योजनाएं निम्न है-

स्वत रोजगार योजना गरीबी रेखा से नीचे के अनुसूचित जातियों के लिए स्वतः रोजगार कि इस योजना का क्रियान्वयन वर्ष 1980-81 से किया जा रहा है। इसमें उद्योग, सेवा, व्यवसाय, पशुपालन, ट्रांसपोर्ट तथा सभी आर्थिक विकास की योजनाएं आच्छादित है।

कौशल वृद्धि प्रशिक्षण योजनाएं प्रदेश में गरीब एवं बेरोजगार अनुसूचित जाति के व्यक्तियों के लिए कौशल वृद्धि हेतु कंप्यूटर, सिलाई कढ़ाई, ऑटोमोबाइल, टीवी रेडियो मरम्मत, फूड प्रोसेसिंग, एयर कंडीशनर, टंकण एवं आशुलिपि प्रशिक्षण योजना निशुल्क संचालित की जाती है साथ में प्रशिक्षण अवधि में ₹600 प्रति माह तक छात्रवृत्ति दी जाती है।

सेनेटरी मार्ट योजना निगम ने सिर पर मैला ढोने पर रोक लगाने के बाद बेरोजगार हुए लोगों को रोजगार प्रदान करने के उद्देश्य से वर्ष 2001 2002 से सेनेटरी मार्ट योजना प्रारंभ की है इस योजना के अंतर्गत एक व्यक्ति को 20000 से ढाई लाख रुपए तक की ऋण सुविधा प्रदान की जाती है।

SC ST शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान प्रदेश में इस प्रकार के संस्थान की स्थापना वर्ष 1986 87 में लखनऊ में की गई। यह संस्थान जनजाति कार्य मंत्रालय, भारत सरकार की शोध प्रशिक्षण योजना के अंतर्गत स्थापित है। केंद्र एवं राज्य सरकार का अनुदान 50-50% है।

बालिका श्री योजना अनुसूचित जनजाति कि बालिकाओं को बीमा सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से 2006-2007 के बजट में घोषित इस योजना में ₹200 बीमा किस्त के रूप में तथा ₹800 का बचत पत्र दिए जाने की व्यवस्था की गई है।

बुक बैंक योजना केंद्र एवं राज्य सरकार के 50-50% भागीदारी से SC ST के मेडिकल, इंजीनियरिंग, कृषि स्नातक व वाणिज्य आदि में शिक्षा ले रहे बच्चों को महंगी पुस्तकें उपलब्ध कराने के लिए वर्ष 1978 1979 से बुक बैंक की योजना चल रही है।

पिछड़ा वर्ग कल्याण

प्रदेश की कुल जनसंख्या का 54 प्रतिशत जनसंख्या पिछड़े वर्ग के लोगों की है। 2 अगस्त 1995 को इस वर्ग के कल्याण के लिए उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग नाम से एक अलग विभाग की स्थापना की गई। वर्तमान में पिछड़े वर्ग में प्रदेश की 79 जातियां शामिल है

उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग मार्च 1993 में उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की स्थापना की गई। इसमें एक अध्यक्ष दो उपाध्यक्ष व 17 सदस्य होते हैं अध्यक्ष को राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त है।

उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग वित्त विकास निगम पिछड़े वर्गों के चौमुखी विकास में सहायता करने के लिए इस निगम की स्थापना सितंबर 1989 में की गई। यह निगम राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त निगम की चैनलॉजिंग एजेंसी है निगम द्वारा अपनी योजना का संचालन राष्ट्रीय निगम से ऋण लेकर किया जाता है इस निगम द्वारा प्रदेश में मार्जिन मनी ऋण योजना फार्म लोन योजना, महिलाओं में आत्मनिर्भरता लाने के लिए ऋण की नव स्वर्णिमा योजना, शिल्प संपदा योजना, सक्षम योजना, सूक्ष्म क्रेडिट योजना तथा कई अन्य शैक्षिक योजना चलाई जा रही है।

आरक्षण व्यवस्था सरकारी सेवाओं, स्कूल-कॉलेज और विश्वविद्यालय में 8 लाख वार्षिक से कम आय वाले पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए 27% सीटें आरक्षित हैं।

छत्रपति शाहूजी छात्रवृत्ति योजना यह प्रदेश की सबसे बड़ी छात्रवृत्ति योजना है जो कि पिछड़े वर्ग के छात्रों के लिए चलाई जा रही है इससे प्रदेश के 8 लाख विद्यार्थी लाभान्वित है।

मौलाना मोहम्मद अली जोहर छात्रवृति योजना 2005 में ही पिछड़े वर्ग के छात्रों को नियमित छात्रवृत्ति प्रदान करने के उद्देश्य से यह योजना शुरू की गई।

दशम पूर्व एवं दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजना पिछड़े वर्ग के छात्रों जिनके अभिभावक की आय 2 लाख रूपय तक वार्षिक है के लिए यह योजना 2004-05 से चलाई जा रही है।

महिला एवं बाल कल्याण

प्रदेश में महिला कल्याण एवं बाल विकास के लिए प्रशासनिक मशीनरी के रूप में सर्वप्रथम 1988 में बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार निदेशालय की स्थापना की गई और इसके 1 साल बाद 1989 में महिला एवं बाल विकास विभाग की स्थापना की गई।

समेकित बाल विकास परियोजना प्रदेश में यह परियोजना 1975 में केंद्र की सहायता से 3 विकासखंडों में शुरू की गई। वर्तमान में राज्य में बाल विकास निदेशालय के अधीन 897 समेकित बाल विकास परियोजना चलाई जा रही है एक परियोजना में औसतन डेढ़ सौ आंगनबाड़ी केंद्र होते हैं प्रदेश में इस समय कुल डेढ़ लाख आंगनबाड़ी केंद्र है समेकित बाल संरक्षण योजना केंद्र व राज्य की हिस्सेदारी क्रमशः 55% में 45% का है।

  • इस परियोजना का लाभ 6 माह से 6 वर्ष तक के बच्चों, 20 से 45 वर्ष की गर्भवती एवं धात्री महिलाओं तथा 11 से 18 वर्ष की किशोरी बालिकाओं को मिलता है।
  • आंगनबाड़ी केंद्रों पर 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों को स्कूल पूर्व शिक्षा दी जाती है।
  • वर्तमान में राज्य में 897 परियोजनाओं के तहत कुल 187997 आंगनबाड़ी केंद्र है इन केंद्रों पर मार्थ समितियों के माध्यम से पके भोजन उपलब्ध कराए जाते हैं।

किशोरी शक्ति योजना महिला एवं बाल विकास के अंतर्गत 53 जिलों में यह योजना 602 परियोजनाओं में चलाई जा रही है। इसका उद्देश्य किशोरियों को प्रजनन स्वास्थ्य समस्याओं एवं अधिकारों के प्रति जागरुक करना तथा रोजगार के अवसर प्रदान करना है। इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक परियोजना से 60 बालिकाओं को चयनित कर प्रशिक्षण दिया जाता है।

वंदे मातरम योजना 9 फरवरी 2004 से शुरू इस योजना का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को निशुल्क उपचार उपलब्ध कराना है।

बालिका समृद्धि योजना भारत सरकार सहायतित बालिका समृद्धि योजना 15 अगस्त 1997 को शुरू किया गया। इस योजना के अंतर्गत गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों के 15 अगस्त 1997 उसके बाद जन्म लेने वाले अधिकतम दो बालिकाओं के जन्म पर ₹500 दिए जाते हैं इनमें से 100 रुपयै को भाग्यश्री बालिका बीमा की प्रीमियम के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।

राज्य महिला आयोग उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग अधिनियम 2004 के तहत अगस्त 2004 में राज्य महिला आयोग के गठन की अधिसूचना जारी की गई इस गठन का उद्देश्य महिलाओं के अधिकारों के संरक्षण एवं उनके समुचित विकास तथा कल्याण के लिए प्रतिबद्ध होना है। आयोग में एक अध्यक्ष, दो उपाध्यक्ष तथा 17 सदस्य तथा एक सचिव की व्यवस्था है। अध्यक्ष को राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है।

स्वाधार योजना 2001-02 से शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य निराश्रित, जेल से अवमुक्त, वेश्यावृत्ति से अवमुक्त महिला को गृह आश्रय उपलब्ध करा कर उन्हें चिकित्सा, परामर्श, विधिक सहायता, प्रशिक्षण एवं आर्थिक आत्मनिर्भरता प्रदान करना है। भारत सरकार के सहयोग से वृंदावन में स्वाधार केंद्र स्थापित है।

राज्य पोषण मिशन राज्य में कुपोषण की समस्या से निपटने हेतु राज्य पोषण मिशन की शुरुआत 1 नवंबर 2014 को की गई है।

वृद्ध महिला आश्रम अकेली असहाय महिलाओं के लिए प्रदेश के 17 मंडल मुख्यालय पर 17 वृद्ध महिला आश्रम संचालित है।

परिवार कल्याण

भारत सरकार द्वारा परिवार नियोजन कार्यक्रम 1955 में शुरू किया गया लेकिन उत्तर प्रदेश में इसे 1957 में लागू किया गया। 1977 में परिवार नियोजन का नाम बदलकर परिवार कल्याण ब्यूरो और 1995 में अलग कर परिवार कल्याण महानिदेशालय का गठन किया गया इस महानिदेशालय के माध्यम से राज्य में बाल स्वास्थ्य सेवाएं मार्च स्वास्थ्य सेवाएं गर्भनिरोधक सेवाएं प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम परिवार कल्याण बीमा योजना राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन जननी सुरक्षा योजना चलाई जा रही है।

● इस समय प्रदेश 5 महानगरों में नगर निगम द्वारा नगर परिवार कल्याण ब्यूरो संचालित है।

राज्य स्वास्थ्य मिशन राष्ट्रीय ग्रामीण मिशन के अंतर्गत राज्य सरकार ने 10 सितंबर 2005 को निर्धन और सामान्य स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित वर्ग को गुणवत्तापरक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्य स्वास्थ्य मिशन तथा कार्यक्रम के क्रियान्वयन हेतु समितियां गठित की गई है। इस मिशन के प्रथम चरण का मुख्य उद्देश्य वर्ष 2005 से 2012 के अंदर मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में 50% की कमी लाना था। मिशन के अंतर्गत जनता को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधित सभी सेवाएं और सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ-साथ स्वच्छ पेयजल, वातावरण की स्वच्छता और समुचित पोषण पर ध्यान देकर उसके समग्र स्वास्थ्य की रक्षा और विकास करना है।

सौभाग्यवती योजना राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत BPL परिवारों हेतु यह योजना चलाई जा रही है इसके तहत निजी अस्पतालों को चयनित कर संस्थागत प्रसव की सुविधा दी जाती है।

आशीर्वाद स्कूल हेल्थ कार्यक्रम राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत स्कूली छात्रों के स्वास्थ्य परीक्षण, चश्मा वितरण व आयरन गोली वितरण संबंधी यह कार्यक्रम अक्टूबर 2008 से संचालित है।

आशा ग्रामीण क्षेत्र में प्रति एक हजार की आबादी पर एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता आशा का चयन किया गया है। यह समाज व स्वास्थ्य विभाग के मध्य लिंक वर्कर की तरह कार्य करती है।

उषा आशा की तर्ज पर 2009 से शहरी क्षेत्रों में उषा का चयन शुरू किया गया। पहले चरण में राज्य के 7 बड़े शहरों में कार्यक्रम लागू किया गया था।

जननी सुरक्षा योजना निर्धनता रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली महिलाओं हेतु एक अप्रैल 2005 से प्रारंभ इस योजना ने राष्ट्रीय मातृत्व लाभ योजना का स्थान लिया है तथा यह राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन का घटक है।

परिवार नियोजन बीमा योजना नसबंदी कराने के दौरान महिला की मृत्यु पर ₹100000 तक का मुआवजा प्रदान कर सीमा सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा 30 दिसंबर 2005 को इस योजना को लागू किया गया।

ग्रीन कार्ड योजना 2 बच्चों के बाद पति पत्नी द्वारा नसबंदी कराने को प्रोत्साहित करने संबंधी यह कार्यक्रम 1985 में शुरू किया गया। इस योजना के कार्ड धारियों को ग्राम विकास योजना, सरकारी अस्पतालों, राशन की दुकानों आदि में वरीयता दी जाती है।

उत्तर प्रदेश ग्राम्य व नगरीय विकास

ग्राम्य विकास

राज्य सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के तहत ग्रामीण क्षेत्रों के सुनियोजित आर्थिक विकास हेतु अनेक केंद्रीय प्रादेशिक व संयुक्त कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

राज्य ग्रामीण विकास संस्थान ग्राम विकास से संबंधित अधिकारियों के प्रशिक्षण, अनुसंधान एवं परामर्शी कार्यों हेतु 1 अप्रैल 1982 को दीनदयाल उपाध्याय राज्य ग्रामीण विकास संस्थान, बख्शी तालाब, लखनऊ की स्थापना की गई है।

उत्तर प्रदेश ग्रामीण आवास परिषद ग्रामीण आवास एवं मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु 1983 में एक निगमित निकाय के रूप में इसकी स्थापना की गई।

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना गांव को पक्की सड़क से जोड़ने वाली पूर्णतया केंद्र पोषित यह योजना दिसंबर 2000 से चलाई जा रही है। 2015 से इस योजना का द्वितीय चरण शुरू हुआ है जिसमें केंद्र व राज्य की भागीदारी 60:40 है।

राष्ट्रीय आजीविका मिशन केंद्र व राज्य के 75:25 की भागीदारी वाली स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना 1 अप्रैल 1999 से चलाई जा रही थी। 2012-13 में इस योजना का पुनर्गठन कर इसका नाम राष्ट्रीय आजीविका मिशन किया गया है। इसका उद्देश्य BPL परिवारों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने हेतु छोटे उद्योगों की स्थापना में सहयोग करना है।

ग्रामीण पेयजल आपूर्ति एवं स्वच्छता परियोजना विश्व बैंक एवं भारत सरकार द्वारा सहायतित परियोजना पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 14 जून 2014 से प्रदेश के इलाहाबाद सहित 10 जिलों में चलाई जा रही है।

संपूर्ण स्वच्छता अभियान केंद्र द्वारा संचालित इस अभियान के तहत केंद्र और राज्य सहयोग से 1999-2000 से ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसमें गरीबी रेखा से नीचे के ग्रामीणों को शौचालय निर्माण हेतु आर्थिक सहायता दी जाती है।

अंबेडकर विशेष रोजगार योजना उत्तर प्रदेश की यह एक प्रोजेक्ट एप्रोच योजना है जिसकी शुरुआत सितंबर 1991 में की गई। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय संसाधनों एवं आवष्यकताओं को देखते हुए बहुआयामी योजनाओं का निर्माण कर स्थानीय स्तर पर सतत रोजगार के अवसर सृजित करना और ग्रामीणों के पलायन को रोकना है।

रोजगार छतरी/संकल्प योजना प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी को देखते हुए इस योजना को शुरू किया गया है। इस योजना में सभी वर्ग के बेरोजगारों को सम्मिलित किया गया है। इसके लिए प्रदेश के सरकार के रोजगार सर्जन से संबंधित विभिन्न विकास विभागों का सहयोग लिया जाता है।

मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग योजना अप्रैल 2005 से शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य गांवों में 18 से 50 वर्ष के युवक को विशेषकर SC ST OBC महिला विकलांग व अल्पसंख्यक युवकों को रोजगार के माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराना है इस योजना के तहत 10 लाख रुपए तक का ऋण दिया जाता है।

डॉ राम मनोहर लोहिया समग्र ग्राम विकास योजना 17 मई 2012 को राज्य सरकार ने 12 अगस्त 1995 से चली आ रही डॉक्टर अंबेडकर समग्र ग्राम विकास योजना के स्थान पर इस योजना को चलाने का निर्णय लिया है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य उन राजस्व गांव को विकास की मुख्यधारा से जोड़ना है जो कि विकास की आधारभूत सुविधाओं से वंचित है। इस योजना के तहत चयनित गांव को राज्य सरकार के विभागों के कार्यक्रमों से संतृप्त किया जाता है। इस योजना के तहत 5 वर्षों में लगभग 10 हजार गांवों को लाभांवित करने का लक्ष्य है।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 के तहत राज्य में इस कार्यक्रम को सर्वप्रथम 2 फरवरी 2006 को 22 जिलों में शुरू किया गया। 15 मई 2007 को 17 और जिलों में विस्तार किया गया और 1 अप्रैल 2008 से पूरे प्रदेश में लागू कर दिया गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों के इच्छुक परिवारों को रोजगार सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक वित्तीय वर्ष में 100 दिन के श्रमपरक रोजगार की गारंटी प्रदान करना है इस योजना के तहत देय अकुशल मजदूरी का शत-प्रतिशत पोषण केंद्र सरकार करती है जबकि सामग्री अंश पर केंद्र व राज्य की भागीदारी 75:25 है।

लोहिया ग्रामीण आवास योजना पूर्णत राज्य सरकार द्वारा वित्त पोषित यह योजना 20 फरवरी 2013 को शुरू की गई। योजना ग्रामीण SC ST OBC व सामान्य जाति के उन ग्रामीण आवासहीन परिवारों के लिए चलाई जा रही है जिनकी वार्षिक आय ₹36000 से कम है तथा इंदिरा आवास योजना के पात्र नहीं है। इस योजना के तहत निर्मित मकान में वैकल्पिक ऊर्जा विभाग द्वारा ₹15000 की लागत से सोलर लाइट की व पंचायत राज विभाग द्वारा शौचालय की व्यवस्था की जाती है।

प्रधानमंत्री आवास योजना गरीबी रेखा के नीचे के लोगों को 20 वर्ग मीटर क्षेत्र पर पक्का मकान बनाने हेतु अनुदान देने संबंधी केंद्र व राज्य सरकार की 75 अनुपात 25 के सहयोग वाली योजना अप्रैल 1996 में इंदिरा आवास योजना के नाम से शुरू की गई थी लेकिन 2016 में इसका नाम बदल दिया गया है। इस योजना की शर्त है कि कम से कम 60% लाभार्थी SC ST, 15% अल्पसंख्यक व 3% दिव्यांग के होने चाहिए।

नगर विकास

राज्य आवास एवं शहरी नियोजन विभाग का गठन नगरीय क्षेत्रों के सुनियोजित विकास के साथ-साथ आवासीय समस्या के समाधान हेतु की गई है। इसके कार्यक्रम निम्न है-

आवास एवं विकास परिषद प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में आवास उपलब्ध कराने हेतु आवास एवं विकास परिषद अधिनियम 1965 के अधीन आवास एवं विकास परिषद का गठन 1966 में किया गया है। वर्तमान में प्रदेश के 54 नगरों में परिषद कार्यरत है। परिषद द्वारा सबके लिए आवास योजना के अंतर्गत दुर्बल वर्ग आवास, अल्प आय वर्ग आवास, मध्यम वर्ग आवास व उच्च आय वर्ग आवास योजना चलाई जा रही है।

विकास प्राधिकरण प्रदेश के विकासशील नगरों को सुनियोजित विकास सुनिश्चित करने हेतु उत्तर प्रदेश नगर योजना एवं विकास अधिनियम 1973 के अधीन विकास प्राधिकरण का गठन किया गया है। प्रदेश में वर्तमान में 27 विकास प्राधिकरण है।

राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन योजना स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना की जगह 1 अप्रैल 2014 से प्रदेश के 82 चयनित शहरों में शुरू किया गया। इसमें केंद्र व राज्य की भागीदारी 75 अनुपात 25 है। इस योजना का उद्देश्य नगरीय क्षेत्र के निर्धन बेरोजगारों को रोजगार और कौशल के आधार पर वेतन युक्त रोजगार के अवसरों का लाभ उठाने में सक्षम बनाकर उनकी गरीबी और असुरक्षा को दूर करना है जिससे उनकी जीविका में दीर्घकालीन सुधार हो सके।

स्वच्छ भारत मिशन भारत सरकार द्वारा संचालित यह मिशन प्रदेश में 2 अक्टूबर 2014 से संचालित है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश के सभी नगर निकाय आच्छादित है।

आदर्श नगर योजना एक लाख से कम आबादी वाले छोटे व मध्यम आकार नगर निकायों जहाँ नगर विकास संबंधी अन्य कोई योजना संचालित नहीं है में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने संबंधी राज्य सरकार की योजना 2007-08 से शुरू की गई है इस योजना में 100% धन राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है।

आसरा योजना शहरी क्षेत्रों के अल्पसंख्यक बहुल मलिन बस्तियों में कम लागत के रिहायशी मकान उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार द्वारा यह योजना 20 अप्रैल 2013 को शुरू की गई है। इस योजना के तहत लगभग 3.96 लाख रुपए की लागत से 25 वर्ग मीटर क्षेत्रफल पर मकान बनाया जाता है और कुछ मूलभूत सुविधाएं दी जाती है।

सेटेलाइट टाउन योजना भारत सरकार द्वारा देश के 7 मेगा शहरों के आसपास के शहरों को सेटेलाइट टाउन के रूप में विकसित करने संबंधी योजना के अंतर्गत राज्य में हापुड़ जिले के पिलखुवा नगर का चयन किया गया है।

इंटीग्रेटिड टाउनशिप नीति शहरी क्षेत्रों में आवास एवं आवासीय भूमि की मांग की तुलना में सरकारी एजेंसियों की सीमित संसाधन को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा निजी पूंजी आकर्षित करने हेतु इस नीति की घोषणा 2005 में की गई है इसके अंतर्गत निजी विकास कर्ताओं द्वारा न्यूनतम 25 एकड़ में और अधिकतम 500 एकड़ भूमि का क्रय कर आवासीय योजनाओं का विकास किया जाता है।

हाईटेक टाउनशिप नीति निजी विकासकर्ताओं द्वारा न्यूनतम 1500 एकड़ भूमि पर न्यूनतम 750 करोड़ रुपये का निवेश कर अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप सुविधायुक्त टाउन विकसित करने के लिए इस नीति की घोषणा की गई है। इस नीति के तहत प्रदेश में 13 टाउन स्वीकृत किए गए हैं। लखनऊ, इलाहाबाद, गाजियाबाद, बुलंदशहर आदि नगरों में 5 टाउन का विकास प्रगति पर है।

न्यू टाउनशिप नीति निजी निवेशकों के माध्यम से आधुनिक सुविधाओं एवं सुव्यवस्थित परिवहन प्रणाली से युक्त तथा आर्थिक एवं पर्यावरण की दृष्टि से स्टेबल ऐसे टाउन जो विद्यमान नगरीय क्षेत्रों के बाहर उन नगरों के रूप में हो, विकसित करने हेतु इस नीति की घोषणा की गई है।

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