26 January Indian Republic Day All Detail’s – 26 जनवरी पूरी जानकारी हिंदी में (55 साल बाद विदेशी मुख्य अतिथि नहीं)

26 January Indian Republic Day All Detail’s

26 January गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता हैं (Why celebrated 26 January Indian Republic Day)

72nd Republic Day Unknown Facts: गणतंत्र दिवस हर साल 26 जनवरी को मनाया जाता है. इसी दिन सन् 1950 को भारत सरकार अधिनियम (एक्ट) (1935) को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया था. इस साल देश 72वां गणतंत्र दिवस मनाएगा. एक स्वतंत्र गणराज्य बनने और देश में कानून का राज स्थापित करने के लिए संविधान को 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को इसे एक लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागू किया गया था. गणतंत्र दिवस आने में कुछ ही दिन बाकी हैं. ऐसे में आज हम आपको गणतंत्र दिवस से संबंधित कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं. ये कुछ ऐसे फैक्ट्स हैं जिनके बारे में आप शायद ही जानते होंगे. आइए जानते हैं

भारतीय गणतंत्र दिवस – 26 जनवरी 2021

भारत में वर्ष 2021 का गणतंत्र दिवस 26 जनवरी Tuesday को मनाया जा रहा है। इस साल 2019 में भारत अपना 72वाँ गणतंत्र दिवस मनाया जायेगा। भारत ने अपना पहला गणतंत्र दिवस 1950 में मनाया था।

26 जनवरी भारतीय गणतंत्र दिवस कुछ महत्वपूर्ण तथ्य: (26 January Indian Republic Day Some Important Facts)

  • पूर्ण स्वराज दिवस (26 जनवरी 1930) को ध्यान में रखते हुए भारतीय संविधान 26 जनवरी को लागू किया गया था।
  • 26 जनवरी 1950 को 10.18 मिनट पर भारत का संविधान लागू किया गया।
  • गणतंत्र दिवस की पहली परेड 1955 को दिल्ली के राजपथ पर हुई थी।
  • भारतीय संविधान की दो प्रत्तियां जो हिन्दी और अंग्रेजी में हाथ से लिखी गई।
  • भारतीय संविधान की हाथ से लिखी मूल प्रतियां संसद भवन के पुस्तकालय में सुरक्षित रखी हुई हैं।
  • भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद ने गवर्नमैंट हाऊस में 26 जनवरी 1950 को शपथ ली थी।
  • गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति तिरंगा फहराते हैं और हर साल 21 तोपों की सलामी दी जाती है।
  • 29 जनवरी को विजय चौक पर बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन किया जाता है जिसमें भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना के बैंड हिस्सा लेते हैं। यह दिन गणतंत्र दिवस के समारोह के समापन के रूप में मनाया जाता है।
  • गणतंत्र दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री अमर ज्योति पर शहीदों को श्रद्धाजंलि देते हैं जिन्होंने देश के आजादी में बलिदान दिया।

26 जनवरी 2021 रोचक तथ्य (55 साल बाद विदेशी मुख्य अतिथि नहीं))

55 साल बाद विदेशी मुख्य अतिथि नहीं

गणतंत्र दिवस समारोह में इस बारे विदेश का कोई गणमान्य मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल नहीं होगा. 1966 के बाद ऐसा पहली बार होगा कि भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में किसी दूसरे देश का प्रमुख मुख्य अतिथि नहीं होगा. पूरे विश्व में फैली कोविड19 महामारी को देखते हुए इस साल 26 जनवरी पर किसी विदेशी मुख्य अतिथि को गणतंत्र दिवस समारोह का हिस्सा नहीं बनाने का फैसला किया गया है.

इससे पहले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जाॅनसन गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि होने वाले थे. लेकिन ब्रिटेन में कोविड19 का नया प्रकार सामने आने और उससे पैदा हुए हालात को देखते हुए ब्रिटिश पीएम ने अपना भारत दौरा रद्द कर दिया.

नई दिल्ली: कोरोना (Coronavirus) के चलते इस बार 26 जनवरी को होने वाली गणतंत्र दिवस परेड (Republic Day Parade) में कई बदलाव हुए हैं. कोविड- 19 की वजह से परेड की लंबाई कम की गई है. इस बार परेड विजय चौक से शुरू होकर नेशनल स्टेडियम तक ही जाएगी जबकि पहले रिपब्लिक डे परेड राजपथ से शुरू होकर लाल किले  (Red Fort) तक जाती थी.

लंबाई रहेगी आधी से भी कम
परेड की लंबाई 8.2 किलोमीटर होती थी लेकिन इस बार विजय चौक से नेशनल स्टेडियम तक यह 3.3 किलोमीटर ही लंबी होगी. परेड देखने का मौका भी इस बार कम लोगों को मिलेगा. जहां हर साल रिपब्लिक डे परेड देखने 1 लाख 15 हजार लोग मौजूद रहते थे वहीं इस बार 25 हजार लोग ही मौजूद रहेंगे. हर बार 32 हजार टिकट बेचे जाते थे लेकिन इस बार 7500 लोग ही टिकट खरीद पाएंगे.

बच्चे नहीं होंगे शामिल
इस बार गणतंत्र दिवस परेड (Republic Day Parade) में छोटे बच्चे हिस्सा नहीं लेंगे. 15 साल से ज्यादा उम्र के स्कूली बच्चे ही शामिल होंगे. परेड देखने के लिए स्कूली बच्चों के लिए अलग से एनक्लोजर भी इस बार नहीं होगा. दिव्यांग बच्चे भी इस बार शामिल नहीं होंगे. इस बार खड़े होकर परेड देखने का इंतजाम नहीं होगा. जितनी सीटें होंगी उतने ही लोगों की इजाजत होगी.

कोविड बूथ भी बनाए जाएंगे 
इस बार परेड में हर दस्ते में कम लोग होंगे. दस्ते की चौड़ाई कम होगी ताकि वह सोशल डिस्टेंसिंग के साथ दूर दूर चल सकें. अब तक हर दस्ते में 144 सैनिक होते थे लेकिन इस बार 96 ही होंगे. परेड में मौजूद और हिस्सा लेने वाले सभी लोग मास्क पहने होंगे. एंट्री और एग्जिट गेट की संख्या भी बढ़ाई जाएगी. कोविड बूथ भी बनाए जाएंगे जिसमें डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ मौजूद रहेगा.

कोविड प्रोटोकॉल का पूरा पालन
रिपब्लिक डे परेड (Republic Day Parade) में इंडियन आर्मी (Indian Army) का जो दस्ता हिस्सा लेगा वह अभी आर्मी डे (Army Day 2021) परेड की रिहर्सल कर रहा है. 15 जनवरी को आर्मी डे परेड के बाद रिपब्लिक डे की रिहर्सल होगी. परेड में हिस्सा लेने वाले सभी लोगों के लिए कोविड- बबल बनाया गया है यानी इन्हें जरूरी टेस्ट के बाद आइसोलेट किया गया है. कोविड प्रोटोकॉल का पूरा पालन किया जा रहा है.

26 जनवरी गणतंत्र दिवस उत्सव (26 January Indian Republic Day Celebration)

चूँकि भारत में स्वतंत्रता दिवस ब्रिटिश शासन से भारत की आजादी की खुशी के लिये मनाया जाता है, उसी तरह भारत में गणतंत्र दिवस को उसके अपने संविधान को लागू करने के लिये मनाया जाता है। अधिकारिक रुप से इसे भारत के राष्ट्रपति के समक्ष भारत की राजधानी नयी दिल्ली के राजपथ पर हर वर्ष मनाया जाता है। देश के राष्ट्रीय झंडे को फहराने के द्वारा राज्य के राज्यपाल की मौजूदगी में राज्य की राजधानी में एक छोटा उत्सव मनाया जाता है।

भारतीय सरकार द्वारा पूरे देश में राजपत्रित अवकाश के रुप में 26 जनवरी को घोषित किया गया था। स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय और दूसरे शैक्षणिक संस्थानों में विद्यार्थियों और शिक्षकों के द्वारा पूरे उत्साह के साथ पूरे भारत भर में इसे मनाया जाता है।

नयी दिल्ली में इंडिया गेट के सामने राजपथ पर सैनिकों के द्वारा एक उत्कृष्ट परेड और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

26 जनवरी भारतीय गणतंत्र दिवस कैसे मनाया जाता है?(How Celebrated 26 January Indian Republic Day)

26 January Indian Republic Day

राजधानी में गणतंत्र दिवस को मनाने के लिये पहले से ही भारतीय सरकार द्वारा अच्छे प्रयास के साथ कार्यक्रम और उत्सव आयोजित किया जाता है। राज्यों की राजधानी के साथ ही नयी दिल्ली के राजपथ पर एक बड़ा और भव्य परेड का आयोजन किया जाता है। परेड में पारंपरिक डाँस समूह, जल सेना, वायु सेना और थल सेना से प्रतिभागी भाग लेते हैं।

नयी दिल्ली में रखा गया परेड खासतौर से शुरुआत किया जाता है जब इंडिया गेट के अमर ज्योति जवान पर भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा पुष्पमाला भेंट की जाती है। अपने देश की रक्षा करते हुए भारतीय सेना के सैनिकों के सभी बलिदानों को याद करने के लिये ऐसा किया जाता है। राजधानी में परेड के दौरान भारतीय राष्ट्रपति द्वारा सेना की सलामी ली जाती है जबकि राज्यों में राज्यपाल द्वारा सेना की सलामी ली जाती है। इस खास अवसर पर, राज्य के प्रमुख राष्ट्रपति के मुख्य अतिथि बनते हैं।

सशस्त्र बलों के सैनिकों, आम जन, और स्कूलों के विद्यार्थियों को इस खास दिन पर राष्ट्रीय पुरस्कार (महावीर चक्र, अशोक चक्र, परम वीर चक्र, वीर चक्र) और बहादुरी मेडल भी वितरित किये जाते हैं। दर्शको पर गुलाब की पंखुड़ियों की बरसात के लिये इंडिया गेट के आसपास के क्षेत्रों में सेना बलों के हेलिकॉप्टर परेड करते हैं। स्कूलों के बच्चों के द्वारा देशभक्ति गीत पर डाँस परेड के द्वारा प्रस्तुति भी जाती है। राष्ट्रपति को सम्मानीय सलामी देने के लिये सैन्य बलों द्वारा मोटर साईकिलों पर करतब दिखाये जाते हैं जबकि फाईटर प्लेन (धुएँ द्वारा भारतीय झंडे तीन रंग बनाती है) द्वारा वायु सेना करतब दिखाती है।

देश के इतिहास और संस्कृति पर ध्यानाकर्षण करने के लिये विभिन्न राज्यों से पेशेवरों द्वारा विभिन्न पारंपरिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी जाती है। भव्य उत्सव के दौरान, 24 जनवरी से 29 जनवरी तक प्रधानमंत्री की एक रैली और लोक तरंग राष्ट्रीय फोक नृत्य उत्सव भी रखा जाता है।

इस दिन, पोस्ट ऑफिस और बैंक सहित देश के सभी सरकारी और गैर सरकारी कार्यालय बंद रहते हैं। बड़ी भीड़ के कारण इस दिन पर खास सुरक्षा व्यवस्था रहती है जो किसी भी समस्या से आमजन की रक्षा करती है।

26 जनवरी भारतीय गणतंत्र दिवस मनाने का इतिहास (History of Celebrating 26 January Indian Republic Day)

वर्ष 1947 में 15 अगस्त को अंग्रेजी शासन से भारत को आजादी मिली थी। उस समय देश का कोई स्थायी संविधान नहीं था। पहली बार, वर्ष 1947 में 4 नवंबर को राष्ट्रीय सभा को ड्राफ्टिंग कमेटी के द्वारा भारतीय संविधान का पहला ड्राफ्ट प्रस्तुत किया गया था। वर्ष 1950 में 24 जनवरी को हिन्दी और अंग्रेजी में दो संस्करणों में राष्ट्रीय सभा द्वारा भारतीय संविधान का पहला ड्राफ्ट हस्ताक्षरित हुआ था।

तब 26 जनवरी 1950 अर्थात् गणतंत्र दिवस को भारतीय संविधान अस्तित्व में आया। तब से, भारत में गणतंत्र दिवस के रुप में 26 जनवरी मनाने की शुरुआत हुई थी। इस दिन भारत को पूर्णं स्वराज देश के रुप में घोषित किया गया था अत: पूर्णं स्वराज के वर्षगाँठ के रुप में हर वर्ष इसे मनाये जाने की शुरुआत हुई।

भारतीय संविधान ने भारत के नागरिकों को अपनी सरकार चुनने का अधिकार दिया। सरकारी हाऊस के दरबार हॉल में भारत के पहले राष्ट्रपति के रुप में डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद द्वारा शपथ लिया गया था। गणतंत्र दिवस मनाने के पीछे भारत के पास एक बड़ा इतिहास है।

26 जनवरी मनाने का उत्सव  

गणतंत्र दिवस स्वतंत्र भारत के लिये सच्चे साहस का प्रतीक है जहाँ सैन्य परेड, सैन्य सामानों की प्रदर्शनी, भारतीय राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय झंडे को सलामी और इस दिन विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन होता है। भारतीय झंडे में क्षैतिज दिशा में तीन रंग होते हैं (सबसे ऊपर केसरिया, मध्य में सफेद तथा अंत में हरा, सभी रंग बराबर अनुपात में होता है) और बीच में एक चक्र होता है (नीले रंग में 24 तिलियों के साथ) जो अशोका की राजधानी सारनाथ के शेर को दिखाता है।

भारत एक ऐसा देश है जहाँ विभिन्न संस्कृति, समाज, धर्म और भाषा के लोग सद्भावपूर्णं ढंग से एक साथ रहते हैं। भारत के लिये स्वतंत्रता बड़े गर्व की बात है क्योंकि विभिन्न मुश्किलों और बाधाओं को पार करने के वर्षों बाद ये प्राप्त हुई थी।

बहु-संस्कृति स्वतंत्र भारत में जीने के लिये भारतीय लोगों को गर्व महसूस कराने के लिये इस दिन को हर वर्ष मनाया जाता है। वर्ष के उत्सव को यादगार और महत्वपूर्णं बनाने के लिये गणतंत्र दिवस को बहुत ही रंग-बिरंगे और आनन्दपूर्णं तरीके से मनाते हैं। उत्सव में शामिल लोगों के द्वारा राष्ट्र-गान गाया जाता है। ये उत्सव सभी भारतीयों को एक स्थान पर ले आने का कार्य करता है।

भारतीय गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 2021 (55 साल बाद विदेशी मुख्य अतिथि नहीं)

Republic Day 2021 Celebrations: हर साल 26 जनवरी यानी भारत के गणतंत्र दिवस समारोह पर पूरी दुनिया की नजरें रहती हैं. इस बार का गणतंत्र दिवस कई मायनों में अलग होने वाला है. इसमें सबसे अहम कोविड-19 से पैदा हुए हालात के कारण सामने आए बदलाव हैं. इसके अलावा, कुछ चीजें ऐसी भी हैं जो देशवासी पहली बार गणतंत्र दिवस समारोह में देखेंगे.

कोरोनावायरस महामारी के चलते इस बार गणतंत्र दिवस समारोह में अतिथियों और दर्शकों की संख्या कम रहेगी. जहां हर साल रिपब्लिक डे परेड देखने 1.15 लाख लोग मौजूद रहते थे, वहीं इस बार यह संख्या 25 हजार लोगों तक ही सीमित होगी. सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क लगाए रखने जैसी एहतियात गणतंत्र दिवस समारोह में भी दिखेगी. परेड का रूट छोटा होगा. पहले परेड की लंबाई 8.2 किलोमीटर होती थी, जो विजय चौक से लाल किले तक जाती थी. लेकिन इस बार विजय चौक से नेशनल स्टेडियम तक यह 3.3 किलोमीटर ही लंबी होगी.

छोटे बच्चों को एंट्री नहीं

गणतंत्र दिवस परेड में शामिल होने वाले दस्ते भी छोटे होंगे. अब तक हर दस्ते में 144 लोग होते थे, लेकिन इस बार 96 लोग ही होंगे. रिपब्लिक डे परेड में इस बार छोटे बच्चे हिस्सा नहीं लेंगे. 15 साल से ज्यादा उम्र के स्कूली बच्चे ही शामिल होंगे. साथ ही दिव्यांग बच्चे भी इस बार शामिल नहीं होंगे. इस बार खड़े होकर परेड देखने का इंतजाम नहीं होगा. जितनी सीटें होंगी उतने ही लोगों को इजाजत दी जाएगी.

55 साल बाद विदेशी मुख्य अतिथि नहीं

गणतंत्र दिवस समारोह में इस बारे विदेश का कोई गणमान्य मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल नहीं होगा. 1966 के बाद ऐसा पहली बार होगा कि भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में किसी दूसरे देश का प्रमुख मुख्य अतिथि नहीं होगा. पूरे विश्व में फैली कोविड19 महामारी को देखते हुए इस साल 26 जनवरी पर किसी विदेशी मुख्य अतिथि को गणतंत्र दिवस समारोह का हिस्सा नहीं बनाने का फैसला किया गया है.

इससे पहले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जाॅनसन गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि होने वाले थे. लेकिन ब्रिटेन में कोविड19 का नया प्रकार सामने आने और उससे पैदा हुए हालात को देखते हुए ब्रिटिश पीएम ने अपना भारत दौरा रद्द कर दिया.

वर्ष

मुख्य अतिथि देश
2020


2019

President Jair Bolsonaro


राष्ट्रपति सिरिल रमाफोसा

          Brazil


दक्षिण अफ्रीका

2018

राष्ट्रपति ड्रिगो दुतेर्ते

फिलीपींस
प्रधानमंत्री थॉन्‍गलॉन सिसौलिथ

लाओस

प्रधानमंत्री न्गुयेन शुयान फुक

वियतनाम
प्रधानमंत्री नजीब रजाक

मलेशिया

धानमंत्री ली सियन लूंग

सिंगापुर
राष्‍ट्रपति जोको विडोडो

इंडोनेशिया

पीएम हुन सेन

कंबोडिया
सुल्तान हसनअल बोल्किया

ब्रुनेई

आंग सान सू

म्यांमार
जनरल प्रायुत चान

थाईलैंड

2017

क्राउन प्रिंस, शेख मोहमद बिन ज़ायेद अल नाह्यान अबु धाबी
2016 राष्ट्रपति, फ्रांस्वा ओलांद

फ्राँस

2015

राष्ट्रपति, बराक ओबामा यूएसए
2014 प्रधानमंत्री, शिंजों आबे

जापान

2013

राजा, जिग्मे केसर नामग्याल वाँगचुक भूटान
2012 प्रधानमंत्री, यिंगलुक शिनवात्रा

थाईलैंड

2011

राष्ट्रपति, सुसीलो बमबंग युद्धोयुनो इंडोनेशिया
2010 राष्ट्रपति, ली म्यूंग बक

कोरिया गणराज्य

2009

राष्ट्रपति, नूरसुलतान नजरबयेव कज़ाकिस्तान
2008 राष्ट्रपति, निकोलस सरकोजी

फ्रांस

2007

राष्ट्रपति, व्लादिमीर पुतिन रुस
2006 राजा, अब्दुल्ला बिन अब्दुल्लाजिज़ अल-सऊद

सऊदी अरेबिया

2005

राजा, जिग्मे सिंघे वाँगचुक भूटान
2004 राष्ट्पति, लूइज़ इनैसियो लूला दा सिल्वा

ब्राजील

2003

राष्ट्पति, मोहम्मदम खतामी इरान
2002 राष्ट्पति, कसाम उतीम

मॉरीशस

2001

राष्ट्पति, अब्देलाज़िज बुटेफ्लिका अलजीरीया
2000 राष्ट्पति, ओलूसेगुन ओबाझाँजो

नाइजीरिया

1999

राजा बिरेन्द्र बीर बिक्रम शाह देव नेपाल
1998 राष्ट्रपति, जैक्स चिराक

फ्रांस

1997

प्रधानमंत्री, बासदियो पांडेय त्रिनीनाद और टोबैगो
1996 राष्ट्रपति, डॉ फरनॉनडो हेनरिक कारडोसो

ब्राजील

1995

राष्ट्रपति, नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रिका
1994 प्रधानमंत्री, गोह चोक टोंग

सिंगापुर

1993

प्रधानमंत्री, जॉन मेजर

यूके
1992 राष्ट्रपति, मारियो सोर्स

पुर्तगाल

1991

राष्ट्रपति, मौमून अब्दुल गयूम मालदीव
1990 प्रधानमंत्री, अनिरुद्ध जुगनौत

मॉरीशस

1989

गुयेन वैन लिंह

वियतनाम

1988

राष्ट्रपति, जुनियस जयवर्द्धने

श्रीलंका

1987

राष्ट्रपति, ऐलेन गार्सिया पेरु
1986 प्रधानमंत्री, एँड्रियास पपनड्रीयु

ग्रीस

1985

राष्ट्रपति, रॉल अलफोन्सिन अर्जेन्टीना
1984 राजा जिग्मे सिंघे वाँगचुक

भूटान

1983

राष्ट्रपति, सेहु शगारी नाइजीरिया
1982 राजा, जॉन कार्लोस प्रथम

स्पेन

1981

राष्ट्रपति, जोस लोपेज़ पोरेटील्लो मेक्सिको
1980 राष्ट्रपति, वलेरी गिस्कार्ड द इस्टेइंग

फ्रांस

1979

प्रधानमंत्री, मलकोल्म फ्रेज़र ऑस्ट्रेलिया
1978 राष्ट्रपति, पैट्रीक हिलेरी

ऑयरलौंड

1977

प्रथम सचिव, एडवर्ड गिरेक पौलैण्ड
1976 प्रधानमंत्री, जैक्स चिराक

फ्रांस

1975

राष्ट्रपति, केनेथ कौंडा जांबिया
1974 राष्ट्रपति, जोसिप ब्रौज टीटो

यूगोस्लाविया

  प्रधानमंत्री, सिरीमावो रतवत्ते दियास बंदरनायके श्रीलंका
1973 राष्ट्रपति, मोबुतु सेस सीको

जैरे

1972

प्रधानमंत्री, सीवुसागर रामगुलाम मॉरीशस
1971 राष्ट्रपति, जुलियस नीयरेरे

तंजानिया

1970

 
1969 प्रधानमंत्री, टोडर ज़िकोव

बुल्गारिया

1968

प्रधानमंत्री, एलेक्सी कोज़ीगिन सोवियत यूनियन
  राष्ट्रपति, जोसिप ब्रोज टीटो

यूगोस्लाविया

1967  

1966

 
1965 खाद्य एवं कृषि मंत्री, राना अब्दुल हामिद

पाकिस्तान

1964

 
1963 राजा, नोरोदम शिनौक

कंबोडिया

1962

 
1961 रानी, एलिज़ाबेथ द्वितीय

यूके

1960

राष्ट्रपति, क्लिमेंट वोरोशिलोव

सोवियत संघ

1959  

1958

मार्शल यि जियानयिंग

चीन

1957  
1956  

1955

गर्वनर जनरल, मलिक गुलाम मोहम्मद

पाकिस्तान
1954 राजा, जिग्मे दोरजी वाँगचुक

भूटान

1953  
1952  
1951  

1950

राष्ट्रपति, सुकर्नों

इंडोनेशिया

26 जनवरी गणतंत्र दिवस परेड (26 January Indian Republic Day Parade)

26 January Indian Republic Day

भारत में गणतंत्र दिवस, हर साल एक बड़ी और भव्य गणतंत्र दिवस परेड को नई दिल्ली में राजपथ, इंडिया गेट पर आयोजित करके मनाया जाता है। वार्षिक रुप से 26 जनवरी को राष्ट्रपति द्वारा ध्वजारोहण (झंड़ा फहराने) के बाद गणतंत्र दिवस परेड की जाती है। ये गतिविधि भारतीय गणतंत्र दिवस के उत्सव का प्रमुख आकर्षण होती है जो आमतौर पर बीटिंग रिट्रीट समारोह के होने तक अगले 3 दिनों तक चलती है। ये भारतीय सरकार द्वारा सुरक्षा क्षमता, भारत की सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत को पूरी दुनिया के सामाने दिखाने के लिये आयोजित की जाती है।

इस कार्यक्रम के आयोजन से लेकर अन्त तक आयोजन करने वाले और भाग लेने वालों द्वारा बहुत अधिक प्रयास किये जाते हैं। राष्ट्रीय राजधानी के साथ-साथ सभी राज्यों की राजधानी में मिलिट्री परेड आयोजित की जाती है। आर्मी (थल सेना), नेवी (जल सेना), एअर फोर्स (वायु सेना) के प्रतिनिधि और भारत के राज्यों के अनुसार परंपरागत नृत्य समूह गणतंत्र दिवस की परेड में भाग लेते हैं।

26 जनवरी गणतंत्र दिवस की परेड क्या है? (What is the Parade of 26 January Indian Republic Day)

गणतंत्र दिवस के उत्सव पर विशेष रुप से आयोजित परेड गणतंत्र दिवस परेड कही जाती है। आमतौर पर, एक परेड मिलिट्री या सार्वजनिक प्रदर्शन होती है जो किसी विशेष दिन या कार्यक्रम पर आयोजित की जाती है। हम ये कह सकते हैं कि ये औपचारिक निरीक्षण या औपचारिक अवसर पर व्यक्तियों का एकत्रित समूह है। ये अर्थपूर्ण ढंग से मार्चिंग या एक रास्ते या स्थान के चारो ओर घूमते हुये किसी चीज को प्रदर्शित करने के लिये आयोजित की जाती है। एक परेड को मार्च या मार्चपास्ट भी कहा जाता है जिसके दौरान एक थीम (विषय) आधारित एक समूह के व्यक्तियों द्वारा अनूठा प्रतिनिधित्व करके प्रदर्शित किया जाता है। आमतौर पर, ये एक मार्ग के आस-पास विशेष पहनावे के साथ मार्चिंग बैंड या फ्लोट्स (बिजली द्वारा संचालित एक छोटा वाहन या गाड़ी) के द्वारा आयोजित किया जाता है। एक परेड विशेष कारणों की श्रृंखला के साथ आयोजित की जाती है हांलाकि, आम तौर पर किसी ईवेंट या त्योहार के उत्सव के दौरान आयोजित होती है। कभी-कभी, लोग विरोध प्रदर्शनों के दौरान परेड प्रदर्शन करते हैं।

राजपथ, इंडिया गेट पर भारत के गणतंत्र दिवस परेड का प्रदर्शन करने के लिए एक उत्कृष्ट व्यवस्था की जाती है। सबसे पहले, भारत के राष्ट्रपति राष्ट्रीय झंड़े को फहराते हैं जिसका अनुकरण राष्ट्रीय गान (जन,गण,मन) को गाकर किया जाता है। 21 तोपों के माध्यम से राष्ट्रीय सलामी दी जाती है। इसके बाद, भारत के राष्ट्रपति द्वारा सम्मान या पुरस्कार (जैसे अशोक चक्र, क्रीर्ति चक्र, आदि) उन लोगों को वितरित किये जाते जो इन्हें प्राप्त करने के पात्र होते हैं। तब राष्ट्रपति के द्वारा बहादुरी पुरस्कार और मेडल या पदक लोगों (शस्त्र फोर्सों और सैनिकों) के बीच उनके साधरण साहस और कठिन परिस्थितियों में वीरता प्रदर्शित करने के लिये वितरित किये जाते हैं। कुछ बच्चे भी (जो राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार प्राप्त करते हैं) परेड में भाग लेते हैं जिसके दौरान इन्हें दर्शकों के सामने कुछ रंगीन सजे हुये हाथियों या वाहनो पर बिठाया जाता है।

गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) परेड

जाड़े के उत्सव संबंधी ड्रेस पहने, राष्ट्रपति आवास से बाहर आते हुए राष्ट्रपति के अंग-रक्षकों द्वारा राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड की ये वास्तविक तस्वीर है। घुड़सवार रेजीमेंट में से एक खास चुनी हुयी भारतीय सेना की सबसे वरिष्ठ ईकाई भारत के राष्ट्रपति के अंगरक्षक बनते है। भारत के राष्ट्रपति की सुरक्षा और राह दिखाने के लिये उनके अंग-रक्षक पूरी तरह जिम्मेदार होते हैं। वो पूरी तरह हथियारों, बीटीआर-60 गाड़ियाँ से लैस होते हैं जो किसी भी परिस्थिति में इस्तेमाल किये जा सकते हैं साथ ही घोड़ें भी चलाते हैं।

राजपथ पर एक अग्नि-II बैलिस्टिक मिसाइल के प्रदर्शन के द्वारा गणतंत्र दिवस परेड की ये तस्वीर है। पड़ोसी देशों के लिये 3500 किमी से लेकर 5000 किमी की दूरी की मारक क्षमता वाले अग्नि-II एक असाधारण बैलिस्टिक मिसाइल है। अपने प्रकार की एक बेहद प्रगतिशील भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल के रुप में इसे विकसित किया गया है जिसमें 40 मीटर की दूरी के अंतर्गत गोलाकार त्रुटि की संभावना होती है। इसके बाद, 2011 में जून के महीने में इसके क्रमानुयायी के रुप में भारत का अग्नि-III बैलिस्टिक मिसाइल भी विकसित किया गया।

भारत के गणतंत्र दिवस को मनाने के अवसर पर राजपथ पर लॉयन कैपिटल का ये एक उत्कृष्ट सजायी गयी तस्वीर है। लॉयन कैपिटल के ठीक सामने पीले रंग के फूलों के साथ भारत का मान-चित्र बनाया गया है। मान-चित्र के बीच में तिरंगा बना हुआ है। मान-चित्र के ठीक नीचे एक बड़े वृत्ताकार में फूलों से सजे तीन वृत बने हैं। कितना सुंदर सजाया गया है ये लॉयन कैपिटल|

राजपथ पर भारत की विशेष बीएसएफ ऊँट टुकड़ी के द्वारा गणतंत्र दिवस परेड की ये फोटो है। भारत के गृह मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत भारतीय सरकार की सीमा सुरक्षा बल बना भारत का बीएसएफ जो भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदार है। खासतौर से चुनी गयी केन्द्रीय सैन्य पुलिस बलों में से एक बीएसएफ बनती है जो 1 दिसंबर 1965 को भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा की शांति के लिये स्थापित हुई साथ ही सीमा पार से होने वाले अपराधों को भी रोकने के लिये बनी है। 186 बटालियन में भारतीय बीएसएफ में लगभग 24,000 जवान है (पुरुष और महिला दोनों सहित)। पूरे विश्व भर में भारत की बीएसएफ सबसे बड़ी सीमा सुरक्षा बल है। भारतीय बीएसएफ के पहले मुख्य निदेशक के.एफ.रुस्तम जी थे जिन्होंने इसकी स्थापना की और भारतीय बीएसएफ के संस्थापक पिता के रुप में जाने जाते थे।

राजपथ पर भारतीय सेना की मद्रास रेजीमेंट द्वारा गणतंत्र दिवस परेड का ये एक अद्भुत् दृश्य है। 1750 (मद्रास शहर की स्थापना वर्ष 1639 में हुई थी) के दौरान भारत में बनी सेना का सबसे पुरानी रेजीमेंट के रुप में भारत की मद्रास रेजीमेंट को माना जाता है। ब्रिटिश भारतीय सेना के विभिन्न अभियानों के द्वारा ये पुरानी भारतीय रेजीमेंट बनी और भारतीय सेना के रुप में जारी है। पूर्व में 1660 के दशक के दौरान इसे ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा मद्रास यूरोपियन रेजीमेंट के रुप में विकसित किया गया था जबकि बाद में 1750 के दशक के दौरान मेजर स्ट्रींगर लॉरेन्स के द्वारा इसे एक बटालियन के रुप में विकसित किया गया था। आजादी के बाद, मद्रास रेजीमेंट का निर्माण हुआ था जो बहुत सारे अभियानों में शामिल था जैसे मानवतावादी और संचालन और यूएन शांति स्थापित रखने वाला मिशन।

राजपथ पर 2017 के गणतंत्र दिवस पर मुख्य आकर्षक

26 January Indian Republic Day

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी भारत के अमर जवानों को फूलों और सलामी से सम्मानित करते हुए। उन्होंने गणतंत्र दिवस समारोह पर सेरेमोनियल बुक पर हस्ताछर किया।

गणतंत्र दिवस Republic Day GK Question

  1. पहले गणतंत्र दिवस पर दिल्ली के इर्विन स्टेडियम में झंडा फहराया गया था।
  2. पूर्ण स्वराज दिवस (26 January 1930) को ध्यान में रखते हुए भारतीय संविधान 26 जनवरी को लागू किया गया था।
  3. आईएसटी के अनुसार 26 January 1950 को 10.18 Minutes पर भारत का संविधान लागू किया गया।
  4. भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद ने गवर्नमैंट हाऊस में 26 जनवरी 1950 को शपथ ली थी।
  5. गणतंत्र दिवस की पहली परेड 1955 को दिल्ली के राजपथ पर हुई थी।
  6. राजपथ परेड के पहले मुख्य अतिथि पाकस्तिान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद थे।
  7. मोर को भारत का राष्ट्रीय पक्षी 26 Jan 1963 को घोषित किया गया था।
  8. 1950 – 1954 के बीच गणतंत्र दिवस का समारोह इर्विन स्टेडियम किंग्सवे, लाल किला तो कभी रामलीला मैदान में हुआ करता था
  9. 26 जनवरी को ही सारनाथ के अशोक स्तंभ पर बने सिंह को राष्टरीय प्रतीक के रूप में अपनाया गया था।
  10. रिपब्लिक डे परेड 1950 को पहले चीफ इंडोनेशिया के तत्कालीन राष्ट्रपति ‘सुकर्णो’ थे।

गणतंत्र दिवस अपनी उपलब्धियों के मूल्यांकन का दिन है । गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारत ने कौन-कौन सी मंजिलें तय कर ली और किन-किन मंजिलों की छूना अभी बाकी है इसकी समीक्षा की जाती है । अखबारों और पत्रिकाओं में इससे संबंधित अनेक रिपोर्टें छपती हैं । टेलीविजन पर रंगारंग कार्यक्रम होते हैं । जगह-जगह पर कव्वालियों, मुशायरों और कवि सम्मेलनों की घूम मची रहती है राजधानी की सरकारी इमारतों पर मनमोहक रोशनी की सजावट की जाती है । राष्ट्र अपने गणतंत्र पर गर्व महसूस करता है ।

भारत माता की जय , जय हिन्द जय भारत

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